मुंबई: मुंबई ने अपने इतिहास में आतंक के कई काले अध्याय देखे हैं। 1993 के सिलसिलेवार बम धमाकों से लेकर 26/11 के खूनी हमले तक, इस शहर ने बार-बार आतंकवाद के तांडव का सामना किया है। अब एक बार फिर देश की आर्थिक राजधानी को बम से उड़ाने की धमकी मिली है। खास बात यह है कि इस बार धमकी सुसाइड बॉम्बिंग यानी ‘मानव बम’ हमले की दी गई है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और भी बढ़ा दी है।
सूत्रों के मुताबिक, यह धमकी भरा संदेश मुंबई पुलिस की ट्रैफिक पुलिस के आधिकारिक व्हाट्सएप नंबर पर भेजा गया है। संदेश भेजने वाले ने दावा किया है कि शहर में किसी भी समय आत्मघाती हमला हो सकता है। इस खबर ने न केवल पुलिस प्रशासन को हिला दिया है बल्कि आम नागरिकों के बीच भी भय और बेचैनी का माहौल बना दिया है।
धमकी का माध्यम, तकनीक का बदलता चेहरा
आतंकी संगठनों और अराजक तत्वों के लिए तकनीक अब सबसे आसान हथियार बन गई है। पहले जहां धमकियां पत्र या फोन कॉल के माध्यम से दी जाती थीं, वहीं अब ज्यादा तरजीह सोशल मीडिया और मैसेजिंग एप्स को दी जा रही है। इस बार ट्रैफिक पुलिस की आधिकारिक हेल्पलाइन को निशाना बनाकर संदेश भेजा गया है।
यह संकेत देता है कि धमकी भेजने वाला व्यक्ति मुंबई पुलिस के तंत्र को बखूबी समझता है और जानबूझकर उन्हीं नंबरों को टारगेट कर रहा है जो रोज़ाना आम जनता और पुलिसकर्मियों से जुड़े रहते हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि तकनीक के गलत इस्तेमाल से सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है।
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पुलिस और खुफिया एजेंसियों की कार्रवाई
धमकी मिलने के बाद मुंबई पुलिस ने तुरंत इसे गंभीरता से लिया और मामला क्राइम ब्रांच तथा एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (ATS) को सौंपा। सायबर सेल की टीम भी सक्रिय हो गई है और संदेश को ट्रेस करने का काम शुरू कर दिया गया है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि संदेश किस क्षेत्र से भेजा गया, किस सर्विस प्रोवाइडर का इस्तेमाल किया गया और इसके पीछे किसका हाथ है – इन सब तथ्यों की पड़ताल की जा रही है। इसके अलावा मुंबई की संवेदनशील जगहों जैसे रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, पूजा स्थल, मॉल्स और भीड़भाड़ वाले इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
जनता की सुरक्षा पर नए सवाल
हर बार जब ऐसी धमकी मिलती है, सबसे बड़ा सवाल जनता की सुरक्षा का होता है। मुंबई जैसे शहर में लाखों लोग रोजाना लोकल ट्रेन से सफर करते हैं। बाजारों, ऑफिसों और स्कूल-कॉलेजों में हमेशा भीड़ रहती है। ऐसे में सुरक्षा का तंत्र कितना मजबूत है और किसी संभावित हमले से लोगों को कैसे बचाया जा सकता है, यह चुनौती लगातार खड़ी होती रहती है।
सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल पुलिस और खुफिया तंत्र पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। आम नागरिकों की जागरूकता और सहयोग भी बेहद जरूरी है। यदि कोई संदिग्ध व्यक्ति या सामान दिखाई दे तो तुरंत पुलिस को सूचना देना आवश्यक है।
आत्मघाती हमले का खतरा, क्यों है अधिक गंभीर?
धमाकों से अधिक खतरनाक माने जाते हैं आत्मघाती हमले। इसमें हमलावर खुद को भी हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है। ऐसे हमले अचानक होते हैं और अक्सर इन्हें रोकना मुश्किल होता है। यही वजह है कि इस बार दी गई धमकी ने प्रशासन की चिंता दोगुनी कर दी है।
भारत भले ही अब तक बड़े पैमाने पर आत्मघाती हमलों से बचा रहा हो, लेकिन पड़ोसी देशों में हुए ऐसे कई हमले बताते हैं कि यह कितना विनाशकारी तरीका है। भीड़भाड़ वाले इलाकों में यदि ऐसा हमला होता है तो जानमाल की भारी तबाही हो सकती है।
मुंबई: आतंकियों के निशाने पर क्यों?
मुंबई केवल देश की आर्थिक राजधानी ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र भी है। यही वजह है कि आतंकवादी संगठनों की निगाहें हमेशा इस शहर पर रहती हैं। यहां कोई भी हमला वैश्विक सुर्खियां बटोरता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि पर असर डालता है। इसके अलावा यह शहर व्यापारिक दृष्टि से भी बेहद संवेदनशील है। यहां होने वाला कोई भी नुकसान सीधे-सीधे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।
क्या सिर्फ धमकी या वास्तविक खतरा?
पिछले कुछ वर्षों में कई बार मुंबई पुलिस को इस तरह की धमकियां मिल चुकी हैं। जांच में कई बार ये झूठी धमकियां साबित हुई हैं, जिनका मकसद सिर्फ दहशत फैलाना था। लेकिन सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि किसी भी धमकी को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है।