चिलचिलाती गर्मी के बाद बारिश राहत और सुकून तो लेकर आती है और लती है आपने साथ खूब सारी बीमारियाँ। मानसून Monsoon में बढ़ी हुई नमी, ठहरा हुआ पानी और तापमान में उतार-चढ़ाव, बैक्टीरिया, वायरस और परजीवीयो के लिए यह मौसम एक उचित वातावरण बनाता हैं| दरअसल, इस मौसम में लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है जिससे लोगों को वायरल, फ्लू और डेंगू, मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियां होने लगती हैं। आज हम इस ब्लॉग में मानसून में होने वाले 10 तरह के बुखार के बारे में जानेंगे और साथ ही इनसे बचाव के उपाय भी बताएंगे।
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मानसून Monsoon में होने वाले 10 तरह के बुखार:-
मलेरिया Malaria:-
मलेरिया एक संक्रामक बीमारी है जो प्लास्मोडियम नामक परजीवी के कारण होती है। यह परजीवी मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। मलेरिया के लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, पसीना आना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और उल्टी शामिल हैं कई बार तो मलेरिया किडनी-लिवर को भी नुकसान पहुंचा सकती है। गंभीर मामलों में, मलेरिया अंगों की विफलता, कोमा और मृत्यु का कारण बन सकता है।
मलेरिया के प्रकार:-
- प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम:- यह मलेरिया का सबसे खतरनाक प्रकार है और जानलेवा हो सकता है।
- प्लास्मोडियम विवैक्स:- यह मलेरिया का सबसे आम प्रकार है और इसमें ठंड लगना और बुखार होता है जो हर 48 घंटे में आता है।
- प्लास्मोडियम मलेरिया:- यह मलेरिया का एक कम गंभीर प्रकार है और इसमें ठंड लगना और बुखार होता है जो हर 72 घंटे में आता है।
- प्लास्मोडियम ओवले:- यह मलेरिया का एक दुर्लभ प्रकार है और इसमें ठंड लगना और बुखार होता है जो हर 48 घंटे में आता है।
डेंगू Dengue:-
डेंगू बुखार एक वायरल संक्रमण है जो एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर दिन के समय काटता है, खासकर सुबह और शाम के समय। डेंगू बुखार के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, चकत्ते और रक्तस्राव शामिल हैं, ब्लड प्रेशर कम होना और जान जाने तक का जोखिम हो सकता है डेंगू बुखार होने पर ब्लड में प्लेटलेट्स की काफी तेजी से कमी होती है| आपको बता दे कि किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से डेंगू बुखार नहीं होता है। गंभीर मामलों में, डेंगू बुखार डेंगू हेमोरेजिक बुखार (डीएचएफ) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) का कारण बन सकता है, जो जानलेवा हो सकते हैं।
डेंगू बुखार के प्रकार:-
- डेंगू वायरस सेरोटाइप 1 (DENV-1):- यह डेंगू बुखार का सबसे आम प्रकार है।
- डेंगू वायरस सेरोटाइप 2 (DENV-2):- यह डेंगू बुखार का दूसरा सबसे आम प्रकार है।
- डेंगू वायरस सेरोटाइप 3 (DENV-3):- यह डेंगू बुखार का एक कम आम प्रकार है।
- डेंगू वायरस सेरोटाइप 4 (DENV-4):- यह डेंगू बुखार का एक दुर्लभ प्रकार है।
चिकनगुनिया Chikungunya:-
चिकनगुनिया एक वायरल संक्रमण है जो एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह वही मच्छर है जो डेंगू फैलाता है। चिकनगुनिया का नाम स्वाहिली भाषा के शब्द से आया है जिसका अर्थ है “मुकड़ा हुआ व्यक्ति”। यह नाम इस बीमारी के प्रमुख लक्षण, जोड़ों के तेज दर्द के कारण दिया गया है। इसके लक्षण तेज बुखार, जोड़ों में अकड़न, और तेज दर्द, विशेषकर हाथों और पैरों में, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, त्वचा पर चकत्ते| हालांकि यह कभी-कभार ही जानलेवा होता है, लेकिन जोड़ों का दर्द दुर्बल करने वाला हो सकता है और महीनों तक बना रह सकता है|
जीका वायरस Zika virus:-
जीका वायरस एक मच्छर जनित वायरस है जो एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह वायरस आमतौर पर हल्का होता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक हो सकता है। जीका वायरस जन्मजात विकारों, गर्भपात और मृत जन्म का कारण बन सकता है। इसके लक्षण मुख्य बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, लाल आँखें, त्वचा पर चकत्ते होते है|
लेप्टोस्पायरोसिस Leptospirosis:-
लेप्टोस्पायरोसिस एक बैक्टीरिया के कारण होने वाला संक्रमण है, जो आमतौर पर जानवरों के मूत्र से दूषित पानी के माध्यम से फैलता है, दूषित पानी या मिट्टी के संपर्क में आने से होता है। यह संक्रमण गंभीर हो सकता है और यहां तक कि जानलेवा भी साबित हो सकता है।
लक्षण:-
लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण दो चरणों में दिखाई देते हैं:-
- पहला चरण:- बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, मतली, उल्टी और आंखों की लालिमा।
