चौखुटिया (अल्मोड़ा)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से पूर्व में हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के आश्वासनों के समय पर अमल न होने से क्षेत्र में एक बार फिर असंतोष की लहर दौड़ गई। रविवार को क्षेत्र के सक्रिय जनसेवी भुवन सिंह कठायत ने सरकार से नाराज होकर रामगंगा आरती घाट पर पुनः आमरण अनशन शुरू कर दिया। स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में शुरू हुए इस आंदोलन ने प्रशासनिक हलकों में भी हलचल मचा दी।अनशन की सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आया। तहसीलदार तितिक्षा जोशी तत्काल मौके पर पहुंचीं और अनशनकारियों से वार्ता की। बातचीत के दौरान क्षेत्र के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कुमार और भगवत सिंह भी मौजूद रहे। चर्चा के बाद तहसीलदार ने 10 दिन के भीतर मांगों पर ठोस प्रगति का आश्वासन दिया और वित्तीय स्वीकृति व समीक्षा बैठक की तिथि तय करने की बात कही।
इस समझौते के बाद भुवन सिंह कठायत ने तत्काल प्रभाव से आमरण अनशन स्थगित कर दिया, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि यदि तय अवधि में वादे पूरे न हुए तो आंदोलन को फिर से व्यापक रूप दिया जाएगा।मुख्य मुद्दा चौखुटिया उप जिला चिकित्सालय के नए भवन निर्माण से जुड़ा है। लंबे समय से यह परियोजना फाइलों में अटकी है, जबकि क्षेत्र की जनता बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए संघर्षरत है। तहसीलदार तितिक्षा जोशी ने बताया कि सचिव, चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय को 87.20 लाख रुपये की वित्तीय स्वीकृति प्रस्तावित की गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि इसकी अंतिम अनुमति शीघ्र ही मिल जाएगी, जिससे भवन निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा।
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अनशन स्थल पर पहुंचे स्थानीय जनप्रतिनिधि और नागरिकों ने भी आंदोलनकारियों का समर्थन किया। ग्राम प्रधान विपिन शर्मा, विधायक प्रतिनिधि नंदन मेहरा, सुंदर सिंह, मोहन सिंह और कई अन्य लोग इस दौरान उपस्थित रहे। सबका एक ही मत रहा कि चौखुटिया जैसे अति-विकसित किए जाने योग्य क्षेत्र में स्वास्थ्य ढांचे का मजबूत होना अति आवश्यक है।भुवन सिंह कठायत ने कहा कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक उद्देश्य से नहीं, बल्कि जनहित के लिए है। उन्होंने कहा कि जब तक क्षेत्र की मूलभूत सुविधाओं को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि प्रशासन और सरकार समय पर विकास कार्यों को पूरा करे तो क्षेत्र के युवाओं और जरूरतमंदों को बुनियादी सुविधाएं मिल सकेंगी। चौखुटिया जैसे दूरस्थ क्षेत्र से उठी यह आवाज, शासन-प्रशासन के लिए एक संकेत है—जनता अब सिर्फ वादों से नहीं, परिणामों से संतुष्टि चाहती है।
