द्वाराहाट: नवरात्रि के पावन अवसर पर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद स्थित विश्वप्रसिद्ध मां दूनागिरी मंदिर में अष्टमी के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। चारों दिशाओं से आए भक्तों की भीड़ ने मंदिर प्रांगण को धर्म और भक्ति की एक अद्वितीय छटा से भर दिया। अष्टमी के दिन मां दुर्गा की विशेष आराधना का महत्व बताया जाता है, ऐसे में उत्तराखंड की ऊंची पहाड़ियों में बसे इस प्राचीन मंदिर में सुबह से ही जयकारों और ढोल-नगाड़ों की गूंज सुनाई देने लगी।
द्वाराहाट क्षेत्र का मां दूनागिरी मंदिर शताब्दियों से शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह वह पावन धरा है जहां सतयुग से लेकर द्वापर काल तक ऋषियों-मुनियों ने तपस्या की और भक्तों ने देवी को प्रसन्न करने के लिए अनुष्ठान किए। कहा जाता है कि यहां देवी सती का दायां हाथ गिरा था, इसी कारण यह शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है।
अष्टमी के दिन भोर से ही मंदिर की सीढ़ियों और आसपास की घाटियों में भक्तों की लंबी कतारें लग गईं। स्थानीय के साथ-साथ दूर-दराज से आए श्रद्धालु घंटों पैदल यात्रा करके मां के दर्शन के लिए यहां पहुंचे। मंदिर समिति और प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्था की गई थी। भक्तों की सुविधा के लिए पेयजल, चिकित्सकीय दल और सुरक्षा प्रबंधन चाक-चौबंद नज़र आया। वहीं, स्थानीय ग्रामीणों ने भी अपने स्तर से सुविधाएं उपलब्ध कराकर इस धर्मिक आयोजन को सफल बनाने में भूमिका निभाई।
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मां दूनागिरी मंदिर परिसर को इस अवसर पर भव्य रूप से सजाया गया। फूलों की झालरों, विद्युत झालरों और रंगीन वस्त्रों से सजे गर्भगृह में प्रवेश करते ही भक्तों का मन श्रद्धा से भर गया। दिनभर हवन-पूजन, कन्या भोज और विशेष दुर्गा चंडिका पाठ का आयोजन हुआ। भक्तों ने मां को चुनरी, नारियल, फल और प्रसाद अर्पित कर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना की।
अष्टमी तिथि का विशेष महत्व नवरात्रि में इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इस दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर जैसे राक्षस का वध कर धर्म की रक्षा की थी। आस्था से ओतप्रोत वातावरण में जब ढोल-नगाड़ों पर देवी की आरती गूंज उठी तो पूरा मंदिर परिसर देवी माँ की भक्ति में डूब गया। महिलाओं ने जहां देवी के जयकारे लगाए, वहीं युवा और वृद्ध सभी ने अपने पारंपरिक परिधानों में एक अद्भुत उत्साह प्रदर्शित किया।
मंदिर के महंतों ने अपने प्रवचनों में भक्तों को बताया कि मां दुर्गा की उपासना केवल बाहरी पूजा नहीं, बल्कि आत्मिक शक्ति जागरण का प्रतीक भी है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भक्त सच्चे भाव से मां को स्मरण करते हैं तो जीवन के हर कष्ट का समाधान संभव है।
द्वाराहाट और आसपास के बाजार इस अवसर पर श्रद्धालुओं की चहल-पहल से सराबोर रहे। दुकानों पर प्रसाद, चुनरी और धार्मिक सामान की बिक्री में उत्साह देखा गया। वहीं, स्थानीय होटल और धर्मशालाओं में भी श्रद्धालुओं का आवागमन लगातार बना रहा। अष्टमी के इस अवसर पर मां दूनागिरी मंदिर का दृश्य किसी आस्था महाकुंभ से कम नहीं रहा। प्रकृति की गोद में बसा यह धाम भक्तों की भीड़, भक्ति की लहर और देवी आशीष की अनुभूति के कारण नवरात्र पर्व की सच्ची महत्ता को प्रकट करता रहा।