द्वाराहाट: जनपद अल्मोड़ा के विकासखंड भिकियासेन के अंतर्गत ग्राम सभा नौबारा के हिमालय की गोद में बसा आस्था का प्रतीक श्री नैथना देवी मंदिर स्थित है, यह मंदिर की ऐसी मान्यता है की दक्षयज्ञ में पिता के व्यवहार से कुपित माँ सती द्वारा आत्मदाह किए जाने से अत्यंत क्रोधित सती के मृत शरीर को लेकर ब्रह्मांड में विचरण करते हुए भगवान शंकर के उग्र रूप को देखकर, देवताओं व ऋषीमुनियों की प्रार्थना पर, भगवान विष्णु द्वारा छोड़े गए सुदर्शनचक्र ने सती के शरीर को कई टुकड़ों में विभाजित किया। वे अंग एवं आभूषण आदि जहाँ-जहाँ गिरे वे शक्तिपीठ कहलाये। इनमें से एक श्री नैथना देवी (माँ भगवती) को भी शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है।
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आपको बता दे कि मंदिर के चारों ओर चीड़,बांज,काफल आदि के पेड़ों से सुशोभित वन शोभा बढ़ा रहे हैं तो नीचे तलहटी में परमपावनी रामगंगा नदी अविरल बहती हुई माँ के चरणों को पखारती है। ऐसा रमणीय दृश्य किसी भी श्रद्धावनत व्यक्ति को अध्यात्म की गहराई तक ले जा सकता है, इसके सामने उत्तर पूर्व दिशा की तरफ मनोहारी सीढ़ीनुमा खेतों से सुसज्जित गांव हैं तथा पिछले कई दशकों से शिक्षा का केंद्र रहा उत्तमसाणी राजकीय इंटर कॉलेज भी है। यहां के जंगल मार्च-अप्रैल के महीनों में बुरांश के लाल फूलों से भर जाते हैं। अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर माँ के इस मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण बीसवीं शताब्दी के तीसरे दशक में लगभग 1930 के आसपास कुमाऊं के प्रख्यात संत स्वनामधन्य श्री हरनारायण स्वामी जी ने ग्राम वासियों के सहयोग से करवाया था जो आसपास एवं दूर-दराज के लोगों की अपार श्रद्धा का केंद्र है।