नेपाल: नेपाल की राजनीति एक बार फिर बड़े उथल-पुथल से गुजर रही है। प्रधानमंत्री पद से के.पी. शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद अब राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी अपना पद छोड़ दिया है। लगातार इस्तीफों और राजनीतिक संकटों के बीच पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा पर हुआ हमला हालात को और गंभीर बना रहा है। नेपाल की राजनीति न सिर्फ अनिश्चितता से जूझ रही है बल्कि इससे देश की स्थिरता और लोकतांत्रिक ढांचे पर भी गहरे सवाल खड़े हो गए हैं।
ओली के इस्तीफे के बाद बढ़ा संकट
कुछ ही घंटे पहले नेपाल के वरिष्ठ व प्रभावशाली नेता के.पी. शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। उनके इस्तीफे की वजह सत्ताधारी गठबंधन में बढ़ते मतभेद और सरकार पर अविश्वास का संकट रही। ओली लंबे समय से राजनीतिक समीकरणों को साधने में लगे थे, लेकिन पार्टी के भीतर उठते विरोध की वजह से उन्हें सत्ता से हटना पड़ा। ओली का जाना नेपाली राजनीति के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि वह लंबे समय से देश की सत्ता संतुलन को नियंत्रित करने वाले नेता माने जाते रहे। उनके इस्तीफे ने यह भी संकेत दिया कि अब नेपाल में सत्ता समीकरण पूरी तरह बदलने वाले हैं।
राष्ट्रपति पौडेल का इस्तीफा
प्रधानमंत्री के बाद राष्ट्रपति पद पर बैठे रामचंद्र पौडेल का इस्तीफा और ज्यादा चौकाने वाला कदम रहा। राष्ट्रपति पद देश की स्थिरता का प्रतीक माना जाता है, लेकिन पौडेल ने अचानक पद छोड़कर राजनीतिक हलचल को और बढ़ा दिया है। सूत्रों के अनुसार, पौडेल पर भी सत्ता संतुलन बनाए रखने का दबाव था, मगर लगातार बदलते हालात और राजनीतिक दबाव को देखते हुए उन्होंने पद से हटने का फैसला लिया। उनके इस्तीफे ने यह संकेत दिया है कि नेपाल में अब नया शक्ति-संरचना उभरने वाली है।
पूर्व प्रधानमंत्री देउबा पर हमला
इसी बीच राजनीतिक घटनाक्रम के बीच पूर्व प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शेर बहादुर देउबा पर हमला होना बेहद गंभीर मामला है। वह एक सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हो रहे थे, तभी अज्ञात हमलावरों ने उन पर हमला कर दिया। हालांकि सुरक्षा बलों ने भीड़ को नियंत्रित कर लिया और देउबा को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया। रिपोर्टों के मुताबिक, उन्हें चोटें आई हैं लेकिन अब स्थिति स्थिर बताई जा रही है। देउबा नेपाली राजनीति के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं में गिने जाते हैं। उन पर हुए इस हमले को विपक्षी राजनीति कमजोर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
अस्थिर भविष्य की आहट
प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़े इन घटनाक्रमों ने साफ कर दिया है कि नेपाल एक बार फिर गहरे राजनीतिक संकट में प्रवेश कर चुका है। सत्ता संघर्ष, गठबंधन की टूट-फूट और लगातार बढ़ते असंतोष से नेपाल का लोकतांत्रिक ढांचा डगमगा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन बड़े नेताओं के क्रमिक हटने और हमलों से सुरक्षा व स्थिरता पर खतरा बढ़ गया है। नेपाल की जनता पहले से ही आर्थिक संकट और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रही है, ऐसे में लगातार उभर रही राजनीतिक अस्थिरता देश को और मुश्किलों में डाल देगी।