नई दिल्ली: पूरे देश में आज यानी कि 1 जुलाई 2024 सोमवार से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। इन तीनों कानून के लागू होने के बाद भारत की न्याय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव होने वाला है। अभी तक तो देश में भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 का भारतीय साक्ष्य अधिनियम सक्रिय चल रहा था, लेकिन अब उनकी जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा सहायता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ले ली है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में शामिल अहम बदलाव
CRPC में जहां कुल 484 धाराएं थीं वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में 531 धाराएं हैं. इसमें ऑडियो-विडियो यानी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जुटाए जाने वाले सबूतों को प्रमुखता दी गई है. वहीं, नए कानून में किसी भी अपराध के लिए जेल में अधिकतम सजा काट चुके कैदियों को प्राइवेट बॉण्ड पर रिहा करने का प्रावधान है. कोई भी नागरिक अपराध के सिलसिले में कहीं भी जीरो FIR दर्ज करा सकेगा. FIR होने के 15 दिनों के भीतर उसे ओरिजिनल जूरिडिक्शन यानी जहां का मामला है वहां भेजना होगा. पुलिस ऑफिसर या सरकारी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए 120 दिन में संबंधित अथॉरिटी से इजाजत मिलेगी. अगर नहीं मिली तो उसे ही सेंक्शन मान लिया जाएगा।
FIR के 90 दिनों के भीतर दाखिल करनी होगी चार्जशीट
FIR के 90 दिनों के भीतर दाखिल करनी होगी चार्जशीट। चार्जशीट दाखिल होने के 60 दिनों के भीतर कोर्ट को आरोप तय करने होंगे. इसके साथ ही मामले की सुनवाई पूरी होने के 30 दिनों के भीतर जजमेंट देना होगा. जजमेंट दिए जाने के बाद 7 दिनों के भीतर उसकी कॉपी मुहैया करानी होगी. पुलिस को हिरासत में लिए गए शख्स के बारे में उसके परिवार को लिखित में बताना होगा. ऑफलाइन, ऑनलाइन भी सूचना देनी होगी. 7 साल या उससे ज्यादा सजा वाले मामले में विक्टिम को सुने बिना वापस नहीं किया जाएगा.थाने में कोई महिला सिपाही भी है तो उसके सामने पीड़िता के बयान दर्ज कर पुलिस को कानूनी कार्रवाई शुरू करनी होगी।
कोई कन्फ्यूजन नहीं, यहां जानिए सबकुछ
सबसे अहम बदलाव तो आपको तुरंत देखने को मिलने वाला है। नए कानून के लागू होते ही जीरो FIR, एसएमएस के जरिए इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किसी को समन भेजना, पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण होना, यह सब कुछ अब होने जा रहा है। अभी तक तो जब भी जघन्य अपराध होता था तो अपराध स्थल पर वीडियो ग्राफी अनिवार्य नहीं थी। इसकी कोई बाध्यता नहीं रहती थी, लेकिन नए कानून लागू होने के बाद यह भी अनिवार्य होने जा रहा है।
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