मुख्य सार
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पर्यटन या तीर्थ यात्रा
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युवाओं में बढ़ती भक्ति
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पुराने समय में यात्राएं
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दर्शन या प्रदर्शन की भीड़
पर्यटन या तीर्थ यात्रा
कुछ सालों से आप सब ने देखा होगा की तीर्थ स्थलों पर लोगों का आना अत्यधिक बढ़ गया है और ऐसे में बहुत सी अनहोनी होने के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं परंतु क्या यह बड़ना लोगों में भक्ति के बढ़ते रूप को दर्शाता है या कुछ और ?तीर्थ यात्रा आध्यात्मिक उद्देश्य के लिए की जाने वाली एक पवित्र यात्रा है. तीर्थ यात्री और पर्यटकों में बहुत अंतर है…. तीर्थ यात्री आध्यात्मिक कारणों से यात्रा करते हैं पर्यटक मौज मस्ती के लिए परंतु अब तीर्थ क्षेत्र को पर्यटन का अड्डा बना दिया गया है जो भविष्य में विनाश का कारण बनेगा। आपने कुछ सालों से देखा होगा बड़े-बड़े तीर्थ स्थलों में लोगों की भीड़ कुछ 12-15 सालों से बढ़ती जा रही है और इन्हीं जगहों पर प्रकृति अपना प्रलयंकारी रूप भी दिखा रही है परंतु फिर भी लोग अपने पर्यटन को आध्यात्मिक यात्रा का नाम देकर इन जगहों पर जा रहे हैं। आप पिछले दो-तीन माह में चल रही यात्राओं को देखें तो इसमें 2000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है परंतु फिर भी लोगों का आवागमन बढ़ता जा रहा है जिसमें सबसे ज्यादा युवा है।
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युवाओं में बढ़ती भक्ति
युवाओं का तीर्थ में जाना क्या इस बात को दर्शाता है कि युवा भक्ति मार्ग की ओर ज्यादा अग्रसर हो रहा है या युवाओं को दुख एवं अवसाद ज्यादा है इसके निवारण के लिए अंतिम मार्ग भगवान के दर्शन का दिख रहा है हो सकता है 100 में से 20% युवा भक्ति एवं दर्शन के लिए जा रहे हो परंतु बाकी युवाओं का क्या? इसका जवाब है सोशल मीडिया हर जगह आपको रील,फोटो,वीडियो बनाते युवक युवती दिख जाएंगे जो अपने फॉलोअर और दिखावे के लिए यात्राएं करते हैं व्लॉग बनाते हैं घूमते फिरते हैं सिर्फ आध्यात्मिकता के नाम पर। युवाओं को घर से घूमने की अनुमति मिलना मुश्किल होता है, परंतु घर से मंदिर के नाम पर घूमने जाना सरल है।माता-पिता भी मंदिर के नाम पर अपने बच्चों को जाने से नहीं रोकते क्योंकि यहां पर आध्यात्मिक पक्ष प्रबल है पर वही अगर वह बच्चों को यह बोले कि बिना फोटो वीडियो बनाई सिर्फ भक्ति करने के लिए जाना है और जितने भी लोग साथ में हैं संपर्क के लिए एक छोटा फोन रख सकते हैं। बाकी कोई दिखावा वीडियो स्टेटस नहीं तो आधी भीड़ तो ऐसे ही कम हो जाएगी,सिर्फ तीर्थ यात्री ही दिखेंगे बाकी की भीड़ का कम करना सरकार के हाथ में है। इन जगहों पर 500 मीटर तक फोन प्रतिबंधित कर दिए जाएं एवं वीडियो फोटो पर भी उचित जुर्माना हो तो वहां केवल भक्त दिखेंगे आडंबर करने वाले नहीं ।
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पुराने समय में यात्राएं
आज से 30-35 साल पहले भी लोग तीर्थों में जाते थे परंतु वह भक्ति भाव से उतप्रोथ जाते थे दिखावा करने नहीं क्योंकि उस समय ना फोन था ना सोशल मीडिया उनका केवल उद्देश्य भक्ति एवं दर्शन करना था। अब वही उद्देश्य बदल गया है।दिखावे से भगवान खुश हो सकते हैं, तुम्हारे मित्र फॉलोअर खुश हो सकते हैं, परंतु तुम वहां भगवान को खुश करने जा रहे हो मित्रों को नहीं, अगर ऐसा ही रहा तो तुम्हें और कई केदारनाथ, हिमाचल जैसी आपदाएं और भी विकराल रूप में देखने को मिलेगी ।
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दर्शन या प्रदर्शन की भीड़
यात्राओं के नाम पर पर्यटन करना सही है या गलत हमें खुद ही समझना होगा। आपके पर्यटन के लिए बहुत सी जगह है आप लोग वहां जाइए मौज मस्ती कीजिए परंतु धार्मिक क्षेत्र में जाकर ऐसा करना उचित नहीं। आजकल लोग एक दूसरे के द्वारा स्टेटस, रील,फोटो देखकर इन जगहों में जाने के लिए उत्सुक होते हैं और यही सब चीजों से भीड़ का बढ़ना शुरू हुआ है. और हमें यह मानना पड़ेगा। अगर यही सब रहा तो सोशल मीडिया आजकल के युवाओं को ऐसी जगह जाने के लिए उकसाने का प्रमुख कारण है।
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बहुत सुंदर उल्लेख
🙏🏻
वर्तमान परिस्थितियों पर ऐसे चिंतन की बहुत आवश्यकता है।
प्रभावी रूप से बात रखी गई है।
🙏🏻
True