द्वाराहाट (अल्मोड़ा)। हाल के दिनों में गुलदार और भालू की बढ़ती गतिविधियों से ग्रामीणों में भय का माहौल है। इस स्थिति को देखते हुए द्वाराहाट वन क्षेत्र के अंतर्गत वन विभाग पूरी सतर्कता बरत रहा है। वन क्षेत्राधिकारी गोपाल दत्त जोशी के नेतृत्व में विभागीय टीम ने गुलदार-भालू आतंकित क्षेत्रों में लगातार गश्त और जनजागरूकता अभियान तेज कर दिए हैं।वन विभाग द्वारा जानकारी दी गई है कि 27 दिसंबर 2025 को “प्रभाग दिवस” का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर ग्रामीणों की शिकायतें सुनी जाएंगीं तथा उनका मौके पर ही निवारण करने का प्रयास किया जाएगा। विभाग ने अधिक से अधिक संख्या में क्षेत्रवासियों से कार्यक्रम में पहुंचने की अपील की है ताकि उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सके।
पिछले दिनों गुलदार की बढ़ती आवाजाही को देखते हुए विभाग ने सीमलखेत, तोक पुरानालोहबा, ईड़ा, श्यालसुना, गनाई, भटकोट और रामपुर जमरिया जैसे इलाकों में कुल छह पिंजरे लगाए हैं। इनमें से पाँच गुलदार को पकड़ने के लिए और एक भालू को कैद करने के उद्देश्य से लगाया गया है। साथ ही, संदिग्ध क्षेत्रों में ट्रैप कैमरे भी लगाए गए हैं, जिनसे वन्यजीव गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।वन क्षेत्राधिकारी जोशी ने बताया कि ग्रामीणों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। हर प्रभावित क्षेत्र में गश्त दल तैनात हैं और लोगों को सुरक्षा के आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं। ग्रामीणों को शाम ढलने के बाद अकेले घर से बाहर न जाने, झाड़ियों की सफाई करने, आसपास रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था रखने एवं बच्चों और महिलाओं को समूह में ही बाहर जाने की सलाह दी गई है।
वन विभाग की यह पहल न केवल सुरक्षा उपायों को मजबूत करेगी बल्कि स्थानीय स्तर पर जन-जागरूकता बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाएगी। इस दौरान विभाग की टीम में उपराजिक मनमोहन तिवारी, वन दरोगा पंकज तिवारी, राहुल कुमार, सतपाल सिंह, प्रदीप, कार्तिक, भानु, रवि नैलवाल, बीट अधिकारी ललित रौतेला, मनोज कुमार, दिनेश भट्ट, शेखर नाथ, तथा महिला कार्मिक तनुजा पाठक, सोनिया, विद्या, रुचि और तारा नेगी शामिल हैं।द्वाराहाट, ईड़ा, भटकोट, ड्यूना, मरई, सीमलखेत, रामपुर जमरिया, गनाई जैसे इलाकों में विभाग द्वारा लगातार जन-जागरूकता और सतर्कता अभियान संचालित किए जा रहे हैं ताकि किसी भी संभावित मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति से निपटा जा सके। विभाग का उद्देश्य केवल वन्यजीवों का संरक्षण नहीं, बल्कि ग्रामीणों की सुरक्षा और सहयोग को सुनिश्चित करना है।



