10.4 C
Uttarakhand
Wednesday, December 25, 2024

बड़ी दीदी के नाम से जानी जाती थी डॉ. विशाखा त्रिपाठी,मौत से एक दिन पहले बांटी हजारों लोगों को राहत सामग्री।

75 वर्षीय डॉ. विशाखा त्रिपाठी अपनी बहन श्यामा त्रिपाठी, कृष्णा त्रिपाठी, सचिव दीपक और 5 अन्य लोगों के साथ सिंगापुर जाने के लिए वृंदावन से रविवार सुबह 2 कार से निकली थीं। वह जैसे ही नोएडा के दनकौर इलाके में पहुंचीं। तभी एक अनियंत्रित कंटेनर ने उनकी कारों को पीछे से टक्कर मार दी। हादसे में डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मृत्यु हो गई। जबकि उनकी दोनों बहन घायल हो गई। जिन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती किया गया है।

जबकि उनकी दोनों बहन और अन्य लोग घायल हो गए, जिन्हें उपचार के लिए दिल्ली के अपोलो अस्पताल भेज दिया। वह रात ढाई बजे वृंदावन के प्रेम मंदिर से निकलीं थीं। हादसे की जानकारी मिलते ही ट्रस्ट से जुड़े लोग अपोलो अस्पताल पहुंच गए। जिसके बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया की गई।

हालांकि उनका पार्थिव शरीर रविवार को ही वृंदावन लाया जाना था देर होने के बाद उनका पार्थिव शरीर सोमवार को दिल्ली से वृंदावन लाया गया। बड़ी दीदी के नाम से विख्यात डा. विशाखा का पार्थिव शरीर दोपहर करीब तीन बजे वृंदावन स्थित प्रेम मंदिर के पिछले भाग में स्थित सभागार में एंबुलेंस से गाड़ियों के काफिले के साथ पहुंचा जिसके बाद पार्थिव शरीर को अनुयायियों के दर्शन के लिए प्रेम मंदिर परिसर में स्थित आश्रम में रखा गया है। ट्रस्ट के प्रवक्ता अजय त्रिपाठी ने बताया कि यहां अगले दो दिन उनके अंतिम दर्शन होंगे।

आपको बता दें कि जगद्गुरु कृपालु परिषत् (जे.के.पी.) की अध्यक्षा, सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी, जिन्हें स्नेह से बड़ी दीदी कहा जाता था, अपने दिव्य व्यक्तित्व, अनुशासन और निःस्वार्थ भक्ति के लिए जानी जाती थीं। उनका जन्म 1949 में भक्ति धाम के पास लीलापुर गाँव में हुआ। वह जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की ज्येष्ठा पुत्री थीं। बचपन से ही उनके शांत और दृढ़ स्वभाव ने उन्हें सबसे अलग बना दिया। बाद में उन्होंने अपनी निःस्वार्थ सेवा और गुरु भक्ति से लाखों लोगों के जीवन को नई दिशा दी।

सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी ने 2002 में जगद्गुरु कृपालु परिषत् का नेतृत्व संभाला। उनके दूरदर्शी नेतृत्व में परिषत् ने दुनिया भर में 50 लाख से ज्यादा लोगों तक आध्यात्मिक और सामाजिक सेवाएँ पहुँचाईं। उनके प्रयासों से जगद्गुरु कृपालु चिकित्सालय और शिक्षण संस्थानों ने समाज के हर वर्ग को लाभ पहुँचाया। उनकी सेवाओं के लिए उन्हें राजीव गांधी ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड और नारी टुडे पुरस्कार जैसे कई सम्मान मिले।

यह भी पढ़ें:30 साल बाद लव मैरिज का ऐसा खौफनाक अंत, गुस्से में पहले पत्नी फिर सास को मारा, फिर खुद की जान ले ली, पड़े पूरी खबर।

सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी का हर दिन भक्ति और सेवा के लिए समर्पित था। उनकी भक्ति और समर्पण ने यह दिखाया कि मानव जीवन का सच्चा उद्देश्य ईश्वर और गुरु की सेवा है। सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी का हर शब्द, हर काम जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के अनुयायियों को सुकून और प्रेरणा देता था। उनकी सरलता और मधुर स्वभाव ने हर किसी को उनके करीब महसूस कराया। चाहे हल्के-फुल्के अंदाज में किसी को सांत्वना देना हो या किसी को सही रास्ता दिखाना, उनका हर प्रयास लोगों के दिलों को छू जाता था। उनका जीवन प्रेम, सेवा और समर्पण का जीता-जागता उदाहरण था। उन्होंने अपने व्यवहार और जीवनशैली से यह दिखाया कि असली नेतृत्व अधिकार में नहीं, बल्कि सेवा और निःस्वार्थता में है। उनकी सादगी और दूरदर्शी सोच ने हर किसी को प्रेरित किया।

सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी ने लगन एवं परिश्रम के साथ, विश्व के पाँचवें मूल जगद्गुरु, श्री कृपालु जी महाराज के जन-कल्याण के कार्यों को आगे बढ़ाया। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज जैसे संत इस धरती पर कई शताब्दियों में एक बार आते हैं। श्री कृपालु जी महाराज ने 1922 में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में जन्म लिया और 16 वर्ष की आयु से ही भगवान् का प्रचार प्रारम्भ कर दिया। 91 वर्षों के अपने जीवन काल में उन्होनें भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में वेदों-शास्त्रों के ज्ञान का भंडार खोल दिया। आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ उन्होनें लोगों की सामाजिक एवं शारीरिक उन्नति के लिए भी कई सराहनीय प्रयास किये, जिन्हें उनकी ज्येष्ठा सुपुत्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी ने बहुत लगन के साथ आगे बढ़ाया।

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने साल 2002 में जगद्गुरु कृपालु परिषत् की बागडोर अपनी तीनों सुपुत्रियों – डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी, डॉ. श्यामा त्रिपाठी जी और डॉ. कृष्णा त्रिपाठी जी के हाथों में सौंप दी थी। इसी क्रम में डॉ. विशाखा त्रिपाठी जगद्गुरु कृपालु परिषत् और मनगढ़, कुंडा स्थित भक्ति मंदिर की अध्यक्ष्या नियुक्त की गयीं। तब ही से उन्होंने जीवों के आध्यात्मिक एवं भौतिक उत्थान के अपने जगद्गुरु पिता के लक्ष्य को पूरा करने के प्रयास में अपना पूरा जीवन लगा दिया।

यह भी पढ़ें:बड़ी खबर: उत्तराखंड पंचायत चुनाव को लेकर बड़ी खबर, नगर निकाय के बाद पंचायत भी प्रशासकों के हवाले, आदेश जारी।

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने जन सामान्य को भक्ति पथ पर आगे बढ़ाने के लिए तीन प्रमुख मंदिरों की स्थापना की। इनमें से श्री वृन्दावन धाम स्थित प्रेम मंदिर आज पूरी दुनिया में अपने अनोखे सौंदर्य और भक्ति भाव के लिए जाना जाता है। प्रेम मंदिर में प्रतिदिन लाखों लोगों की भीड़ श्री राधा-कृष्ण और श्री सीता-राम के दर्शन के लिए उमड़ती है। कृपालु जी महाराज ने राधा रानी की अवतार स्थली श्री बरसाना धाम में कीर्ति मंदिर की स्थापना की जो इस दुनिया में कीर्ति मैया की गोद में विराजित नन्हीं सी राधा रानी का इकलौता मंदिर है। इसी प्रकार अपने जन्मस्थान श्री कृपालु धाम मनगढ़, प्रतापगढ़ में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने भक्ति मंदिर की स्थापना की।

अभावग्रस्त समाज को शारीरिक व्याधियों से बचाने के लिए जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने वृंदावन, बरसाना और श्री कृपालु धाम – मनगढ़ में तीन निःशुल्क हॉस्पिटल स्थापित किये जहाँ न केवल इलाज और चेकअप बल्कि दवाइयाँ भी बिल्कुल मुफ़्त में दी जाती हैं। इसके साथ ही साथ ही जगद्गुरु कृपालु परिषत् द्वारा नियमित रूप से साधना शिविरों का आयोजन किया जाता है जिसमें लोगों को भगवान् की भक्ति का प्रामाणिक तरीका सिखाया जाता है एवं रूपध्यान संकीर्तन और साधना के द्वारा उसका निरंन्तर अभ्यास कराया जाता है। 2013 में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के गोलोक जाने के बाद भी डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी ने संस्था की गतिविधियों में कोई कमी नहीं आने दी। बल्कि कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने जगद्गुरु कृपालु परिषत् का दायरा कई गुना बढ़ा दिया जिससे लोगों को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में बहुत लाभ मिला।

यह भी पढ़ें:बांग्लादेश के चटगांव में हिंसक झड़प के बीच 3 हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Manish Negi
Manish Negihttps://chaiprcharcha.in/
Manish Negi एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास राजनीति, अर्थव्यवस्था और सामाजिक मुद्दों जैसे विषयों पर अच्छा ज्ञान है। वे 2 से ज्यादा वर्षों से विभिन्न समाचार चैनलों और पत्रिकाओं के साथ काम कर रहे हैं। उनकी रूचि हमेशा से ही पत्रकारिता और उनके बारे में जानकारी रखने में रही है वे "चाय पर चर्चा" न्यूज़ पोर्टल में विभिन्न विषयों पर ताज़ा और विश्वसनीय समाचार प्रदान करते हैं"

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

104FansLike
26FollowersFollow
7FollowersFollow
62SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles