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Wednesday, November 20, 2024

अवसाद (डिप्रेशन) क्या है? आजकल के युवा क्यों हो रहे हैं डिप्रेशन का शिकार, जानिए पूरी खबर में!

अवसाद (डिप्रेशन): वर्तमान समय में आप देख रहे होंगे की 25 वर्ष से लेकर 40 45 वर्ष तक ज्यादातर व्यक्ति अवसाद (डिप्रेशन) के शिकार हैं, जिसमें सबसे ज्यादा युवा है युवाओं में चिंता और अवसाद का बढ़ना अभी कुछ वर्षों से ज्यादा हो गया है ऐसा क्यों?

सार

  • अवसाद व युवा
  • क्यों होता है अवसाद (डिप्रेशन)?
  • पाश्चात्य संस्कृति का प्रचलन
  • आधुनिकीकरण से बढ़ता अवसाद
  • भारतीय संस्कृति का अनुसरण करना

अवसाद व युवा

यह एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है जिसमें व्यक्ति की मनोदशा बदलती रहती है जिससे उसके दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण हानि होती है अवसाद से पीड़ित व्यक्ति में बेचैनी,निराशा, उदासी जैसी अनेक स्थितियां देखने को मिलती हैं. अवसाद से पीड़ित व्यक्ति किसी भी चीज का आनंद नहीं ले पाते और इनकी दिलचस्पी लोगों से मिलने बात करने में खत्म हो जाती है और ऐसे व्यक्ति आत्मविश्वास को खोकर निराशावादी बन जाते हैं। युवाओं में अवसाद का कारण अपने भविष्य के प्रति चिंता एवं सहनशक्ति का कम होना भी है। आजकल नौकरी पाने के चक्कर में जो प्रतिस्पर्धा चल रही है.एक कारण युवा तैयारी तो करता है पर उसी तैयारी के बीच की उथल-पुथल में वह कब अवसाद का शिकार हो जाता है उसे खुद पता नहीं चलता।

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क्यों होता है अवसाद (डिप्रेशन)?

अवसाद का कोई निश्चित कारण हो ऐसा आज तक पता नहीं चल पाया है। आपने देखा होगा कि मशहूर हस्तियां, प्रसिद्ध व्यक्ति एवं अच्छे-अच्छे खिलाड़ी भी इसका शिकार हो जाते हैं. यह अपने किसी करीबी व्यक्ति को खो देने से ,अपने संघर्ष की चिंता,एवं जिन चीजों से आप खुश ना हो-असंतुष्ट हो, यह सब अवसाद के कारण बनते हैं। इसमें आपकी जीवन शैली भी शामिल है,समय पर सोना-उठना समय पर खाना ना हो तो भी आप धीरे-धीरे अवसाद की जकड़ में फंस सकते हैं।

पाश्चात्य संस्कृति का प्रचलन

आजकल लोगों ने अपने रहन-सहन वेशभूषा खानपान इत्यादि में सब कुछ पश्चात संस्कृति को अपनाना शुरू कर दिया है. उन्हें बाहरी रूप से यह अच्छी लग रही हैं पर यह सब एक मीठे जहर की तरह काम कर रही है। आप देखिए उन जगहों को जहां वह रहते हैं! सबसे ज्यादा अवसाद में वही लोग है।बाहरी देशों में एक उदाहरण जापान है वहां के 70% लोग डिप्रेशन का शिकार हैं उनके पास आपस में बात करने तक को कोई नहीं है। वहां के लोग बात करने के लिए भी पैसा देकर रोबोट रखते हैं आप सोचिए वो लोग कितने अवसाद में है और कैसी स्थिति से गुजर रहे होंगे। अंत मे वह लोग अवसाद से निकलने के लिए भारत का ही रुख कर रहे हैं यहां आकर गांव में रहना, गांव का शुद्ध भोजन करना, समय पर सोना ,समय पर उठना इस दिनचर्या को अपना रहे हैं और अपने को अवसाद जैसी गंभीर बीमारियों से बचा रहे हैं।

