चौखुटिया: अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया में लंबे समय से बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर लोगों का गुस्सा अब खुलकर सामने आने लगा है। चौखुटिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के उच्चीकरण की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन बुधवार को उस समय और तेज हो गया, जब तीन लोगों ने रामगंगा नदी में उतरकर जल सत्याग्रह आरंभ कर दिया। पूर्व सैनिक हीरा सिंह पटवाल, खुशाल सिंह और मनीष ने सरकार के खिलाफ यह शांतिपूर्ण लेकिन प्रतीकात्मक विरोध शुरू किया। हीरा सिंह पटवाल का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से क्षेत्र में लगातार लोगों की मौतें हो रही हैं। गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को समय पर सही इलाज नहीं मिल पा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि मुख्यमंत्री द्वारा उच्चीकरण की घोषणा के बावजूद चौखुटिया के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई सुधार नहीं हो सका। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार जनता के प्रति अपने मूल दायित्व निभाने में असफल हो रही है। मुख्य आंदोलनकर्ता भुवन कठायत ने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि इसमें नागरिकों को जीवन, गरिमा, आजीविका, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अधिकार प्रदान किए गए हैं, लेकिन मौजूदा व्यवस्था इन अधिकारों की रक्षा करने में नाकाम है। उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि लोग अपने ही अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरने और जल सत्याग्रह करने को मजबूर हैं।
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बुधवार देर शाम स्थिति उस समय और तनावपूर्ण हो गई जब पुलिस-प्रशासन ने मुख्य आंदोलनकर्ता को जबरन वहां से हटाने की कोशिश की। इस कदम से स्थानीय जनता में नाराज़गी और बढ़ गई। मौके पर मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच आंदोलनकारियों के समर्थकों से तीखी बहस भी देखने को मिली। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, अन्यथा आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है। वर्तमान स्थिति ने न सिर्फ जनजीवन को प्रभावित किया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी अधिकारों पर ध्यान देने का समय अब कब आएगा।