देहरादून: उत्तराखंड में ई-केवाईसी के लिए अंगूठे या रेटिना स्कैन अनिवार्य किया गया है ताकि वितरण प्रक्रिया पारदर्शी हो और फर्जी लाभार्थियों की पहचान की जा सके। लेकिन कई बार तकनीकी कारणों, वृद्धावस्था या मेहनत-मजदूरी के कारण फिंगरप्रिंट या रेटिना स्कैन नहीं हो पाते। खबरों के अनुसार, सरकार ने अब राहत दी है कि जिनका बायोमेट्रिक सफल नहीं हो रहा है, उन्हें राशन मिलना जारी रहेगा
विभागीय आदेश और अगला कदम
खाद्य मंत्री रेखा आर्या ने निर्देश दिए हैं कि ई-केवाईसी बाध्यता के चलते किसी भी असली लाभार्थी का राशन न रोका जाए। सभी जिला पूर्ति अधिकारियों को आदेश मिले हैं कि मशीन में अंगूठा या रेटिना स्कैन न होने पर भी लाभार्थियों का नाम अलग रजिस्टर में दर्ज किया जाए और अनाज वितरण किया जाए। विभाग की सद्भावना है कि अंतिम तिथि (30 नवंबर) के बाद भी राशन वितरण निर्बाध चलेगा और लोगों को दिक्कत न हो।
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विकल्प और आसान प्रक्रिया
यदि किसी लाभार्थी की ई-केवाईसी फिंगरप्रिंट से नहीं हो पा रही है, तो विभाग ने रेटिना स्कैन या फेस ऑथेंटिकेशन के विकल्प शुरू किए हैं। नई ई-पॉस मशीनों में यह सुविधा जोड़ी जा रही है। जिनका बायोमेट्रिक असफल है, उनका नाम अलग रजिस्टर में लिख दिया जाएगा और वे अनाज से वंचित नहीं रहेंगे।
चिंता करने की कोई जरूरत नहीं
सरकारी आदेशों के अनुसार, किसी कारणवश यदि आपकी ई-केवाईसी अभी तक नहीं हो पाई है, तो भी चिंता की जरूरत नहीं है। विभाग हर लाभार्थी तक अनाज पहुंचाने को प्राथमिकता दे रहा है। आने वाले महीनों में, निकटतम केंद्र या दुकान पर जाकर आप रेटिना स्कैन, फेस अथेंटिकेशन या अन्य नई तकनीकों का उपयोग कर ई-केवाईसी करा सकते हैं। इस बीच, आपका राशन मिलता रहेगा और किसी भी अधिकारी से संपर्क करके मदद ली जा सकती है। यह नीतिगत बदलाव विशेष तौर पर किसानों, मजदूरों, वृद्धजन एवं ग्रामीण जनता के लिए राहतभरा है, जिनकी बायोमेट्रिक पहचान में अक्सर दिक्कत आती रही है। सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि कोई भी पात्र व्यक्ति राशन से वंचित न हो और हर जरूरतमंद तक सहायता पहुंचे।
