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बिनसर महादेव मंदिर अपने पुरातात्विक महत्व और वनस्पति के लिए है लोकप्रिय, जानिए पूरा इतिहास।

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उत्तराखंड में स्थित बिनसर महादेव मंदिर की बेहद मान्यता है. ऐसी लोक मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण एक रात में हुआ था. यह प्रसिद्ध और पौराणिक मंदिर रानीखेत से करीब 20 किमी की दूरी पर है।

रानीखेत: मोटे देवदार के बीच में बिन्सर महादेव का पवित्र मंदिर स्थित है।अपनी दिव्यता और आध्यात्मिक माहौल के साथ, यह जगह अपनी अदुतीय प्रकृति की सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि बिन्सर महादेव 9/10 वीं सदी में बनाया गया था और इसलिए ये उत्तराखंड में सदियों से एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल रहा है।गणेश, हर गौरी और महेशमर्दिनी की मूर्तियों के साथ, यह मंदिर इसकी स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। यूं तो आपने देश में कई मन्दिरों के बारे में न केवल सुना होगा बल्कि उन्हें देखा भी होगा। इनमें से कई मंदिर चमत्कारी हैं तो कई का निर्माण अत्यंत प्राचीन है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिसे स्वर्गाश्रम बिनसर महादेव मंदिर आदिकाल का बताया जाता है।

मोटे देवदार के बीच में बिन्सर महादेव का पवित्र मंदिर
मोटे देवदार के बीच में बिन्सर महादेव का पवित्र मंदिर

क्या है बिनसर का इतिहास

कुछ जानकारों का मानना है कि यह मंदिर 600 साल पुराना है और इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग है। एक मान्यता के अनुसार, किसी समय पर बिनसर के पास स्थित सौनी गांव में मनिहार रहते थे बताया जाता है कि जब इस जंगल में गायें चरने के लिए जाती थीं, तो वापस लौटने के बाद एक गाय का दूध निकला रहता था। एक दिन मनिहार ने उस गाय का पीछा किया, तो देखा कि जंगल में एक पत्थर के ऊपर खड़ी होकर गाय दूध छोड़ रही थी और पत्थर वह दूध पी रहा था। गुस्साए मनिहार ने गाय को धक्का देकर कुल्हाड़ी से पत्थर पर प्रहार कर दिया इससे उस पत्थर से खून की धार बहने लगी और शिवलिंग पर आज भी कुल्हाड़ी के वार के निशान दिखाई देते हैं. इस मंदिर में 1970 से अखंड ज्योत जल रही है और मंदिर में करीब 12 भगवानों की मूर्ति स्थापित है। बिनसर महादेव मंदिर देवदार और चीड़ के पेड़ों से घिरा हुआ है और देश ही नहीं बल्कि विदेशों से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

बिन्सर महादेव का पवित्र मंदिर

बिनसर है लोकप्रिय हिंदू मंदिर

बिनसर महादेव मंदिर एक लोकप्रिय हिंदू मंदिर है । यह मंदिर रानीखेत से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है । कुंज नदी के सुरम्य तट पर करीब साढ़े पांच हजार फीट की ऊंचाई पर बिनसर महादेव का भव्य मंदिर है | समुद्र स्तर या सतह से 2480 मीटर की ऊंचाई पर बना यह मंदिर हरे-भरे देवदार आदि के जंगलों से घिरा हुआ है । हिंदू भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 10 वीं सदी में किया गया था | महेशमर्दिनी, हर गौरी और गणेश के रूप में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों के साथ निहित, इस मंदिर की वास्तुकला भी बहुत शानदार है | बिनसर महादेव मंदिर क्षेत्र के लोगों का अपार श्रद्धा का केंद्र है। यह भगवान शिव और माता पार्वती की पावन स्थली मानी जाती है। प्राकृतिक रूप से भी यह स्थान बेहद खूबसूरत है । हर साल हजारों की संख्या में मंदिर के दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं | बिनसर महादेव मंदिर का भव्य व सुंदर मंदिर निर्माण व प्रतिवर्ष विशाल भंडारे का सफल आयोजन भी बाबा मोहनगिरी महाराज के द्वारा किया जाता था | रानीखेत से लगभग 20 किलोमीटर दुरी पर स्थित बिनसर महादेव मंदिर , बेहद रमणीय और अलौकिक है। चारो और देवदार, पाइन और ओक के पेड़ों से घिरा बहुत ही मनभावन दृश्य प्रस्तुत करता है।

