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192 घंटे में 6 बार दहला भूकंप से उत्तराखंड, अचानक से डोलने लगे पहाड़, लगा जैसे फिर लौट आई 2013 वाली त्रासदी

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उत्तरकाशी: सीमांत उत्तरकाशी जिले में लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं. एक हफ्ते के भीतर 9 बार धरती डोल चुकी है. ऐसे में लगातार आ रहे भूकंप की वजह से लोग दहशत में है. लिहाजा, भूकंप को लेकर जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग भी अलर्ट मोड पर है. इसी कड़ी में डीएम मेहरबान सिंह बिष्ट ने आम लोगों को सतर्क रहने और भूकंप के लिहाज से सुरक्षा के लिए जरूरी सावधानियां बरतने की अपील की. इसके अलावा आपदा प्रबंधन से जुड़े विभागों और संगठनों को भी अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। वही शुक्रवार शाम से सोशल मीडिया पर एक अफवाह तेजी से फैली कि देर रात्रि बड़ा भूकंप आने वाला है। इस फर्जी खबर से सहमे लोग कुछ स्थानों भैरव चौक, गंगोरी, तिलोथ और मुख्य बाजार में कुछ स्थानों पर रात्रि में घरों से बाहर निकल आए।

भूकंप के दौरान क्या करें।

  • भूकंप के दौरान शांति बनाए रखें।
  • यदि आप घर के अंदर हैं तो मजबूत टेबल आदि के नीचे रहें.
  •  दीवारों, कांच की खिड़कियों और भारी सामान से दूर रहें।
  • लिफ्ट आदि का उपयोग न करें।
  • यदि आप घर के बाहर हैं तो तत्काल खुले मैदान या खाली जगहों पर जाएं।

किसी भी इमारत या बिजली के खंभे से दूर रहें.यदि आप गाड़ी चला रहे हैं तो तत्काल गाड़ी से बाहर निकलें और सुरक्षित स्थान पर जाएं।

उत्तरकाशी में आ सकता है बड़ा भूकंप!

1991 में उत्तरकाशी में आया था विनाशकारी भूकंप: अब भू वैज्ञानिकों ने जो आशंका जताई है, वो काफी डराने वाली है. दरअसल साल 1991 में उत्तरकाशी में विनाशकारी भूकंप आया था. 6.8 मेग्नीट्यूड के भूकंप ने उत्तरकाशी में बड़ी तबाही मचाई थी. वहीं अब आने वाले समय में भी बड़े भूकंप की आशंका बनी हुई है. वैज्ञानिक भी इस बात को मान रहे हैं कि उत्तरकाशी क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप आ सकता है.

उत्तरकाशी में फिर से बड़े भूकंप की आहट

उत्तराखंड राज्य को भूकंप के लिहाज से सीस्मिक जोन 4 और 5 में रखा गया है. प्रदेश को सीस्मिक जोन 4 और 5 में रखे जाने की मुख्य वजह यही है कि प्रदेश में आए दिन भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं. हालांकि, 1991 के बाद से उत्तरकाशी में जो भूकंप आते रहे हैं, वह काफी कम मेग्नीट्यूड के होने की वजह से ना तो लोगों को अक्सर महसूस होते हैं. ना ही इनसे किसी जान माल का नुकसान हुआ है. लेकिन अब उत्तरकाशी क्षेत्र में बड़ा भूकंप आने की आशंका जताई जा रही है. ऐसे में अगर कोई बड़ा भूकंप आता है, तो उत्तरकाशी ही नहीं बल्कि उससे लगे अन्य जिलों में भी इसका असर देखने को मिल सकता है।

वाडिया इंस्टीट्यूट उत्तरकाशी में कर रहा रिसर्च

यही वजह है कि वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक उत्तरकाशी क्षेत्र में लगातार रिसर्च कर रहे हैं. वो इस बात की जानकारी एकत्र कर अनुमान लगा रहे हैं कि क्या वास्तव में उत्तरकाशी में कोई बड़ा भूकंप तो नहीं आने वाला है. बड़े भूकंप की आशंका को देखते हुए वैज्ञानिकों ने न सिर्फ उत्तरकाशी क्षेत्र में भूकंपमापी (Seismometer) लगाकर अर्थक्वेक को मॉनिटर कर रहे हैं बल्कि जिओ फिजिकल ऑब्जर्वेटरी के तहत भविष्य में बड़े भूकंप की आशंका को लेकर भी अध्ययन कर रहे हैं. ताकि कोई बड़ा भूकंप आने से पहले उसकी जानकारी मिल सके और समय पर जनधन की हानि रोकी जा सके।

