टिहरी: टिहरी जिले के एक छोटे से गांव चाह गाडोलिया में सोमवार सुबह से गम का माहौल छाया हुआ है। गोवा के एक नाइट क्लब में हुए भीषण अग्निकांड में गांव के निवासी 28 वर्षीय सतीश सिंह राणा की दर्दनाक मौत की खबर मिलते ही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों के चेहरों पर हैरानी और दुख साफ झलक रहा है। किसी को विश्वास नहीं हो रहा कि कुछ दिन पहले तक फोन पर हंसकर बातें करने वाला सतीश अब इस दुनिया में नहीं रहा।जानकारी के अनुसार, टिहरी गढ़वाल जिले के प्रतापनगर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले चाह गाडोलिया गांव निवासी सतीश सिंह राणा करीब दो साल पहले रोजगार की तलाश में गोवा गया था। वह चंडीगढ़ के एक होटल में नौकरी करने के बाद बेहतर अवसरों की उम्मीद में गोवा शिफ्ट हुआ था। वहां वह एक प्रसिद्ध होटल में बतौर रिसेप्शनिस्ट कार्यरत था।
रविवार रात गोवा के एक नाइट क्लब में भीषण आग लग गई, जिसमें कई लोगों की जान चली गई। उनमें से एक सतीश सिंह राणा भी था।घटना की जानकारी सोमवार सुबह सतीश के परिजनों को मिली। बेटा खोने की खबर सुनते ही पिता सुरेंद्र सिंह राणा और मां का रो-रोकर बुरा हाल है। सतीश परिवार में सबसे बड़ा बेटा था। उनके पिता सुरेंद्र सिंह एक साधारण किसान हैं, जबकि सतीश के छोटे भाई-बहन अभी पढ़ाई कर रहे हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर बताई जा रही है, और सतीश ही पूरे परिवार की उम्मीदों का सहारा था।गांव में जैसे ही यह खबर पहुंची, सन्नाटा पसर गया। सुबह से घर के बाहर ग्रामीणों का तांता लगा है। लोग परिजनों को ढांढस बंधा रहे हैं, लेकिन हर किसी की आंखों में आंसू हैं।
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गांव के लोगों ने बताया कि सतीश मेहनती और मिलनसार स्वभाव का युवक था। वह हर त्योहार पर गांव लौटता था और दोस्तों से मिलने का कोई मौका नहीं छोड़ता था।स्थानीय प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने भी शोक जताया है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि सतीश के पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द गांव लाया जाए ताकि परिवार अंतिम संस्कार कर सके। साथ ही, मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता दिए जाने की भी अपील की गई है। गोवा पुलिस ने बताया कि नाइट क्लब में शॉर्ट सर्किट के चलते आग लगी थी।
हादसे में कई अन्य लोग घायल हुए हैं, जिनका अस्पताल में उपचार चल रहा है। आग इतनी तेजी से फैली कि कई लोग बच नहीं सके।सतीश की मौत ने चाह गाडोलिया गांव ही नहीं, बल्कि पूरे टिहरी जिले को झकझोर दिया है। युवाओं का कहना है कि रोजगार की तलाश में बाहर जाने वाले पहाड़ी नौजवानों का संघर्ष इस तरह के हादसों में खत्म हो जाना बेहद दुखद है।
