द्वाराहाट: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से अधिकतर उत्तराखंड में विराजमान हैं। भगवान शिव के प्राचीन मंदिर भी उत्तराखंड में स्थित हैं। इन्हीं में से एक है प्राचीन शिव मंदिर विमांडेश्वर महादेव प्राचीन शिव मंदिर द्वाराहाट में भी निरंतर पूजा अर्चना हो रही है। इस बार महाशिवरात्रि पर फिर से यहां भक्तों का तांता लगा है। यह मंदिर सिमलगांव रोड पर नगर से सात किमी की दूरी पर स्थित उत्तराखंड की काशी नाम से विख्यात विमांडेश्वर शिव मंदिर श्रद्धालुओं की अगाध श्रद्धा का केंद्र है। नंदिनी और सुरभि नदियों के संगम स्थल पर यह ब्रह्मतीर्थ है। इस संगम स्थल पर स्नान करने से पितरों का तर्पण भी किया जाता है। मान्यता है कि जो यहां पूजा करता है, वह शिवलोक में पूजित होता है। जनश्रुति है कि, वर्तमान शिव मंदिर वाले क्षेत्र में शिवशक्ति का पता तब चला जब एक गाय रोजाना घास चरने के बाद झाड़ियों के बीच स्थित शिवलिंग के ऊपर दूध बहाकर शिव जी को स्नान कराती थी। गाय के दूध की कमी पर उसके मालिक ने जब गाय का पीछा किया तो देखा उस गाय ने शिवजी को दूध से स्नान करवाया और बाद में वह गाय संगम स्थल पर पत्थर बन गई। इसे कपिला गाय और कपिला कुंड के नाम से जाना जाता है।
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दर्शनार्थी कपिला कुंड में स्नान करने के बाद कपिला पूजन कर पुण्यलाभ पाते हैं। अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा लिखने वाले साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन ने मंदिर का निर्माण काल 10वीं से 12वीं शताब्दी के मध्य बताया था। काशी नाम से विख्यात विमांडेश्वर शिव मंदिर प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के दिन महादेव के दरबार में मेले का भव्य आयोजन किया जाता है जिसमें दूर दराज के श्रद्धालु प्रतिभाग करते हैं तथा इस दिन बच्चों के रंगारंग कार्यक्रमों के साथ-साथ शिव पार्वती का विवाह भी किया जाता है। वही आज महाशिवरात्रि के दिन काशी नगरी महादेव के दरबार में मेले का आयोजन किया गया जिसमें महादेव के भक्तो में जमकर प्रतिभाग किया।
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