उत्तरकाशी: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा हमेशा बना रहता है। इस बार उत्तरकाशी जनपद के नौगांव बाजार की स्योरी फल पट्टी में बादल फटने की घटना ने लोगों को गहरी दहशत और संकट में डाल दिया। अचानक आसमान से बरसी आफत ने धीरे-धीरे फलपट्टी की खुशहाल तस्वीर को मलबे और तबाही से भर दिया।
घटनास्थल की स्थिति
शनिवार देर शाम बादल फटने की घटना से देवलसारी गदेरे का जलस्तर अचानक बढ़ गया। गदेरे के तेज बहाव में एक आवासीय भवन पूरी तरह दब गया, जबकि आधा दर्जन से अधिक भवनों में पानी घुसने से भारी नुकसान हुआ। स्थानीय लोगों ने बताया कि पानी और मलबे की रफ्तार इतनी तेज थी कि लोगों को अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़कर सुरक्षित जगहों की ओर भागना पड़ा।
देवलसारी गदेरे में कई निजी संपत्तियां बह गईं। एक मिक्चर मशीन, कई दुपहिया वाहन पानी के तेज बहाव में बह गए, जबकि एक कार मलबे में दब गई। इससे स्थानीय व्यापारियों और परिवारों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा है।
ग्रामीणों में दहशत
घटना के बाद स्योरी फल पट्टी के लोग गहरी दहशत में हैं। अचानक आई इस आपदा से न केवल घर उजड़े बल्कि वर्षों की मेहनत से बनाए गए फल बगीचे और खेती भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। संकट बढ़ता देख कई परिवारों ने अपने घर खाली कर दिए और सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी। जिन घरों में लोग रह रहे थे, वहां भी रातभर भय और चिंता का माहौल बना रहा।
प्रशासन की मुस्तैदी
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन दल मौके पर पहुंच गए। राहत और बचाव अभियान तेजी से चलाया गया। प्रभावित इलाकों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। प्रशासन की ओर से क्षति का आकलन शुरू कर दिया गया है। प्राथमिक स्तर पर प्रभावित परिवारों को खाने, रहने और जरूरी सामान की व्यवस्था की जा रही है।
स्थानीय प्रशासन ने चेतावनी जारी करते हुए आसपास के गांव और बस्तियों को सतर्क रहने की सलाह दी है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश की संभावना बनी हुई है, जिससे खतरा और भी बढ़ सकता है।
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प्राकृतिक आपदा और चेतावनी
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी प्रदेश में बादल फटना कोई नई बात नहीं है। हर साल बरसात के मौसम में ऐसी घटनाओं से जन-जीवन प्रभावित होता है। लेकिन बार-बार घटने वाली इन आपदाओं से यह स्पष्ट है कि पहाड़ पर बसने वाले लोगों को लगातार सतर्क और तैयार रहने की जरूरत है। भूगोल और मौसम की परिस्थितियां यहां के लोगों को हमेशा चुनौती देती रही हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि अनियंत्रित शहरीकरण, जंगलों का कटान और जलवायु परिवर्तन भी इन आपदाओं से नुकसान को बढ़ा रहे हैं। ऐसे में आपदा प्रबंधन प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में नुकसान को समय रहते कम किया जा सके।
पीड़ितों की आवाज
स्थानीय लोगों ने दुख और निराशा भरे शब्दों में अपनी व्यथा सुनाई। किसी ने अपनी छत खो दी, तो किसी ने अपने सपनों का सहारा। वाहनों और मशीनों के मलबे में दब जाने से मजदूर और व्यापारी भी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। प्रभावित लोगों का कहना है कि सरकारी मदद जरूरी है, क्योंकि अपने दम पर इतना बड़ा नुकसान संभाल पाना संभव नहीं है।