कार्तिक पूर्णिमा 2025: कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में वर्ष का एक अत्यंत पवित्र और शुभ दिन माना जाता है। यह दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पड़ता है, जब चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं से जगमगाता है और धरती पर प्रकाश और शांति का संदेश फैलाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “देवताओं की दीपावली”। माना जाता है कि इसी दिन देवता भगवान शिव की आराधना हेतु पृथ्वी पर उतरकर दीप जलाते हैं।कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह दिन सौभाग्य, धर्म और तपस्या का प्रतीक माना जाता है। इस दिन स्नान, दान और दीपदान का बहुत बड़ा महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने अपने मत्स्य अवतार का अवतरण किया था, जिससे पृथ्वी को प्रलय से बचाया गया। इसी कारण इस दिन को मत्स्य जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
गंगा, यमुना, नर्मदा और सरयू जैसे पवित्र नदियों के तटों पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालु स्नान और पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। उत्तर भारत में यह दिन विशेष रूप से वाराणसी में देव दीपावली के रूप में बड़े भव्य तरीके से मनाया जाता है। जब हजारों दीपों से पूरा घाट जगमगा उठता है, तो वह दृश्य मन को आत्मिक शांति से भर देता है।इस पर्व पर दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दीप दान करने से व्यक्ति को सौ गुना फल प्राप्त होता है। घरों, मंदिरों और नदियों के तटों पर दीप प्रज्वलित कर लोग अपने जीवन में प्रकाश, शुद्धता और समृद्धि की कामना करते हैं।
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यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक एकता और सद्भाव का प्रतीक भी है। कई स्थानों पर इस दिन मेला और सांस्कृतिक आयोजन भी होते हैं। राजस्थान के पुष्कर मेले का समापन भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन होता है, जहां देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। इस दिन का हर पहलू भक्तिभाव, उत्साह और उल्लास से भरा होता है। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि जो व्यक्ति कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव, विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करता है, उसे जीवन में समृद्धि, शांति और अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है।
यह दिन व्यक्ति को न केवल अपनी आस्था को मजबूत करने का अवसर देता है, बल्कि दूसरों की सहायता करने और समाज के हित में कार्य करने की प्रेरणा भी देता है।अंततः कहा जा सकता है कि कार्तिक पूर्णिमा केवल एक धार्मिक तिथि नहीं, बल्कि यह जीवन में प्रकाश, सद्भाव, और सकारात्मकता का प्रतीक है। जब दीप अंधकार को दूर करते हैं, तो मन में भी आशा, विश्वास और सद्भाव का प्रकाश फैलता है। यही इस पर्व का सच्चा संदेश है—अंधकार से प्रकाश की ओर, नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर, और स्वार्थ से सेवा की ओर बढ़ना।
