मनोरंजन डेस्क: भारतीय टेलीविजन इतिहास में अगर कुछ किरदार कालजयी माने जाते हैं तो उनमें ‘महाभारत’ के कर्ण का नाम हमेशा अग्रणी रहेगा। इस किरदार को जीवंत करने वाले अभिनेता पंकज धीर का निधन हो गया है। उन्होंने 1988 में प्रसारित हुए बी.आर. चोपड़ा के प्रसिद्ध धारावाहिक महाभारत में कर्ण की भूमिका निभाई थी, जो आज भी दर्शकों के दिलों में उतनी ही ताजगी से मौजूद है।
पंकज धीर का जन्म 9 नवंबर 1959 को हुआ था। वे न केवल एक सशक्त अभिनेता थे, बल्कि उन्होंने निर्देशन और अभिनय प्रशिक्षण में भी अपने योगदान से नई पीढ़ी के कलाकारों को प्रेरित किया। टीवी, फिल्म और थिएटर—तीनों मंचों पर उन्होंने अपने अभिनय की छाप छोड़ी। ‘महाभारत’ ने पंकज धीर को घर-घर में प्रसिद्ध कर दिया। उनका गंभीर चेहरा, दमदार संवाद और कर्ण की भावनात्मक गहराई को उन्होंने जिस सहजता से पर्दे पर उतारा, उसने उन्हें हमेशा के लिए दर्शकों के मन में बसा दिया। कर्ण के संघर्ष, निष्ठा और दुर्भाग्य की कहानी को उन्होंने इतनी सच्चाई से निभाया कि लोग उन्हें असली कर्ण कहने लगे।

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टीवी के अलावा, पंकज धीर ने कई हिंदी फिल्मों में भी काम किया। उन्होंने सरफरोश, हमसे है जमाना, गुप्त, सोल्जर, सन ऑफ सरदार जैसी फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। वे लंबे समय तक फिल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री से जुड़े रहे और अपने प्रोफेशन में ईमानदारी के लिए जाने जाते थे। पंकज धीर ने निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रखा और कई युवा कलाकारों के करियर को दिशा दी। उनके बेटे नितिन धीर भी अभिनय से जुड़े हैं और पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका परिवार हमेशा भारतीय कला और मनोरंजन जगत का अहम हिस्सा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पंकज धीर पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे। उनके निधन की खबर से फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई। कई दिग्गज कलाकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि पंकज धीर ने न केवल अभिनय किया बल्कि किरदारों में जान डाल दी। ‘कर्ण’ का चरित्र त्याग, साहस और सम्मान का प्रतीक था—और यह सब पंकज धीर के व्यक्तित्व में भी झलकता था। वे अपने शालीन व्यवहार और अनुशासन के लिए जाने जाते थे। कैमरे के पीछे भी वे उतने ही सौम्य और प्रेरणादायक व्यक्ति थे।
पंकज धीर का जाना भारतीय टेलीविजन जगत के लिए एक गहरा नुकसान है। उन्होंने जो भावनात्मक गहराई और नायकत्व दर्शकों के मन में छोड़ा, वह कभी मिट नहीं सकता। उनके संवाद, उनकी आंखों की ईमानदारी और उनकी आवाज़ आज भी गूंजती है—जैसे कोई कह रहा हो कि “कर्ण कभी हारता नहीं, बस इतिहास उसे पहचान नहीं देता। आज जब पंकज धीर इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं, तो उनके चाहने वाले यही कह रहे हैं—कर्ण अमर है, क्योंकि पंकज धीर ने उसे अमर बना दिया।