बिहार चुनाव 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कई दिग्गज नेताओं की किस्मत दांव पर थी, लेकिन सबसे अधिक चर्चा में रही थीं लोकगायिका से राजनीतिज्ञ बनीं मैथिली ठाकुर। भाजपा के टिकट पर अलीनगर सीट से मैदान में उतरी 25 वर्षीय मैथिली ठाकुर ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के उम्मीदवार बिनोद मिश्रा को 11,730 वोटों के बड़े अंतर से हराया। इसके साथ ही वह बिहार विधानसभा की सबसे कम उम्र की विधायक बन गई हैं। मैथिली ठाकुर का यह राजनीतिक सफर जितना छोटा रहा, उतना ही प्रभावशाली भी। पेशे से लोकगायिका मैथिली ने अपनी कला और आवाज के जरिए न केवल देशभर में पहचान बनाई, बल्कि युवा पीढ़ी के बीच सांस्कृतिक गर्व और सामाजिक जागरूकता का भी संदेश दिया। राजनीति में आने से पहले ही वह सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता और जनसरोकार के विषयों पर बेबाक राय के लिए जानी जाती थीं।
ट्रोलिंग से जननेता तक का सफर
चुनाव प्रचार के शुरुआती दिनों में मैथिली की उम्र और अनुभव को लेकर विपक्ष ने उन्हें निशाने पर लिया। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनकी राजनैतिक समझ पर सवाल उठाए और उन्हें हल्के में लिया। मगर मैथिली ने बिना विचलित हुए जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित रखा। प्रचार के दौरान उन्होंने गांव-गांव जाकर सड़कों, शिक्षा, महिलाओं की सुरक्षा और बेरोजगारी को लेकर अपनी बातें रखीं।उनके भाषणों में साफ-सुथरे इरादे और सरल भाषा की झलक दिखी, जिसने ग्रामीण मतदाताओं के दिल को सीधा छू लिया। कई जगहों पर ग्रामीण महिलाएं और युवतियां उनके समर्थन में खुलकर सामने आईं। यही कारण रहा कि सीमित राजनीतिक अनुभव के बावजूद मैथिली ने अलीनगर सीट को भाजपा के लिए जीत में बदल दिया।
जनता से किए वादे
जीत के बाद मैथिली ठाकुर ने कहा कि यह सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि अलीनगर की जनता की जीत है। उन्होंने अपने भाषण में वादा किया कि गांवों की बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। शिक्षा, विशेषकर बेटियों की पढ़ाई, उनके कार्यकाल का केंद्र बिंदु रहेगा। साथ ही उन्होंने स्थानीय कलाकारों और लोकसंस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विशेष पहल करने की बात कही।
बिहार में नई राजनीति की शुरुआत
मैथिली ठाकुर की जीत इस बात का संकेत है कि बिहार की जनता अब नई सोच और ईमानदार चेहरों की तलाश में है। युवा नेतृत्व और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आने वाले उम्मीदवारों को अब गंभीरता से लिया जा रहा है। भाजपा के लिए भी यह जीत एक नई ऊर्जा लेकर आई है, खासकर उन इलाकों में जहां पार्टी पहले संघर्ष कर रही थी। 25 वर्षीय मैथिली ठाकुर न केवल बिहार विधानसभा की सबसे युवा विधायक हैं, बल्कि बिहार की नई राजनीति की पहचान भी बन चुकी हैं। उनकी जीत यह भी साबित करती है कि अगर नीयत साफ हो और जनता से सीधा जुड़ाव हो, तो उम्र कभी भी सफलता की बाधा नहीं बनती।
