देहरादून: उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश और बाढ़ का तांडव इस साल जनजीवन पर गहरा असर डाल रहा है। राज्य के अनेक जिलों में भारी बारिश, जलभराव, भूस्खलन और बाढ़ की वजह से हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और सभी जिलाधिकारियों को राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से विशेष निर्देश मिले हैं कि वे सतर्क रहें और दुर्घटनाओं से निपटने की पूरी तैयारी रखें।
मौसम विभाग की चेतावनी और अलर्ट
मौसम विभाग द्वारा अगस्त से सितंबर 2025 के दौरान देहरादून, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, नैनीताल और अन्य कई जिलों में रेड, ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किया गया है। एक सितंबर को देहरादून, पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल में रेड अलर्ट और अन्य जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी रहा। दो सितंबर को भी कुछ इलाकों में भारी बारिश के आसार हैं, जबकि तीन सितंबर तक येलो अलर्ट की स्थिति बनी रहेगी।
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प्रशासन की तैयारियां और निर्देश
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर सतर्क रहने के लिए कहा है, विशेषकर निचले इलाकों में बाढ़ और पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। बाढ़ की चेतावनी को दृष्टिगत रखते हुए नदी-नालों, पुलों, और सड़कों की निगरानी बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने सभी संबंधित विभागों—जैसे लोनिवि, पेयजल, पुलिस, नगर निकाय आदि—को निर्देशित किया है कि जरूरी संसाधन तैयार रखें और किसी भी तरह की अवरोधक स्थिति के लिए त्वरित प्रतिक्रिया दें।
जनजीवन पर असर
इस भारी बारिश और बाढ़ ने पर्वतीय जिलों में जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई जगहों पर बादल फटने, भूस्खलन, पुल और सड़कें क्षतिग्रस्त होने से आवागमन ठप हो रहा है। कई लोगों के घरों में मलबा भर गया है, खेत और संपत्ति को नुकसान पहुँचा है, और बिजली-पानी जैसी बुनियादी सेवाएँ भी बाधित हो रही हैं। नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर जाने से प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
राहत व बचाव कार्य
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद हालात की निगरानी करते हुए जिलाधिकारियों को फौरन राहत कार्यों के आदेश दिए हैं। प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस टीमों को तैनात किया गया है। साथ ही, स्थानीय लोगों को अत्यधिक बारिश के समय नदी-नालों के पास न जाने की सलाह दी गई है। पर्यटकों के लिए भी ऊंचाई वाले इलाकों की यात्रा फिलहाल स्थगित रखने को कहा गया है।
चुनौतियां का सामना करे और सावधानियां बरते
उत्तराखंड में बरसात के मौसम में हर साल इस तरह की आपदाएँ सामने आती हैं, लेकिन लगातार बढ़ रही बारिश और बदलते मौसम के रुख ने खतरा और बढ़ा दिया है। सरकार ने जिला प्रशासन को आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण, उपकरणों की उपलब्धता, और स्कूलों-कॉलेजों के समय पर बंद करने के निर्देश दिए हैं, ताकि जान-माल की हानि को कम किया जा सके। साथ ही, आम नागरिकों, ग्राम पंचायतों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं को आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं।
उत्तराखंड में इस समय बारिश और बाढ़ का संकट बड़ा है, लेकिन प्रशासन सतर्क और तैयार है। शासन-प्रशासन के संयुक्त प्रयास, समय पर चेतावनी, और जनता की सजगता के जरिए इस आपदा से प्रभावों को नियंत्रित करने की कोशिश जारी है। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि आवश्यकता अनुसार संसाधनों की आपूर्ति, त्वरित राहत और मुआवजा सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि प्रदेशवासियों की सुरक्षा और पुनर्वास में कोई कमी न रहे।