बिनसर महादेव का मुख्य द्वार

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ले सकते यहां ध्यान ओर योग का लाभ

इस परिसर में अप्रतिम शांति का अहसास होता है। यहाँ आकर आप ध्यान योग का लाभ ले सकते हैं। इस मंदिर की सुंदरता का वर्णन करना शब्दों में सम्भव नहीं है। यह क्षेत्र सम्पूर्ण कुमाऊं के सबसे सुन्दर क्षेत्रों में आता है। यहाँ से हिमालय की चौखम्बा , त्रिशूल, पंचाचूली ,नंदादेवी , नंदा कोट आदि चोटियों का रमणीय दर्शन होते हैं। मौसम साफ रहने की स्थिति में आप केदारनाथ तक दर्शन कर सकते हैं।यह मंदिर अपनी अप्रतिम वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान् गणेश ,माता गौरी और महेशमर्दिनी की मूर्तियां यहाँपॉइंट की अद्भुत मूर्तिकला का परिचय देती हैं। विशेषकर महेशमर्दिनी की मूर्ति में ९वी शताब्दी की नागरीलिपि के साथ वर्णित है। यह मंदिर समुद्रतल से लगभग 2480 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। बिनसर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। किंदवतियों के अनुसार इसे पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान एक रात में बनाया था। एक अन्य कहानी व जानकारी के अनुसार इसे राजा पीथू ने अपने पिता बिंदु की याद में बनाया था। इसलिए इस मंदिर को बिन्देश्वर महादेव मंदिर भी कहते हैं।

बिनसर का अर्थ

बिनसर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले का एक “वन्य जीव अभ्यारण्य” है। बिनसर एक गढ़वाली शब्द है जिसका अर्थ- “नव प्रभात” है। बिनसर से हिमालयी रेंज की केदारनाथ, चैखम्बा, और नंदाकोट पहाड़ियों का सुन्दर दृश्य दिखाई देता है। जो प्राकृतिक प्रेमियों को यहाँ आने पर मजबूर करती हैं।

इसके पास एक आश्रम भी स्थित है। पहले यहाँ एक छोटा सा मंदिर था। सन 1959 में श्री पंचनाम जूना आखाड़ा के ब्रह्मलीन नागा बाबा मोहनगिरी ने इस स्थान पर इस मंदिर का भव्य जीर्णोद्वार कराया गया। बताया जाता है कि वर्ष 1970 से इस मंदिर में अखंड ज्योति जल रही है। महंत 108 श्री महंत रामगिरि जी महाराज इस मंदिर की सम्पूर्ण व्यवस्थाएं देखते हैं। यहाँ श्री शंकर शरण गिरी संस्कृत विद्यापीठ की स्थापना की गई है। यहाँ बच्चे अध्यन करते हैं। बच्चों को अध्यन में व्यवधान न हो इसलिए यहाँ घंटी बजाना मना है। यहाँ प्रतिवर्ष मई जून में होमात्मक महारुद्र यज्ञ और शिव महापुराण का आयोजन होता है। 2022 में यहाँ 4 जून से होमात्मक महारुद्र यज्ञ और शिव महापुराण का आयोजन होगा। 11 दिन बाद हवन और विशाल भंडारा होता है।

कैसे पहुंचें :

बाय एयर

रानीखेत के नजदीकी हवाई अड्डा, एक प्रसिद्ध कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर में स्थित है, जो रानीखेत से लगभग 124 और अल्मोड़ा से लगभग 127 किलोमीटर दूर है।

ट्रेन द्वारा

निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम करीब 120 किलोमीटर दूर स्थित है। काठगोदाम रेलवे से सीधे दिल्ली भारत की राजधानी, लखनऊ उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी, देहरादून उत्तराखंड राज्य की राजधानी है।

सड़क के द्वारा

बिनसर महादेव मंदिर सड़क नेटवर्क के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चूंकि उत्तराखंड में हवाई और रेल संपर्क सीमित है, सड़क नेटवर्क सबसे अच्छा और आसानी से उपलब्ध परिवहन विकल्प है। आप या तो सोनी बिनसर ,रानीखेत के लिए ड्राइव कर सकते हैं या एक टैक्सी / टैक्सी को किराए के लिए दिल्ली या किसी भी दूसरे शहर के बिनसर महादेव मंदिर,रानीखेत तक पहुंच सकते हैं।

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