चमोली: उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित भगवान बदरी विशाल के पवित्र धाम बदरीनाथ मंदिर के कपाट आज मंगलवार को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए विधिवत रूप से बंद कर दिए जाएंगे। इसके साथ ही इस वर्ष की बदरीनाथ यात्रा का औपचारिक समापन हो जाएगा। उत्तराखंड के पंच बदरी धामों में मुख्य माने जाने वाले इस मंदिर में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से दर्शन करने आते हैं। शीतकाल की कठोरता को देखते हुए नवंबर माह के अंत में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और फिर अगले वर्ष अप्रैल-मई में भगवान के दर्शनों के लिए पुनः खोल दिए जाते हैं। इस बार कपाट बंद होने से पूर्व मंदिर परिसर को लगभग दस क्विंटल ताजे फूलों से भव्य रूप से सजाया गया है। रंग-बिरंगे फूलों से सजी बदरीनाथ नगरी का दृश्य मनमोहक हो उठा है।
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मंदिर के मुख्य पुजारी (रावल) और धर्माधिकारी की अगुवाई में पारंपरिक विधि-विधान अनुसार पूजा-अर्चना संपन्न कर कपाट बंद करने की तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। तीर्थ पुरोहित, हक-हकूकधारी और सीमित संख्या में श्रद्धालु इस धार्मिक अनुष्ठान के साक्षी बने।21 नवंबर से ही बदरीनाथ धाम में पंच पूजाओं का क्रम शुरू हो गया था, जिसमें गणेश पूजन, कूबेर पूजन, उद्धव-नारायण पूजन, आदि केदारेश्वर व आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी पूजन शामिल रहे। इन सभी पूजाओं के संपन्न होने के बाद कपाट बंद करने की अंतिम प्रक्रिया आज पूर्ण हुई। सोमवार को कपाट बंद होने से पूर्व माता लक्ष्मी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई। परंपरा के अनुसार कपाट बंद होने के बाद भगवान बदरी विशाल की पूजा जोशीमठ स्थित योगध्यान बदरी मंदिर में सर्दियों के दौरान की जाएगी।
कपाट बंद होने के साथ ही मंदिर में वेद ऋचाओं का वाचन व नित्यपूजन भी बंद हो गया है। कहा जाता है कि कपाट बंद होने के बाद भगवान बदरी विशाल शीतकाल के दौरान योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि में बदरीनाथ क्षेत्र बर्फ की चादर से ढक जाता है और तापमान शून्य से नीचे चला जाता है।धर्मशास्त्रों में बदरीनाथ धाम को मोक्षप्रदायक तीर्थ कहा गया है। यह उत्तराखंड के चार धामों – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ – में सबसे अंतिम धाम है, जिसे ‘चार धाम यात्रा’ का समापन स्थल भी कहा जाता है। हर वर्ष कपाट खुलने और बंद होने के अवसर पर देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।बदरीनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही अब हिमालयी क्षेत्र के सभी चार धाम – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ – शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं। राज्य सरकार और बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा श्रद्धालुओं की सुरक्षा, सुविधा और धार्मिक कार्यक्रमों के सफल संचालन के लिए विशेष व्यवस्थाएँ की गई थीं।
बदरीनाथ धाम का यह वार्षिक क्रम श्रद्धा, आस्था और परंपरा की एक अद्भुत मिसाल है। हर वर्ष कपाट बंद होने का क्षण भक्ति और भावनाओं से लबरेज होता है। मंदिर के कपाट अब छह महीने बाद खुलेंगे, जब फिर से बदरीपुरी नगरी में ‘जय बदरी विशाल’ के जयकारे गूंजेंगे और श्रद्धालु पुनः भगवान के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे।