क्वॉरब: कुमायूँ की जीवनरेखा मानी जाने वाली क्वारब सड़क इन दिनों लगातार बाधित बनी हुई है। बरसात के मौसम में आए दिन गिरते बोल्डरों और भूस्खलन के कारण हाईवे लंबे समय तक बंद रहता है। स्थिति यह है कि वाहन तो घंटों-घंटों तक जाम में फंसे रहते हैं, वहीं पैदल राहगीरों को भी अपनी जान हथेली पर रखकर इस खतरनाक मार्ग से गुजरना पड़ता है।
गिरते बोल्डरों के बीच सफर
गुरुवार को भी क्वारब मार्ग अचानक बोल्डरों की चपेट में आ गया। हाईवे पर गिरे भारी पत्थरों से यातायात बुरी तरह ठप हो गया। ऐसे में कुछ लोग तो मजबूरी में पैदल ही निकल पड़े, लेकिन उन्हें गिरते पत्थरों के बीच भागते देखा गया। कई राहगीरों का कहना था कि वे सिर्फ किस्मत के भरोसे इस रास्ते को पार करते हैं।
रामगढ़ से हल्द्वानी की ओर जा रही एक महिला यात्री ने कहा, “हम यहां से निकलते समय हर पल डरते हैं, लेकिन कोई विकल्प नहीं है। जब तक सड़क नहीं खुलेगी, तब तक गांव में दवा-पानी तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।”
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खतरे में ड्यूटी कर रहे मशीन चालक और जवान
सड़क खोलने का कार्य जेसीबी और भारी मशीनों द्वारा लगातार किया जा रहा है। लेकिन चट्टानों के ऊपर से लगातार गिरते पत्थरों के बीच काम करना किसी खतरे से कम नहीं। जेसीबी चालक और मार्ग पर तैनात पुलिस व होमगार्ड जवान खुद भी असुरक्षित वातावरण में काम कर रहे हैं। फिर भी वे लोगों को राहत दिलाने के लिए डटे हुए हैं। मशीन चालक सुरेन्द्र सिंह ने कहा, “हम रोज़ सोचते हैं कि कब ऊपर से पत्थर न आ गिरे। कभी लगता है कि मशीन पर अचानक बोल्डर गिरा तो जान भी जा सकती है। लेकिन काम तो करना ही पड़ता है, वरना लोग फंस जाएंगे।”
गांव-गांव तक प्रभावित आपूर्ति
मार्ग बंद होने से न केवल यात्री प्रभावित हैं, बल्कि कई गाँवों की रोज़मर्रा की आपूर्ति भी रुक जाती है। राशन से लेकर दवाइयों तक की आपूर्ति बाधित हो रही है। स्थानीय लोग कहते हैं कि एक दिन सड़क बंद होना भी भारी पड़ता है क्योंकि जीवन के लिए ज़रूरी सामान नहीं पहुँच पाता। स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। पिछले हफ्ते एक ग्रामीण मरीज को क्वारब बंद होने की वजह से देरी से अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने कहा कि अगर समय रहते इलाज शुरू होता, तो हालत इतनी बिगड़ती नहीं।
पर्यटन को बड़ा झटका
क्वारब मार्ग पर संकट का असर पर्यटन पर सीधा दिखाई दे रहा है। नैनीताल और आसपास के इलाकों की ओर आने वाले पर्यटक जोखिम भरे इस मार्ग से गुजरने से कतराने लगे हैं। होटल व्यवसायी और टैक्सी चालकों का कहना है कि अगर यही हाल रहा, तो सीजन में भी उन्हें नुकसान झेलना पड़ सकता है।