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आधुनिकीकरण से बढ़ता अवसाद

आपने देखा होगा कि 2020 के बाद युवाओं में अवसाद बढ़ने के प्रतिशत में वृद्धि हुई है। इसका एक कारण यह भी है कि कोरोना के बाद से बड़ी-बड़ी कंपनियों के द्वारा अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए अनुमति देना। उस वक्त यह हर प्रकार से सही भी था, परंतु बाद मे ज़ब व्यक्ति घर में कमरे में बैठे-बैठे सुबह से शाम तक अपना काम करता है ना उसे आपस में कोई मित्र बात करने को मिलता है ना अपनी परेशानियों को सुलझाने को। वह मित्रों के बीच रहकर जितनी हंसी मजाक करता है,उसे ये सब करने के लिए घर पर वह माहौल नहीं मिल पाता है और ना ही अपना साथ। वह इस दिनचर्या का लगातार पालन करता है और इसी कारण ज्यादा युवा जो वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं अवसाद का शिकार बनते जा रहे हैं।

 भारतीय संस्कृति का अनुसरण करना

भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता से अवसाद को पूर्ण रूप से खत्म किया जा सकता है। हमारे ऋषि मुनियों से प्रदत्त योग, प्राणायाम का इसमें महत्वपूर्ण योगदान है। आपको अगर चिंता एवं अवसाद के लक्षण दिखे तो आप, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, नित्य कर्म से निवृत होकर,कुछ समय योग आसन एवं प्राणायाम करें। आप ओंकार का नाद करें। यह सब अवसाद को दूर करने में बहुत ही कारगर है। आप 10 मिनट ध्यान करना शुरू करें, श्रीमद्भागवत, भगवत गीता, जैसे महान ग्रंथों का अध्ययन कर सकते हैं। विश्व की 100 सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों में से एक परमहंस योगानंद जी की विलक्षण जीवनी “योगी कथामृत”( एक योगी की आत्मकथा) पढ़ें। भारत भूमि पर ऐसे अनेक योगी महात्मा हुए हैं,जिनकी जीवनी पढ़कर आपको पता चलेगा कि जिस दुख से आप अवसाद के शिकार हुए हैं, उससे कई गुना ज्यादा दुःख सहकर इन महात्माओं ने इस भूमि के अनगिनत लोगों का जीवन बदल दिया। आप सोचिए महाभारत के युद्ध में अपने ही सगे संबंधियों एवं प्रियजनों को मारकर उन्हें खोकर अर्जुन कितने गहरे अवसाद में होंगे! जो युद्ध भूमि छोड़कर जाने लगे थे, परंतु भगवान कृष्ण के उस गीता ज्ञान ने उनका अवसाद, चिंता,भय उसी रणभूमि में समाप्त कर दिया था। कुछ समय तक यह सब करके पढ़ के आप अपने को पहले से स्वस्थ एवं खुश पाएंगे।

श्री श्री परमहंस योगानंद जी ने भी कहा है-

एक शक्ति है जो स्वास्थ्य,सुख,शांति और सफलता की ओर ले जाने वाले मार्ग को आपके लिए प्रकाशमान कर सकती है,यदि आप उस प्रकाश की ओर उन्मुख हों।।

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Hemant Upadhyay
Hemant Upadhyayhttps://chaiprcharcha.in/
Hemant Upadhyay एक शिक्षक हैं जिनके पास 7 से अधिक वर्षों का अनुभव है। साहित्य के प्रति उनका गहरा लगाव हमेशा से ही रहा है, वे कवियों की जीवनी और उनके लेखन का अध्ययन करने में रुचि रखते है।, "चाय पर चर्चा" नामक पोर्टल के माध्यम से वे समाज और साहित्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं और इन मुद्दों के बारे में लिखते हैं ।

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4 COMMENTS

  1. बहुत ही लाभदायक जानकारी। अत्यन्त सुन्दर कार्य हेमन्त जी।

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