Home सेहत सावधान! बच्चों में बढ रहा है चिड़चिड़ापन, बिगड़ रही मेंटल कंडीशन, गेम्स...

सावधान! बच्चों में बढ रहा है चिड़चिड़ापन, बिगड़ रही मेंटल कंडीशन, गेम्स की लत से हो रहे है डिप्रेशन का शिकार।

0

अब बच्चे मैदान में खेलने की अपेक्षा दिन रात मोबाइल या टीवी पर वीडियो गेम्स खेलते नजर आते हैं, लगातार गेम्स खेलते रहने के कारण उनकी लत लग जाती है और वे चाह कर भी इस आदत को छोड़ नहीं पाते हैं, गेम्स खेलने की इसी लत के कारण उनका पढ़ाई या अन्य चीजों में मन नहीं लगता है, बस उन्हें गेम्स में ही मजा आता है, लेकिन उनकी इस लत के कारण उनका वर्तमान ही नहीं बल्कि भविष्य भी खराब हो जाता है, ये हम नहीं कह रहे हैं, ये एक रिसर्च से क्लियर हो गया है, इसलिए अगर आपके बच्चे भी ऑनलाइन, ऑफलाइन मोबाइल या वीडियो गेम्स में दिनरात खेलते हैं, तो उनकी आदत धीरे-धीरे छुड़वा दें, ताकि आपको बाद में किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़े। इसकी लत छुड़ाने के लिए पैरेंट्स को क्या करना चाहिए…

यह भी पड़े:IAS पूजा को लेकर क्यों मचा है बवाल? ऑडी कार तक विवादों में है पूजा, जाने क्या है पूरा मामला।

वीडियो गेम्स का बच्चों की मेंटल हेल्थ पर असर

1. दिमागी तौर पर कमजोर होना

बच्चे कई बार काफी-काफी देर तक बिना पलक झपकाए मोबाइल पर वीडियो गेम्स खेलते रहते हैं. इससे उनकी एकाग्रता खराब होती है और दिमाग सही तरह काम करने की क्षमता खोने लगता है. इसकी वजह से सिरदर्द, बेचैनी और भारीपन महसूस होता है. जिससे उनका मन पढ़ाई में भी नहीं लगता है. हर वक्त उनके दिमाग में वीडियो गेम्स ही चलता रहता है।

2. चिड़चिड़ापन

गैजेट्स चलाने या लगातार वीडियो गेम खेलने से बच्चों के दिमाग पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है. इससे सिर में दर्द और भारीपन बना रहता है. जिससे पैरेंट्स, फैमिली या फ्रेंड्स से बात करने में उन्हें चिड़चिड़ापन महसूस होने लगता है. गेम्स की वजह से उनका मन किसी दूसरी चीज में नहीं लगता है।

3. तनाव-अनिद्रा

कई बच्चे रात में देर तक ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं. इसका उनकी आंखों पर बुरा असर पड़ता है. आंखों में ड्राईनेस, दर्द की समस्या होने लगती है. सिरदर्द भी होने लगता है. जिसकी वजह से नींद नहीं आती है और सुबह उठने में परेशानी होती है. बच्चों की पूरी दिनचर्या बिगड़ जाती है और किसी काम को मन से नहीं कर पाते हैं।

4. अकेलापन

वीडियो गेम की लत की वजह से बच्चों में अकेलापन आने लगता है, क्योंकि उनका ज्यादातर समय दोस्तों या फैमिली नहीं वीडियो गेम्स के बीच बीतता है. इससे उदासी उन पर हावी रहती है और खुद को सबसे अलग मानकर इमोशनली वीक हो जाते हैं. किसी से अपनी फीलिंग्स शेयर नहीं कर पाते हैं।

यह भी पड़े:बड़ी खबर: धारचूला में बादल फटने से नदिया उफान पर, मची तबाही।

5. फैमिली-फ्रेंड्स से दूर

जब बच्चों का मन वीडियो गेम्स में लगा रहता है तो वे हर काम एक कमरे में ही करना पसंद करते हैं. खाना भी पैरेंट्स या फैमिली के साथ नहीं अकेले ही खाते हैं. इतना ही नहीं वे दोस्तों के साथ बाहर खेलने भी नहीं जाते हैं. जिससे उनका फिजिकल, मेंटल और सोशल ग्रोथ होता है. वीडियो गेम्स में बिजी रहने से वे सभी से कट जाते हैं और बाद में अकेलापन उन पर हावी होने लगता है।

6. अपनी बात शेयर न कर पाना

वीडियो गेम्स की वजह से बच्चों का सामाजिक दायरा सिमटने लगता है. वे किसी से बात करने से हिचकते हैं. किसी भी सवाल का सही तरह जवाब नहीं दे पाते हैं. स्कूल में भी हर बात में झिझकते रहते हैं. किसी तरह की बातचीत से भी दूर भागते हैं और अपनी फीलिंग्स तक शेयर नहीं कर पाते हैं।

बच्चों के वीडियो गेम्स की लत कैसे छुड़ाएं

  • उनका स्क्रीन टाइम कम करने की कोशिश करें. दो घंटे से ज्यादा फोन न चलाने दें।
  •  प्यार से बात कर समझाएं, गार्डेनिंग सिखाएं, किचन के छोटे-मोटे काम करवाएं।
  •  फ्रेंड्स के साथ खेलने जाने को कहें. खुद भी इसका हिस्सा बनें।
  •  कोशिश करें कि फोन पर पढ़ने-लिखने या अच्छे कंटेंट ही देखें।
  • फोन के इस्तेमाल की बजाय बच्चों से ज्यादा से ज्यादा बात करने की कोशिश करें।

यह भी पड़े:नंदा गौरा योजना की आवेदन प्रक्रिया शुरू, ऐसे कर सकते है आवेदन, अंतिम तिथि 30 नवंबर।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version