हेमकुंड साहिब कपाट 2025: उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट इस वर्ष 10 अक्तूबर, शुक्रवार को दोपहर दो बजे शीतकाल के लिए विधि-विधान के साथ बंद कर दिए जाएंगे। सिख धर्म की आस्था का प्रतीक यह पवित्र स्थल हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आस्था की अनुभूति कराता है। अब बर्फ की सफेद चांदी की चादर में लिपटे हेमकुंड साहिब में अगले छह महीने तक मानवीय उपस्थिति के बजाय प्रकृति का सन्नाटा रहेगा।
हेमकुंड साहिब ट्रस्ट की ओर से कपाट बंद होने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सुबह से ही गुरुद्वारा परिसर में अंतिम अरदास की तैयारियां हो चुकी हैं। श्रद्धालु जो अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे हैं, उनके मन में एक ओर भावनात्मक जुड़ाव है तो दूसरी ओर अगली यात्रा सीजन की प्रतीक्षा की भावना भी। द्वार बंद होने से पहले गुरुद्वारा परिसर में विशेष कीर्तन और अरदास का आयोजन किया जा रहा है, जिसके बाद सिंह साहिबान परंपरागत तरीके से कपाट बंद करेंगे।
हेमकुंड साहिब केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि प्रकृति का भी अनोखा उपहार है। समुद्र तल से करीब 15,200 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह धाम ग्लेशियरों और सात पर्वतों से घिरा हुआ है। यहाँ का सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा दोनों ही यात्रियों को आत्मिक शांति प्रदान करते हैं। लेकिन इस ऊँचाई पर अक्टूबर माह के बाद भारी बर्फबारी शुरू हो जाती है, जिससे रास्ते बंद हो जाते हैं। इसी कारण हर वर्ष अक्टूबर में कपाट बंद कर दिए जाते हैं और मई-जून में दोबारा खोले जाते हैं।
इसी के साथ ही लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी आज बंद किए जाएंगे। यह मंदिर हेमकुंड साहिब से नीचे स्थित है और इसे लक्ष्मण जी की तपस्थली माना जाता है। परंपरा के अनुसार, दोनों धामों के कपाट एक साथ खोले और बंद किए जाते हैं। कपाट बंद होने के बाद ट्रस्ट के सदस्य और सेना के जवान मिलकर परिसर को सुरक्षित कर देते हैं ताकि बर्फबारी के महीनों में किसी तरह की क्षति न हो।
यह भी पढ़ें:बर्फ में लिपटा देवभूमि: बदरीनाथ-हेमकुंड से गंगोत्री तक पहली बर्फबारी का नजारा
पिछले कुछ दिनों से हो रही बर्फबारी से समूचा क्षेत्र बर्फ से ढक गया है। सफेद बर्फ के बीच झलकता हेमकुंड झील का नीला पानी एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहा है। मंदिर की सीढ़ियों, शिलाओं और रास्तों पर बर्फ की मोटी परत जम चुकी है, जिससे वातावरण अत्यंत शांत और दिव्य प्रतीत हो रहा है।
कपाट बंद होने के साथ ही तीर्थ यात्रियों के लिए यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के बंद होने की प्रक्रिया भी शीघ्र शुरू हो जाएगी। हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होना केवल मौसम का परिवर्तन नहीं, बल्कि आस्था के अगले अध्याय की प्रतीक्षा का प्रतीक भी है। श्रद्धालु अब अगले यात्रा सत्र में पुनः बाबा हरगोबिंद जी के चरणों में हाजिरी लगाने की मनोकामना के साथ विदा ले रहे हैं