नई दिल्ली: भारत में आने वाले दिनों में मौसम का मिजाज करवट ले सकता है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने संकेत दिए हैं कि अक्टूबर से ला नीना की स्थिति बनने की संभावना है। विशेषज्ञों के अनुसार, ला नीना के चलते इस बार सर्दियां सामान्य से अधिक कड़ाके की रहने की उम्मीद है। वहीं पहाड़ी इलाकों में समय से पहले और अधिक बर्फबारी देखने को मिलेगी। यह भारत के उत्तरी हिस्सों के साथ-साथ मध्य और पूर्वी क्षेत्रों के मौसम को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगा।
क्या है ला नीना
ला नीना एक समुद्र-वायुमंडलीय घटना है, जो प्रशांत महासागर के भूमध्यीय क्षेत्र में समुद्र सतह के सामान्य से ठंडा होने के कारण पैदा होती है। इसके चलते वायुमंडलीय दबाव और पवन चक्रों में बदलाव आता है। इस घटना का सीधा असर दुनिया भर के मौसम पर पड़ता है। भारत में ला नीना की स्थिति प्रायः ठंडी सर्दियों और अच्छी बारिश का संकेत देती है।
IMD की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि अक्टूबर से ला नीना की संभावना प्रबल हो रही है। फिलहाल प्रशांत महासागर में समुद्र सतह के तापमान सामान्य से नीचे दर्ज हो रहे हैं। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो नवंबर से फरवरी तक का समय भारत में सामान्य से ज्यादा ठंड भरा हो सकता है। खासकर उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में तापमान अचानक नीचे गिरने के आसार हैं।
पहाड़ों में भारी बर्फबारी
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में इस बार समय से पहले बर्फबारी हो सकती है। अक्टूबर के आखिर से ही ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी शुरू होने की संभावना है। दिसंबर और जनवरी में यह बर्फबारी सामान्य वर्षों की तुलना में ज्यादा भारी और लंबे समय तक चल सकती है। इसके चलते पहाड़ी राज्यों में यातायात प्रभावित होगा और स्थानीय लोगों की दिनचर्या पर भी असर पड़ेगा।
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उत्तरी भारत में ठंड का प्रकोप
उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार में कड़ाके की ठंड पड़ने की चेतावनी दी गई है। इन इलाकों में जनवरी-फरवरी तक तापमान सामान्य से कई डिग्री नीचे जा सकता है। राजधानी दिल्ली समेत बड़े शहरों में कोहरा और शीतलहर की मार इस बार और भी तीव्र होगी। विशेषज्ञों ने कहा है कि ऐसे हालात में बुजुर्गों और बच्चों को विशेष सतर्कता रखनी होगी।
खेती पर असर
ला नीना का असर खेती पर भी दिख सकता है। चूंकि यह घटना सामान्य से ज्यादा ठंड और कभी-कभी अधिक नमी का कारण बनती है, ऐसे में फसलों पर भी मिलाजुला असर पड़ेगा। गेंहूं जैसी रबी की फसलों को ठंड से फायदा मिल सकता है, वहीं सब्जियों और बागवानी की फसलों पर पाले का संकट भी मंडरा सकता है।
आम जनता के लिए सलाह
- IMD ने लोगों से अपील की है कि आने वाली कड़ाके की ठंड और मौसम में संभावित बदलाव के लिए तैयारी अभी से शुरू कर दें।
- पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोग पहले से ही जरूरी सामान, दवाइयों और ईंधन का इंतजाम कर लें।
- मैदानी इलाकों में कोहरे और शीतलहर के चलते स्वास्थ्य और सड़क सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी गई है।
- किसानों को सलाह दी गई है कि वे कृषि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में ही फसलों की बुवाई और सुरक्षा के लिए कदम उठाएं।