अयोध्या रेप केस: देखो हर धर्म के लोग महिला को लेकर संकीर्ण मानसिकता ही रखते है सारी इज्जत परिवार की मान सम्मान की धर्म की जिम्मेदारी महिलाओं पर डालना ही एक साजिश है अगर यही बात कोइ कटु शब्द में विद्वान कह देता है तो धार्मिक अंधभक्त बौखला जाते है भारत की संस्कृति तो अजब गजब है सब सीता बनाते है कोई नही कहता काली दुर्गा बन क्यों जाती है, सीता पति के साथ जंगल गई अपहरण हुआ अग्नि परीक्षा हुआ उसके बाद भी त्याग हुआ यानी सब सीता ही देखना चाहते है लेकिन महिलाओ पर हो रहे अत्याचारों से पूरा देश मर्माहत है। इसी बीच एक बेहद शर्मनाक खबर सामने आई है। जहां दुष्कर्म का दर्द झेल रही बच्ची कई और दर्द का सामना कर रही है। कुछ हेवानो ने अपनी हैवानियत खो दी। जिस उम्र में इस बच्ची ने खेलना शुरू किया उसी उम्र में हैवानियत के भेड़ियों ने नोच डाला। 12 साल की उम्र में ही उसके गर्भ में 12 हफ्ते का भ्रूण पल रहा है। उसका प्रसव हो या गर्भपात, दोनों स्थितियों में उसे दर्द का सामना करके अग्नि परीक्षा देनी होगी। अब बच्ची की जान बचाने के लिए चिकित्सक भी तरकीबें खोज रहे हैं और बाल कल्याण समिति व परिजनों की सहमति का इंतजार कर रहे हैं। प्रक्रियाओं पर गौर करके चिकित्सकों की भी रूह कांप रही है।
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आपको बता दे कि हैवानों ने 12 साल की बच्ची को हवस का शिकार बनाकर उसकी मासूमियत का कत्ल कर दिया। दरिंदों ने उसके दर्द को कई गुना बढ़ा दिया है। शारीरिक बदलावों के साथ खेलने-कूदने की उम्र में ही वह गर्भवती हो गई है। अभी न तो वह शारीरिक ना ही मानसिक रूप से इसके लिए सक्षम है। इसके जोखिमों व जटिलताओं से भी वह अनजान है। किसी तरह उसका प्रसव या गर्भपात करा भी दिया गया तो भविष्य में भी वह तमाम परेशानियों से जूझेगी।
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