प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के शुरूआत के साथ ही II Tian बाबा की काफी चर्चा है। II Tian बाबा अभय सिंह, हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले हैं और इंजीनियरिंग की पढ़ाई IIT मुंबई से की है। वहीं अब महाकुंभ से IITian बाबा अभय सिंह को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। जानकारी के मुताबिक, अभय सिंह महाकुंभ से चले गए हैं।
कुंभ छोड़ कर चले गए IITian बाबा
बता दें कि II Tian बाबा अभय सिंह का वीडियो वायरल होने के बाद प्रयागराज में उनके मां और पिता उनसे मिलने पहुंचे थे। लेकिन माता-पिता से मिलने के पहले ही वह आश्रम छोड़कर जा चुके थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जूना आखाड़े के आश्रम में मौजूद साधुओं ने बताया कि लगातार इंटरव्यू देते-देते अभय के दिमाग पर असर पड़ गया था और उन्होंने मीडिया से कुछ ऐसी बातें भी कहीं जो नहीं कहनी चाहिए थी। उनकी मानसिक स्तिथि बिगड़ने के बाद उन्हें जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी के पास भी ले जाया गया था। आचार्य ने उन्हें आश्रम छोड़ने की सलाह दी का अभय सिंह की मानसिक स्थिति देखकर जूना अखाड़े ने फैसला लिया कि उन्हें आश्रम छोड़ देना चाहिए और इसी के बाद देर रात को अभय आश्रम से चले गए।
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कौन हैं ‘इंजीनियर बाबा’?
इंजीनियर बाबा के नाम से इंटरनेट पर वायरल हो रहे अभय सिंह का दावा है कि वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT-B) के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने वहां से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। अभय सिंह मूल रूप से हरियाणा से आते हैं। उन्होंने अपने अनोखे अंदाज से महाकुंभ में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।जूना अखाड़े से जुड़े अभय सिंह चित्र और आरेखों की मदद से जटिल आध्यातिमक अवधारणाओं को सरल तरीके से श्रद्धालुओं को समझाते हैं।
बाबा अभय सिंह ने आईआईटी से ‘भक्ति’ की राह पर आने के अपने सफर के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि उनका जन्म हरियाणा के झज्जर में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वहीं की, इसके बाद वे जेई की तैयारी करने लगे। इसके बाद वे एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के लिए मुंबई आईआईटी गए। जहां उनके जीवन ने अलग-अलग मोड़ लिए। उन्होंने बताया कि आईआईटी से जब में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कर रहा था तो मुझे लगता था कि यही सब कुछ है। बाद में जब मैं अध्यात्म की ओर अग्रसर हुआ तो अब मुझे लगता है कि असली साइंस यही है।
जीवन के बारे में बताई अहम बात
अभय सिंह का कहना है कि इंजीनियरिंग के दौरान उनका खासा झुकाव ह्नयुमिनिटी की ओर था। इस बाबत उन्होंने दर्शन से जुड़े अलग-अलग ग्रंथों और दार्शिनिकों को पढ़ा। इस दौरान उनकी डिजाइनिंग में भी रुचि बढ़ी। जिसके चलते उन्होंने दो सालों तक डिजाइनिंग भी सीखी। बाद में उन्होंने काफी समय तक फोटोग्राफी करने वाली एक कंपनी में भी काम किया, लेकिन कुछ समय बाद वहां से भी उनका मन उचाट हो गया। इस दौरान वे डिप्रेशन में चले गए।