हरिद्वार: हरिद्वार में शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में हुई महत्त्वपूर्ण बैठक ने अर्धकुंभ 2027 की तैयारियों को नई दिशा दे दी। अखाड़ों के बीच चल रही रार और पूर्व में उठी आपत्तियों पर आज संतों ने सहमति जताकर बड़ा संकेत दिया है कि अब आने वाला कुंभ मेल-मिलाप और शांति का प्रतीक बनेगा। यह बैठक धर्म और प्रशासन के बीच समन्वय की मिसाल साबित हुई, जिसमें सभी पक्षों ने मिलकर 2027 के भव्य आयोजन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का निर्णय लिया।
भव्य कुंभ की रूपरेखा तय
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बैठक में बताया कि 2027 का अर्धकुंभ मेला कुल 97 दिनों तक चलेगा। इस दौरान चार प्रमुख शाही स्नान होंगे। पहला शाही स्नान मकर संक्रांति के पावन पर्व 14 जनवरी को होगा, जबकि आखिरी स्नान अप्रैल में संपन्न होगा। धामी ने कहा कि मेले में लाखों श्रद्धालु शामिल होंगे, इसलिए प्रशासन इसे विश्वस्तरीय आयोजन के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में काम कर रहा है। सुरक्षा, ट्रैफिक व्यवस्था, स्वच्छता और पवित्र गंगा की धारा को निर्मल बनाए रखने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जा रही हैं।
संतों की सहमति से टला विवाद
बैठक के दौरान अखाड़ों से जुड़ी सभी पुरानी असहमति और मतभेद समाप्त होते नजर आए। विभिन्न अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री के साथ हुई चर्चा के बाद कहा कि धामी सरकार ने संत समाज की चिंताओं को ठीक ढंग से सुना और सम्मानपूर्वक समाधान दिया। इससे अखाड़ों के बीच भरोसे का माहौल बना है। सूत्रों के अनुसार, कुछ मुद्दे जैसे स्नान तिथियों की प्राथमिकता और शिविर आवंटन पर पहले विवाद था, लेकिन आपसी संवाद से इनका भी समाधान निकल गया।
समरसता और श्रद्धा का संगम
मुख्यमंत्री ने संतों से आग्रह किया कि अर्धकुंभ को केवल धार्मिक पर्व न मानकर समाजिक जागरूकता का भी माध्यम बनाएं—पर्यावरण संरक्षण, गंगा सफाई और महिला सुरक्षा जैसे विषय इस बार कुंभ के प्रमुख संदेश रहेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं को अध्यात्मिक अनुभव के साथ स्वच्छ और सुरक्षित कुंभ प्रदान करना है।
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वैश्विक स्तर पर बढ़ेगा हरिद्वार का गौरव
संत समाज ने भी मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि वे इस आयोजन को सफल बनाने में हर संभव सहयोग देंगे। धार्मिक एकता की इस भावना ने हरिद्वार में उत्साह का माहौल बना दिया है। धार्मिक आस्था के इस पर्व से न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत सशक्त होगी, बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी। 97 दिनों तक चलने वाला यह आयोजन हर वर्ग को जोड़ने वाला महापर्व बनने जा रहा है। कुल मिलाकर, धामी सरकार और अखाड़ों के बीच बनी यह नई एकजुटता 2027 अर्धकुंभ की सफलता की आधारशिला बन सकती है। अब तमाम विवादों और मतभेदों के सुलझने के बाद उम्मीद की जा रही है कि आगामी कुंभ श्रद्धा, शांति और एकता का अनुपम उदाहरण पेश करेगा। हरिद्वार एक बार फिर दुनिया को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव का दृश्य दिखाने को तैयार है।
