देहरादून: दिसंबर माह से उत्तराखंड आने वाले दूसरे राज्यों के वाहनों के लिए नई व्यवस्था लागू होने जा रही है। सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और राज्य की नाजुक पारिस्थितिकी को ध्यान में रखते हुए ग्रीन टैक्स लागू करने का निर्णय लिया है। यह टैक्स उन सभी वाहनों पर लगेगा जो अन्य राज्यों से उत्तराखंड की सीमाओं में प्रवेश करेंगे। फैसला राज्य की मंत्रिमंडलीय समिति की अनुशंसा के बाद लिया गया है और परिवहन विभाग ने इसकी तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं।
क्यों लगाया जा रहा है ग्रीन टैक्स
उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य है जहां की वादियाँ, नदियाँ और जंगल पर्यावरण के संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन हाल के वर्षों में पर्यटन और निजी वाहन आवागमन में भारी बढ़ोतरी देखी गई है। इससे वायु प्रदूषण, ट्रैफिक जाम और प्राकृतिक स्थलों पर प्रदूषण के स्तर बढ़े हैं। सरकार का मानना है कि दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों से राज्य के पर्यावरण पर अतिरिक्त दबाव बढ़ता है, इसलिए ग्रीन टैक्स के माध्यम से इस पर नियंत्रण किया जा सकेगा। राज्य परिवहन मंत्री के अनुसार, ग्रीन टैक्स से प्राप्त राशि पर्यावरण संरक्षण, सड़कों की मरम्मत और सार्वजनिक परिवहन के विस्तार में खर्च की जाएगी। यह योजना “पॉल्यूशन पे प्रिंसिपल” की तर्ज पर लागू की जा रही है, यानी जो प्रदूषण फैलाएगा वही उसकी भरपाई करेगा।
इन वाहनों पर लागू होगा टैक्स
ग्रीन टैक्स उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले सभी वाणिज्यिक (कमर्शियल) और निजी वाहनों पर लागू होगा, सिवाय उन वाहनों के जिनकी रजिस्ट्रेशन स्वयं उत्तराखंड में है।
- निजी कारें, जीप, टैक्सी और टूरिस्ट बसें
- माल ढोने वाले ट्रक और मिनी ट्रक
- अन्य राज्यों के सरकारी या निजी कार्यालयों के वाहन
टैक्स की दरें वाहन के प्रकार, इंजन क्षमता तथा प्रवेश अवधि के अनुसार निर्धारित की जाएंगी। अनुमान है कि निजी कारों से 100 से 300 रुपये प्रतिदिन, जबकि वाणिज्यिक ट्रकों से 500 रुपये तक शुल्क लिया जा सकता है। इसके लिए बॉर्डर चेकपोस्ट और डिजिटल भुगतान की व्यवस्था की जा रही है ताकि सिस्टम पारदर्शी बना रहे।
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डिजिटल भुगतान और निगरानी
ग्रीन टैक्स वसूली प्रक्रिया को ऑनलाइन और स्वचालित प्रणाली से जोड़ा जाएगा। वाहन चालक अपने मोबाइल से ही भुगतान कर सकेंगे और टैक्स की डिजिटल रसीद प्राप्त करेंगे। राज्य की सीमाओं पर स्थित चेकपोस्टों पर स्मार्ट टैग रीडर और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे जो टैक्स न भरने वाले वाहनों पर नजर रखेंगे। इसके अलावा, टैक्स की राशि और समयसीमा की जानकारी ड्राइवरों को पहले से उपलब्ध कराई जाएगी ताकि किसी को असुविधा न हो।
पर्यावरण और पर्यटन पर असर
पर्यावरणविदों ने इस पहल का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यदि व्यवस्था ईमानदारी से लागू हुई तो राज्य में प्रदूषण पर अंकुश लगेगा और स्थानीय परिवहन को बढ़ावा मिलेगा। वहीं पर्यटन उद्योग से जुड़ी संस्थाओं का मानना है कि टैक्स दरें बहुत अधिक नहीं रखी जानी चाहिए ताकि पर्यटकों को डराने के बजाय उन्हें स्वच्छ पर्यटन के लिए प्रेरित किया जा सके।
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने इस फैसले को मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कुछ नागरिकों का कहना है कि यह कदम स्वागत योग्य है क्योंकि इससे पहाड़ी सड़कों पर बाहरी वाहनों की भीड़ नियंत्रित होगी। वहीं कुछ लोग इस बात की चिंता जता रहे हैं कि टैक्स की राशि ज्यादा होने से राज्य में पर्यटन पर असर पड़ सकता है।
