चौखुटिया: संस्कृत की मधुर ध्वनियों में जब भावना और भाव का संगम होता है, तो वह केवल भाषा नहीं, एक अनुभव बन जाती है। यही अनुभव जिला स्तरीय कनिष्ठ वर्ग श्लोक उच्चारण प्रतियोगिता में नन्ही छात्रा उत्कर्षा ने सबको कराया। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में विज़डम कान्वेंट स्कूल चौखुटिया की कक्षा 6 रमन की छात्रा उत्कर्षा ने प्रथम स्थान प्राप्त कर पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया। कड़े प्रतिस्पर्धी माहौल के बीच उत्कर्षा का आत्मविश्वास और स्वरों की स्पष्टता पूरे मंच पर गूंज उठी। संस्कृत श्लोकों के प्रति उनकी समर्पण भावना ने न केवल निर्णायकों को प्रभावित किया, बल्कि दर्शकों को भी मंत्रमुग्ध कर दिया। जब परिणाम घोषित हुए तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा—मानो सभी एक स्वर में इस प्रतिभाशाली बालिका की मेहनत और लगन को नमन कर रहे हों।
विद्यालय में यह उपलब्धि सुनते ही हर्ष का माहौल छा गया। विज़डम कान्वेंट स्कूल चौखुटिया के प्रबंधक और शिक्षकों ने इसे विद्यालय के लिए “गौरव का क्षण” बताया। उन्होंने कहा कि उत्कर्षा ने अथक अभ्यास, अनुशासन और संस्कृत के प्रति गहरे लगाव से यह सफलता अर्जित की है। सहपाठियों ने भी गर्व से कहा कि उत्कर्षा ने साबित किया है—मेहनत उम्र नहीं देखती, केवल समर्पण देखती है। उत्कर्षा के घर में तो जैसे उत्सव का माहौल है। माता-पिता की आंखों में गर्व के आसू और मुस्कान दोनों झलक रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि उनके परिवार के लिए अमूल्य है और यह साबित करती है कि छोटे कस्बे के बच्चे भी अपनी प्रतिभा और मेहनत से बड़े-बड़े मंच जीत सकते हैं।
संस्कृत आज भले ही तकनीकी युग में कम बोली जाती हो, लेकिन उत्कर्षा जैसी छात्राएँ इसे जीवित रखने का संकल्प बनकर उभर रही हैं। वह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, जिन्होंने यह संदेश दिया है कि यदि मन में लक्ष्य और लगन हो तो उम्र या कस्बा कोई सीमा नहीं होता।विज़डम कान्वेंट स्कूल परिवार ने उत्कर्षा को हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह केवल शुरुआत है, आगे और भी ऊँचाइयाँ उनका इंतज़ार कर रही हैं। विद्यालय ने यह भी जताया कि ऐसे आयोजनों से विद्यार्थियों में भाषा, संस्कृति और परंपराओं के प्रति प्रेम जागृत होता है।नन्ही उत्कर्षा ने अपनी मधुर वाणी और आत्मविश्वास से यह सिद्ध कर दिया कि “संस्कृत केवल भाषा नहीं, हमारी संस्कृति की आत्मा है।” उनकी सफलता ने चौखुटिया को नई पहचान दी है—एक ऐसी भूमि की, जहां नन्हे-नन्हे कदम भी बड़ी मिसालें गढ़ने की क्षमता रखते हैं।
