भारत में प्रतिवर्ष 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस (National Press Day) मनाया जाता है। यह दिन भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी प्रेस की स्वतंत्रता और जिम्मेदारियों के प्रति हमारे सम्मान को प्रकट करने का एक विशिष्ट अवसर है। यह दिवस न केवल प्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है, बल्कि पत्रकारों को उनके साहस, समर्पण और उच्च नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित भी करता है।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस क्यों मनाया जाता है?
राष्ट्रीय प्रेस दिवस, देश में स्वतंत्र और जिम्मेदार पत्रकारिता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस उस दिन की याद दिलाता है जब भारत में प्रेस परिषद (Press Council of India) ने औपचारिक रूप से अपना कार्य शुरू किया था।
प्रेस परिषद को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य भारत में समाचार पत्रों और समाचार एजेंसियों के मानकों को बनाए रखना और उनमें सुधार करना है। यह सुनिश्चित करना कि प्रेस की स्वतंत्रता बनी रहे और साथ ही यह भी देखना कि प्रेस अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करते समय जिम्मेदारी और नैतिकता का पालन करे।
संक्षेप में, यह दिवस निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:
- प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा: यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व पर ज़ोर देता है।
- प्रेस की जवाबदेही: यह प्रेस को उसकी नैतिक ज़िम्मेदारियों और विश्वसनीयता को बनाए रखने की याद दिलाता है।
- गुणवत्ता सुनिश्चित करना: यह पत्रकारिता के उच्च मानकों और व्यावसायिक नैतिकता को बढ़ावा देता है।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस की शुरुआत कब और कैसे हुई?
राष्ट्रीय प्रेस दिवस की शुरुआत सीधे तौर पर भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना से जुड़ी है।
प्रेस परिषद का गठन (The Genesis):
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता और मानकों को नियंत्रित करने के विचार की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। तत्कालीन प्रेस आयोग (Press Commission) ने एक ऐसी वैधानिक, अर्ध-न्यायिक संस्था की आवश्यकता पर बल दिया जो:
- प्रेस पर बाहरी दबावों से उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करे।
- पत्रकारिता में अनैतिक या गैर-पेशेवर आचरण की शिकायतों की सुनवाई कर सके।
कानूनी स्थापना:
प्रेस आयोग की सिफारिशों के आधार पर, वर्ष 1965 में भारतीय संसद ने “प्रेस परिषद अधिनियम (Press Council Act)” पारित किया।
औपचारिक शुरुआत (16 नवंबर 1966):
इस अधिनियम के तहत, 16 नवंबर 1966 को भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India) ने औपचारिक रूप से कार्य करना शुरू किया। यह परिषद स्व-नियामक (Self-Regulatory) निकाय के रूप में कार्य करती है, जिसका अर्थ है कि यह सरकार के नियंत्रण से मुक्त रहकर प्रेस की स्वतंत्रता और नैतिकता को सुनिश्चित करती है।
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चूंकि 16 नवंबर वह ऐतिहासिक दिन है जब देश में प्रेस को एक नियामक और संरक्षक मिला, इसलिए इसी दिन को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में घोषित किया गया।
समाज और राष्ट्र में प्रेस की भूमिका (Role of the Press)
प्रेस को अक्सर “लोकतंत्र का चौथा स्तंभ” कहा जाता है, जो विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के साथ मिलकर राष्ट्र के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करता है। इसकी भूमिका बहुआयामी और अत्यंत महत्वपूर्ण है।
1. प्रहरी की भूमिका (The Watchdog):
प्रेस की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका प्रहरी (Watchdog) की होती है।
- सत्ता पर नियंत्रण: यह सरकार और सत्ता में बैठे लोगों के कार्यों पर पैनी नज़र रखता है। यह भ्रष्टाचार, कुप्रशासन और अनियमितताओं को उजागर करके सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता लाता है।
- जनहित की रक्षा: यह सुनिश्चित करता है कि सरकार जनहित में कार्य करे और नीतियों का कार्यान्वयन सही ढंग से हो।
2. सूचना और शिक्षा का प्रसार (Information and Education):
