अफगानिस्तान: अफगानिस्तान एक बार फिर भूकंप के तेज़ झटकों से सहम गया है। पहाड़ी और भूकंपीय रूप से संवेदनशील इलाक़ों में बसे इस राष्ट्र के लिए प्राकृतिक आपदाएँ नई नहीं हैं, लेकिन हर बार का झटका लोगों को गहरी चोट और मुश्किलों से भर देता है।
नवीनतम भूकंप में कई इलाकों में घर ज़मीनदोज़ हो गए, सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए और स्थानीय लोगों के जीवन यापन पर सीधा असर पड़ा। ग्रामीण क्षेत्रों में पक्के मकानों की कमी और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव राहत कार्यों को और चुनौतीपूर्ण बना देता है। बचाव दल सीमित संसाधनों और दुर्गम रास्तों के बावजूद प्रभावित इलाकों तक पहुँचने की कोशिश में जुटे हैं।
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भूगर्भीय विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान का बड़ा हिस्सा सक्रिय फॉल्ट लाइनों के किनारे स्थित है, जिसके चलते यहाँ बार-बार भूकंप आना स्वाभाविक है। लेकिन समस्या यह है कि लगातार संघर्ष, राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक तंगी के बीच इस देश की अवसंरचना मज़बूत नहीं हो पाई, जिसकी वजह से आपदाओं का असर और भी भयावह साबित होता है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और पड़ोसी देशों से मदद की अपील हो रही है, क्योंकि अकेले अफगानिस्तान के लिए इस संकट से निपटना बेहद कठिन है। सबसे बड़ी चुनौती प्रभावित लोगों को सुरक्षित आश्रय, स्वास्थ्य सेवाएँ और भोजन उपलब्ध कराना है।