यह आधुनिक और पारंपरिक वास्तुकला का एक सहजीवन है, भारत के राज्य राजस्थान में एक अनूठा निर्माण देखने को मिला है जो भवन को अंदर से ठंडा तापमान प्रदान करता है । यह भवन है एक स्कूल (School) “राजकुमारी रत्नावली बालिका विद्यालय कनोई , जैसलमेर” का।
अद्वितीय निर्माण :
पारंपरिक निर्माण विधियों और समकालीन डिजाइन के संयोजन के कारण, भारत के थार रेगिस्तान में राजकुमारी रत्नावली बालिका विद्यालय एक नखलिस्तान की तरह है। इसकी सभी कक्षाएं एक खुले, अंडाकार प्रांगण में स्थापित है। सौर छत पैनल साइट को हरित ऊर्जा प्रदान करते हैं।
असामान्य वास्तुकला :
दीवारों में वेंटीलेशन छेद छाया डाले गए हैं जो ठंडी हवा को अंदर आने देते हैं , जिससे स्कूल (School) का तापमान बाहर की तुलना में लगभग 20 % ठंडा रहता है। राजस्थान में यह एक बड़ा फायदा है, जहां गर्मी के दिनों में तापमान 50 % से भी ज्यादा पहुंच जाता है। स्कूल को अमेरिकी वास्तुकार डायना केलॉग ने डिजाइन किया है ।
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पिता अपनी बेटियों के लिए बना रहे भवन :
इस स्कूल का निर्माण स्थानीय श्रमिकों ने किया, जिनमे से कई ऐसे थे जो अब वहाँ पढ़ने वाली बेटियों के पिता हैं, आर्किटेक्ट केलॉग ने कहा, “चूंकि निर्माण श्रमिक पत्थर से बहुत परिचित थे, इसलिए पारंपरिक वास्तुशिल्प विवरणों को इकट्ठा करना आसान हो गया।
सुनहरी ईंटों का इस्तेमाल :
स्कूल उसी बलुवा पत्थर से बना है जिसका इस्तेमाल पास के जैसलमेर में 12 वीं सदी के प्रसिद्ध किले के लिए किया गया था, जिसे उनकी चमक के कारण “गोल्डन सिटी” नाम दिया गया था। किले की तरह, स्कूल की बाहरी दीवारें भी मोटे पत्थर की बनाई गई हैं ताकि गर्मी से बचा जा सके। नमी और अद्रता को नियंत्रित करने के लिए आंतरिक दीवारों को चाक से सफेद किया गया है।
शिक्षा का अवसर :
स्कूल (School) में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए ये ठंडा मौसम बहुत राहत देने वाला होता है और अक्सर ये बाकी विद्यालयों की तुलना में यह एक बड़ा बदलाव लेकर आया है। 8 वर्षीय खुशबू कुमारी ने बताया, “मुझे स्कूल जाना पसंद है, वहाँ ठंडी हवा चलती है। घर पर उसका परिवार पंखा भी नहीं खरीद सकता।
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शिक्षा में निवेश :
केवल लड़कियों के लिए संचालित इस स्कूल में 170 छात्राओं को कक्षाओं में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ है। इस परियोजना को आंशिक रूप से अमेरिका स्थित CITTA एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा प्रायोजित किया गया है। इसमें शिक्षा मे प्रवेश निशुल्क है, स्कूल की वर्दी, सामग्री, किताबें, बैग और गरम भोजन भी उपलब्ध है। यह स्कूल राजस्थान की एतिहासिक पहचान ‘राजकुमारी रत्नावली’ के नाम पर रखा गया है।
सशक्त महिलाओं का प्रतीक :
महिलाओं का समर्थन करना राजस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जहां लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने की बहुत कम संभावना है । राज्य में वयस्क महिलाओं में साक्षरता दर केवल 52 % है। स्कूल के डिजाइन में नारीत्व ने भी भूमिका निभाई : जैसा कि आर्किटेक्ट डायना केलॉग ने बताया, ” भवन का अंडाकार आकार ‘महिला शक्ति के प्रतीकों’ से प्रेरित था।