- सूचित नागरिक: प्रेस नागरिकों को राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय और स्थानीय घटनाओं से अवगत कराता है, जिससे वे जागरूक और सूचित निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
- सार्वजनिक बहस: यह महत्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करता है, जिससे स्वस्थ सार्वजनिक बहस को बढ़ावा मिलता है।
3. लोगों की आवाज़ (Voice of the People):
- दबे-कुचलों को मंच: प्रेस समाज के हाशिए पर पड़े लोगों, वंचित समुदायों और उनकी समस्याओं को मुख्यधारा में लाता है, जिन्हें अक्सर सत्ता द्वारा अनसुना कर दिया जाता है।
- प्रतिक्रिया का माध्यम: यह सरकार की नीतियों पर जनता की प्रतिक्रिया को सरकार तक पहुँचाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
4. राष्ट्रीय एकता और विकास (National Unity and Development):
- एकता को बढ़ावा: प्रेस विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और क्षेत्रों के बीच समझ और संवाद को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत करता है।
- विकास का उत्प्रेरक: यह विकास योजनाओं, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता फैलाकर राष्ट्रीय विकास में सक्रिय योगदान देता है।

प्रेस की जिम्मेदारियाँ (Responsibilities of the Press)
स्वतंत्रता एक विशेषाधिकार है, जो हमेशा ज़िम्मेदारी के साथ आता है। एक स्वतंत्र प्रेस की शक्ति को बनाए रखने के लिए, उसे कुछ अनिवार्य जिम्मेदारियों का पालन करना होता है:
1. सटीकता और निष्पक्षता (Accuracy and Objectivity):
- तथ्यों की जाँच (Fact-Checking): यह प्रेस की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह केवल सत्यापित और सटीक जानकारी ही प्रकाशित करे। ‘फेक न्यूज़’ (Fake News) के इस दौर में यह जिम्मेदारी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
- संतुलित रिपोर्टिंग: समाचारों को व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से मुक्त, निष्पक्ष और संतुलित तरीके से प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जिसमें सभी पक्षों को सुना जाए।
2. नैतिकता और सार्वजनिक स्वाद (Ethics and Public Decency):
- भेदभाव से बचाव: प्रेस को जाति, धर्म, लिंग या क्षेत्र के आधार पर किसी भी प्रकार के घृणास्पद या भेदभावपूर्ण कंटेंट के प्रकाशन से सख्ती से बचना चाहिए।
- निजता का सम्मान: सार्वजनिक हस्तियों या आम नागरिकों की निजता का सम्मान करना और सनसनीखेज रिपोर्टिंग से बचना नैतिक पत्रकारिता का हिस्सा है।
3. संवेदनशीलता और राष्ट्रीय सुरक्षा (Sensitivity and National Security):
- आपदा और संकट के समय: युद्ध, दंगा या प्राकृतिक आपदा के समय, प्रेस की रिपोर्टिंग संवेदनशील, शांत और अफवाहों को रोकने वाली होनी चाहिए।
- राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा: प्रेस को हमेशा देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रिपोर्टिंग करनी चाहिए।
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4. सुधार और आत्म-नियमन (Correction and Self-Regulation):
- गलतियों को सुधारना: अगर कोई गलत रिपोर्ट प्रकाशित हो जाती है, तो उसे तुरंत और प्रमुखता से सुधारना (Correction) प्रेस की जिम्मेदारी है।
- शिकायतों का निवारण: भारतीय प्रेस परिषद जैसे निकाय के माध्यम से अपनी गलतियों और शिकायतों का निवारण करना और आत्म-नियमन (Self-Regulation) के मानकों को बनाए रखना।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस एक अनुस्मारक है कि एक जीवंत और स्वतंत्र प्रेस किसी भी लोकतंत्र की पहचान है। यह वह शक्ति है जो नागरिकों को अंधकार से निकालकर ज्ञान की ओर ले जाती है।
आज के डिजिटल युग में, जहाँ सूचना की बाढ़ है और ‘तेज खबर’ देने की होड़ मची है, प्रेस की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। उसे न केवल सत्य को खोजकर सामने लाना है, बल्कि उसे सत्य और असत्य के बीच की खाई को पाटना भी है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर, हम यह संकल्प लें कि हम प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करेंगे, और साथ ही, प्रेस से भी यह अपेक्षा रखेंगे कि वह अपनी शक्ति का उपयोग जिम्मेदारी, नैतिकता और निडरता के साथ, राष्ट्र और समाज के उच्चतम हित में करता रहेगा।
