रानीखेत: उत्तराखंड में मानसून ने दस्तक दे दी है. पिछले 5 दिनों से प्रदेश के मैदानी जिलों समेत पर्वतीय क्षेत्रों पर लगातार बारिश का सिलसिला जारी है. जिसके चलते खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में कई जगहों पर आपदा जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. भारी बारिश के चलते प्रदेश की तमाम नदियां और नाले उफान पर हैं। शनिवार देर रात ताड़ीखेत के पास ब्रिटिशकालीन पुलिया के धराशायी हो जाने से रानीखेत-रामनगर-बद्रीनाथ स्टेट हाईवे पर आवाजाही थम गई है। इस घटना ने न केवल यात्रियों को असुविधा में डाल दिया है बल्कि क्षेत्र के ग्रामवासियों के लिए भी कठिनाईयों का पहाड़ खड़ा कर दिया है।
पुलिया टूटी, मार्ग ठप
ताड़ीखेत के निकट स्थित यह पुलिया दशकों पुरानी थी और ब्रिटिशकालीन निर्माण का हिस्सा मानी जाती थी। शनिवार देर रात जोरदार बारिश के बीच अचानक यह पुलिया धराशायी हो गई। सुबह जब ग्रामीणों और वाहन चालकों ने टूटी हुई पुलिया देखी तो अफरातफरी मच गई। सड़क पर यातायात पूरी तरह थम गया और सैकड़ों वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। इस मार्ग से रानीखेत, ताड़ीखेत और रामनगर के बीच दैनिक यातायात होता है। वहीं, बद्रीनाथ की ओर जा रहे मालवाहक और श्रद्धालु भी इसी रास्ते से गुजरते हैं। पुलिया के टूटते ही सबसे बड़ा नुकसान आम जनता और यात्रियों को हुआ है, जिन्हें अब गंतव्य तक पहुँचने के लिए लंबा चक्कर लगाना पड़ेगा।
यह भी पढ़ें:- हल्द्वानी में बड़ा हादसा टला, नीलकंठ हॉस्पिटल के मालिक डॉ. गौरव सिंघल की कार में लगी अचानक आग, सुरक्षित बचे डॉक्टर
ग्रामीणों की परेशानी बढ़ी
इस मार्ग से भतरोंजखान, सौनी, बिनसर सहित कई ग्रामीण क्षेत्रों का मुख्यालयों से संपर्क बना रहता है। पुलिया के टूटने से ग्रामीणों का रानीखेत और ताड़ीखेत ब्लॉक मुख्यालय आना-जाना दूभर हो गया है। ग्रामीण अक्सर स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, बाजार और प्रशासनिक कार्यों के लिए रानीखेत और ताड़ीखेत आते-जाते हैं। अब इन्हें इन सेवाओं तक पहुँचने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आपात स्थिति में बीमार और गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पताल तक पहुँचाना भी चुनौती बन गया है।
पर्यटन एवं चारधाम यात्रा पर असर
उत्तराखंड का यह इलाका पर्यटन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। रानीखेत और आसपास के क्षेत्र हर साल हजारों सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसके अलावा, चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालु इसी मार्ग से बद्रीनाथ की ओर बढ़ते हैं। पुलिया टूटने से टैक्सियों और यात्रा से जुड़े वाहनों का संचालन बाधित हुआ है। इससे न केवल यात्रा से जुड़े यात्रियों को असुविधा हो रही है बल्कि पर्यटन उद्योग और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। होटल, टैक्सी चालक और दुकानदारों की आय इस रुकावट से प्रभावित होना तय है।
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोग वन विभाग और प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। अब सबसे बड़ा प्रश्न आवाजाही बहाल करने का है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि पुलिया लंबे समय से जर्जर अवस्था में थी और इसके रखरखाव की अनदेखी की गई। अगर समय रहते मरम्मत की गई होती तो शायद यह स्थिति उत्पन्न न होती। अब प्रशासन के सामने युद्धस्तर पर वैकल्पिक मार्ग तैयार करने और नई पुलिया के निर्माण की चुनौती है। बरसात के मौसम को देखते हुए स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।