भिकियासैंण(अल्मोड़ा)। भिकियासैंण की शांत वादियों में मंगलवार को एक दर्दनाक हादसे ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। बासोट रोड पर अचानक पहाड़ी से गिरे भारी भरकम पत्थरों की चपेट में आए एक सेवानिवृत्त फौजी गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों की तत्परता और मानवीय संवेदनशीलता ने इस हादसे को और गंभीर होने से बचाया और घायल व्यक्ति को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। यह घटना केवल एक दुर्घटना भर नहीं है, बल्कि यह पहाड़ी क्षेत्रों में जीवन की कठिनाइयों और खतरों की झलक भी प्रस्तुत करती है।
हादसे का घटनाक्रम
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंगलवार सुबह जब क्षेत्र के लोग अपने-अपने कार्यों में व्यस्त थे, उसी समय बासोट रोड पर अचानक पहाड़ी से पत्थर गिरने लगे। दुर्भाग्यवश, सेवानिवृत्त फौजी उसी रास्ते से गुजर रहे थे और पहाड़ी दरकने से गिरे एक बड़े पत्थर की चपेट में आ गए। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि देखते ही देखते वे लहूलुहान होकर सड़क पर गिर पड़े। आसपास मौजूद लोगों ने तुरंत शोर मचाया और मदद के लिए दौड़ पड़े। हादसा इतना अचानक हुआ कि लोगों के चेहरे पर दहशत साफ झलक रही थी।
स्थानीय युवाओं ने दिखाई मानवता की मिसाल
दुर्घटना स्थल पर मौजूद नगर अध्यक्ष दीपक बिष्ट, संजय बंगारी, शिबू जीना, नीरज बिष्ट समेत अन्य युवा तुरंत घायल फौजी को उठाकर नजदीकी अस्पताल ले गए। घटना स्थल पर मौजूद हर व्यक्ति ने इस बचाव अभियान में सहयोग दिया। स्थानीय लोगों की यह तत्परता मानवता के श्रेष्ठ रूप को दर्शाती है। आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में एम्बुलेंस या आपातकालीन सेवाएं तुरंत उपलब्ध नहीं हो पाती हैं, लेकिन जब समाज के लोग खुद आगे आते हैं तो बड़ी से बड़ी मुसीबत को भी टाला जा सकता है।
घायल का उपचार जारी, परिवार सदमे में
अस्पताल प्रशासन के अनुसार घायल की स्थिति गंभीर बनी हुई है, लेकिन डॉक्टरों की टीम पूरी कोशिश कर रही है कि उनकी जान बचाई जा सके। सेवानिवृत्त फौजी के परिवारजनों को जब इस घटना की सूचना मिली, तो वे गहरे सदमे में आ गए। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने जीवन के बाकी समय को घर-परिवार और समाज की सेवा में लगाने का संकल्प लिया था, लेकिन अचानक हुई इस घटना ने परिजनों के साथ-साथ पूरे गांव को चिंता में डाल दिया है।
पर्यावरणीय असंतुलन और लगातार हो रही घटनाएं
पिछले कुछ समय से पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन और पत्थर गिरने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण अनियंत्रित सड़क कटान और अंधाधुंध पेड़ों की कटाई मानी जा रही है। जब पहाड़ की धरती कमजोर होती है, तो बरसात या हल्की सी भी कंपन से मिट्टी और पत्थर खिसकने लगते हैं।
स्थानीय जनता बार-बार शासन और प्रशासन से इस ओर ध्यान देने की अपील कर चुकी है, लेकिन अभी तक इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठ पाए हैं। यह हादसा एक बार फिर चेतावनी है कि यदि त्वरित समाधान नहीं निकाला गया तो आने वाले दिनों में इस तरह की और भी घटनाएं सामने आ सकती हैं।
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स्थानीय नेतृत्व का सराहनीय योगदान
नगर अध्यक्ष दीपक बिष्ट और अन्य युवाओं का योगदान इस दुर्घटना में सराहनीय रहा। जिस साहस और फुर्ती के साथ उन्होंने घायल को अस्पताल पहुंचाया, वह समाज के लिए प्रेरणादायी है। आज के समय में जब अक्सर लोग दुर्घटनाओं को देखते हुए भी अनदेखा कर देते हैं, ऐसे में इस प्रकार की जिम्मेदारी समाज में नई ऊर्जा का संचार करती है। यह बात साफ है कि जब तक आम लोग मिलकर आगे नहीं आते, तब तक पहाड़ी क्षेत्रों की आपदाओं से निपटना मुश्किल है।
यह घटना भविष्य के लिए सबक
यह हादसा केवल एक समाचार नहीं, बल्कि समाज और प्रशासन के लिए बड़ा सबक भी है। सबसे पहले तो पहाड़ी सड़कों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है। सड़क निर्माण के समय पत्थरों के गिरने से बचाव के लिए मजबूत दीवारें और जालियों का इस्तेमाल होना चाहिए। साथ ही, स्थानीय प्रशासन को ऐसे खतरनाक इलाकों में चेतावनी बोर्ड और सुरक्षा इंतजाम लगाने चाहिए ताकि आमजन को सतर्क किया जा सके। इसके साथ ही, आपात स्थिति में तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में एम्बुलेंस की व्यवस्था अनिवार्य होनी चाहिए।