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कब आ सकता है भूकंप अभी पता नहीं

वहीं, ज्यादा जानकारी देते हुए वाडिया के डायरेक्टर डॉ कालाचंद साईं ने बताया कि उत्तरकाशी क्षेत्र में साल 1991 में 6.8 मेग्नीट्यूड का भूकंप आ चुका है. लिहाजा 2007 से लगातार इस क्षेत्र में भूकंपीय तरंगों (Seismic wave) की तीव्रता की निगरानी की जा रही है. हालांकि, इस क्षेत्र में भूकंप आना एक नेचुरल प्रक्रिया है. क्योंकि इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट में अभी भी घर्षण (Friction) जारी है. जिसके चलते सबसर्फेस में ऊर्जा एकत्र (Accumulate) हो रही है. ये ऊर्जा समय-समय पर भूकंप के रूप में निकलती रहती है. ऐसे में उत्तरकाशी क्षेत्र में एक मेजर अर्थक्वेक की आशंका है. हालांकि यह किसी को पता नहीं है कि इस क्षेत्र में कब और कहां भूकंप आएगा।

वाडिया इंस्टीट्यूट ने लगाए सीस्मोमीटर: वाडिया संस्थान की ओर से इस क्षेत्र में जो सीस्मोमीटर लगाए गए हैं, उसमें भूकंप के झटके रिकॉर्ड हो रहे हैं. इसके साथ ही अर्थक्वेक जियोलॉजी के तहत भी सालों पहले आए बड़े भूकंप की भी जानकारियां मिल रही हैं. इसके तहत 1533 में भी इस क्षेत्र में बड़ा भूकंप आया था. लिहाजा भविष्य में बड़े भूकंप की आशंका को देखते हुए लगातार रिसर्च की जा रही है।

घुत्तू में जियोफिजिकल ऑब्जेर्वेटरी बनाई गई: वाडिया संस्थान द्वारा इसके लिए टिहरी जिले के घुत्तू इलाके में जियोफिजिकल ऑब्जर्वेटरी भी बनाई गई है. इसमें भूकंप के आने से पहले कुछ फिनोमिना और फिजिकल- केमिकल प्रॉपर्टी में होने वाले बदलाव का अध्ययन किया जाता है. ऐसे में अगर इस क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप आने की आशंका है तो उसकी जानकारी पहले ही लग जायेगी।

बड़े भूकंप आने से पहले होने वाले अहम बदलाव

  • 2 से 15 दिन पहले दिखने लगते हैं कई बदलाव
  • भूकंप आने वाले क्षेत्र की धरती के गुरुत्वाकर्षण में होता है बदलाव
  • इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड में भी देखा जाता है बदलाव
  • उस क्षेत्र के ग्राउंड वाटर में भी होता है बदलाव
  • भूकंप से पहले रेडॉन गैस की मौजूदगी बढ़ जाती है

भूकंप वाले क्षेत्र में चट्टानों के टूटने या फिर दरारों की घटनाएं बढ़ जाती हैं रेडॉन गैस क्या है? रेडॉन एक रासायनिक तत्व है. रेडॉन का परमाणु क्रमांक 86 है. रेडॉन तत्व को Rn चिह्न के रूप में दर्शाया जाता है. रेडॉन रेडियोएक्टिव, रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन एक आदर्श गैस मानी जाती है. रेडॉन का उपयोग हाइड्रोलॉजिक रिसर्च में किया जाता है. रेडॉन का उपयोग भूगर्भिक रिसर्च में वायु के द्रव्यमान को ट्रैक करने में किया जाता है, जिससे भूकंप का अनुमान लगाया जाता है।

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