- दूसरा चरण:- यह चरण कुछ दिनों बाद शुरू हो सकता है और इसमें गंभीर लक्षण शामिल हो सकते हैं जैसे कि पीलिया, गुर्दे की समस्याएं, यकृत की समस्याएं, मेनिन्जाइटिस और फेफड़ों में संक्रमण।
टाइफाइड बुखार Typhoid Fever:-
टाइफाइड बुखार एक गंभीर जीवाणु संक्रमण है जो साल्मोनेला टाइफी नामक जीवाणु के कारण होता है। यह जीवाणु दूषित भोजन या पानी के माध्यम से फैलता है। टाइफाइड बुखार सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह बच्चों में अधिक आम है।लक्षण: तेज बुखार, जो 104 डिग्री फ़ारेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) तक पहुंच सकता है सिरदर्द, थकान, पेट में दर्द, कब्ज या दस्त, भूख न लगना, मांसपेशियों में दर्द, सूखी खांसी, शरीर पर चकत्ते| यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो टाइफाइड बुखार गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, जिनमें शामिल हैं आंतों में छेद (आंतों की वेध), आंतरिक रक्तस्राव, सेप्सिस (रक्त में संक्रमण), मृत्यु|
हैजा Cholera:-
हैजा विब्रियो कोलेरा नामक जीवाणु के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है। यह जीवाणु दूषित भोजन या पानी के सेवन से फैलता है। हैजा के लक्षणों में तीव्र दस्त और उल्टी, पेट में ऐंठन, अत्यधिक प्यास और शुष्क मुंह, कमजोरी और थकान, निर्जलीकरण के कारण तेजी से वजन कम होना, कम बुखार शामिल हैं, जो गंभीर मामलों में त्वचा में झुर्रियाँ, डूबे हुए आँखें, शुष्क मुंह, कोई आँसू नहीं आना, पेशाब कम होना या पेशाब न होना, सांस लेने में तकलीफ, भ्रम, बेहोशी या कोमा, सदमा और मृत्यु का कारण बन सकते हैं।
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हेपेटाइटिस ए hepatitis A:-
हेपेटाइटिस ए एक वायरल संक्रमण है जो यकृत (लिवर) को प्रभावित करता है। यह संक्रमण हेपेटाइटिस ए वायरस (HAV) के कारण होता है, जो दूषित भोजन या पानी के सेवन से फैलता है। हेपेटाइटिस ए आमतौर पर हल्का होता है, लेकिन गंभीर मामलों में यह जानलेवा भी हो सकता है। इसके लक्षण अत्यधिक थकान और कमजोरी, भोजन की इच्छा में कमी, मतली और उल्टी, जो गंभीर हो सकती है, पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द, त्वचा और आंखों का पीला होना, गहरे रंग का मूत्र, हल्के रंग का मल, हल्का बुखार गंभीर मामलों में लक्षण यकृत (लिवर) के कार्य में गंभीर कमी, हेपेटाइटिस ए एन्सेफलाइटिस, जो मस्तिष्क में सूजन और क्षति का कारण बन सकता है, दुर्लभ मामलों में, हेपेटाइटिस ए जानलेवा हो सकता है
सर्दी और फ्लू cold and flu:-
सर्दी और फ्लू दोनों ही श्वसन संक्रमण होते हैं जो वायरस के कारण होते हैं। ये संक्रमण वर्ष के ठंडे महीनों में सबसे आम होते हैं, इसलिए उन्हें “सर्दियों में होने वाली बीमारियां” कहा जाता है।
सर्दी और फ्लू के बीच अंतर:-
लक्षण | सर्दी | फ्लू |
---|---|---|
शुरुआत | धीमी | तेज |
बुखार | हल्का या कोई नहीं | तेज (100°F या अधिक) |
दर्द और दर्द | मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश | मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, कान दर्द, शरीर में दर्द |
खांसी | सूखी या बलगम वाली | गीली, बलगम वाली |
छींक | आम | कम आम |
थकान | हल्का | तेज |
नाक बहना | आम | कम आम |
आंखों में लाली | कम आम | कम आम |
उल्टी और दस्त | दुर्लभ | बच्चों में अधिक आम |
गैस्ट्रोएंटेराइटिस Gastroenteritis:-
गैस्ट्रोएंटेराइटिस, जिसे अक्सर पेट फ्लू के रूप में जाना जाता है गैस्ट्रोएंटेराइटिस एक सामान्य स्थिति है जिसमें पेट और आंतों में सूजन होती है। यह आमतौर पर वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी के संक्रमण के कारण होता है। यह संक्रमण दूषित भोजन या पानी के सेवन से फैलता है। यह दस्त, उल्टी, पेट में क्रैम्प्स और बुखार का कारण बनता है|
बचाव के उपाय:-
- मच्छरों से बचाव:- मच्छरदानी का उपयोग करें, मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाएं, घर के आसपास पानी जमा न होने दें और पूरी बाजू के कपड़े पहनें।
- स्वच्छता बनाए रखें:- अपने हाथों को बार-बार धोएं, खासकर खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद।
- स्वच्छ पानी पीएं:- हमेशा बोतलबंद या उबला हुआ पानी पिएं।
- भोजन को ढककर रखें:- मक्खियों और मच्छरों से बचने के लिए भोजन को ढककर रखें।
- पौष्टिक भोजन खाएं:- अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने के लिए संतुलित और पौष्टिक भोजन खाएं, डेयरी प्रोडक्ट्स से बचें क्योंकि उनमें ऐसे बैक्ट्रिया होते हैं जो आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं मार्केट से लाए फलों और सब्जियों को सबसे पहले अच्छी तरह से 2 या तीन बार पानी से धोएं। उसके बाद ही इस्तेमाल करें।
- डॉक्टर से सलाह लें:- यदि आपको बुखार या कोई अन्य लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।