चौखुटिया: उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की मांग को लेकर जारी ‘ऑपरेशन स्वास्थ्य’ आंदोलन ने आज 24वें दिन भी रफ्तार बनाए रखी। राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा को लेकर उठ रही आवाज़ अब पदयात्रा के रूप में राजधानी तक पहुँचने लगी है। इसी क्रम में अल्मोड़ा जनपद के चौखुटिया क्षेत्र से 26 सदस्यीय टीम देहरादून की ओर पैदल यात्रा पर रवाना हुई है। आंदोलकारियों का कहना है कि जब तक राज्य सरकार ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ नहीं करती, यह आंदोलन जारी रहेगा।
आंदोलन से जुड़े प्रतिनिधियों ने बताया कि ‘ऑपरेशन स्वास्थ्य’ का उद्देश्य किसी राजनीतिक स्वार्थ से नहीं, बल्कि जनहित से प्रेरित है। ग्रामीण इलाकों में चिकित्सकों की भारी कमी, खाली पदों पर नियुक्ति न होने, एम्बुलेंस सेवाओं की खस्ता हालत और दवा आपूर्ति में लापरवाही जैसी समस्याओं ने लोगों का जीवन कठिन बना दिया है। चौखुटिया से शुरू हुई यह पदयात्रा इन जमीनी वास्तविकताओं को राजधानी तक पहुंचाने का प्रतीक बन गई है।
आंदोलनकारियों का समूह स्थानीय जनता और सामाजिक संगठनों से अपील कर रहा है कि वे इस मुहिम को समर्थन दें, ताकि राज्य की स्वास्थ्य नीतियों में ठोस सुधार हो सके। पदयात्रा में शामिल प्रतिभागियों में शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, युवाओं और स्वास्थ्यकर्मियों का समूह है, जो गांव-गांव जनता से संवाद करते हुए आगे बढ़ रहा है। प्रत्येक पड़ाव पर वे जनसभाएं और चर्चाएं कर रहे हैं, जहां लोग खुले तौर पर अपने अनुभव साझा कर रहे हैं।
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‘ऑपरेशन स्वास्थ्य’ मंच के संयोजकों ने कहा कि पर्वतीय जिलों में बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे की स्थिति बेहद चिंताजनक है। कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उपकेंद्र वर्षों से बिना डॉक्टर के चल रहे हैं। मरीजों को छोटी बीमारियों के इलाज के लिए भी जिला मुख्यालय तक पहुंचना पड़ता है, जिससे समय और धन दोनों की हानि होती है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द ही डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया चलाई जाए, हर ब्लॉक में पर्याप्त एम्बुलेंस की व्यवस्था हो, और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में दवाओं की नियमित उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
उधर, स्थानीय ग्रामीण भी आंदोलन के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं। लोगों का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं ठीक हो जाएं तो पलायन पर भी रोक लग सकती है। अधिकांश परिवार इलाज के लिए मैदानी क्षेत्रों की ओर रुख करते हैं, जिससे आर्थिक बोझ और मानसिक तनाव दोनों बढ़ते हैं। पदयात्रा दल के सदस्यों का कहना है कि वे आने वाले दिनों में देहरादून पहुंचकर मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य सचिव को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपेंगे। आंदोलनकारी सभी रास्तों पर जनसंपर्क करते हुए पोस्टर, बैनर और नारों के माध्यम से संदेश दे रहे हैं कि “स्वास्थ्य कोई दया नहीं, अधिकार है।”
‘ऑपरेशन स्वास्थ्य’ अब सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि जनआवाज़ बन चुका है। पहाड़ के गांवों से निकल रही यह पुकार सरकार को यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या वास्तव में राज्य के हर नागरिक को समान स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पा रही हैं या नहीं। चौखुटिया से देहरादून की यह पदयात्रा इस सवाल का उत्तर खोजने का प्रतीक बन गई है, जिसमें उम्मीद की किरण यह है कि जनता की एकजुटता बदलाव का मार्ग अवश्य खोलेगी।
