देहरादून: राज्य भर्ती आयोग अब समूह-ग परीक्षाओं को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के नए दौर में प्रवेश करने जा रहा है। इस बार होने वाली परीक्षाओं में तकनीकी प्रबंधन का ऐसा इंतज़ाम किया गया है जो अब तक किसी भी सरकारी परीक्षा में नहीं देखा गया था। आयोग ने न केवल पेपर लीक और गड़बड़ियों पर लगाम लगाने की रणनीति बनाई है, बल्कि परीक्षा के हर चरण की निगरानी के लिए लाइव टेलीकास्ट सिस्टम लागू करने की योजना भी तैयार कर ली है।
इस योजना के तहत परीक्षा केंद्रों पर लगे सीसीटीवी कैमरे सीधे नियंत्रण कक्ष से जुड़े रहेंगे। हर कमरे, गलियारे और प्रवेश द्वार की गतिविधि रियल टाइम में मुख्य मॉनीटरिंग रूम में देखी जा सकेगी। परीक्षा अधिकारी किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई कर सकेंगे। यह व्यवस्था विशेष रूप से उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, और अन्य राज्यों में हाल के वर्षों में हुए पेपर लीक मामलों के बाद पारदर्शिता की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
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आयोग के अनुसार, सभी उम्मीदवारों की हाजिरी सीधे गेट पर ही होगी। प्रवेश द्वार पर डिजिटल उपस्थिति प्रणाली (बायोमेट्रिक अथवा क्यूआर स्कैनिंग) से उम्मीदवारों के प्रवेश समय और पहचान का रियल टाइम रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा। इस प्रक्रिया के बाद ही अभ्यर्थी परीक्षा कक्ष में प्रवेश पाएंगे। इससे फर्जी अभ्यर्थियों की भागीदारी पर पूरी तरह रोक लगने की उम्मीद है।
इस “मास्टर प्लान” में तकनीकी सहयोग राज्य सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों से लिया गया है। आयोग ने बताया कि परीक्षा के समय सर्वर आधारित बैकअप रिकॉर्ड भी तैयार रहेगा, जिससे किसी भी विवाद की स्थिति में सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। परीक्षा समाप्त होने के बाद रिकॉर्डिंग को संरक्षित किया जाएगा ताकि भविष्य में किसी शिकायत या जाँच की स्थिति में इसका उपयोग हो सके।
इसके अलावा, सुरक्षा कर्मियों और पर्यवेक्षकों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि वे निगरानी प्रणाली के साथ समन्वय कैसे करें और परीक्षा केंद्रों में अनुशासन बनाए रखें। प्रत्येक केंद्र में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी जो पूरे संचालन की प्रत्यक्ष निगरानी करेगा। उम्मीद की जा रही है कि इस नई व्यवस्था से अभ्यर्थियों को निष्पक्ष परीक्षा माहौल मिलेगा और किसी भी तरह की अफवाह या धोखाधड़ी पर रोक लगेगी। आयोग का दावा है कि एक बार यह सिस्टम सफल हुआ तो भविष्य में सभी भर्तियों में भी इसी मॉडल को अपनाया जाएगा। राज्य के युवा और अभ्यर्थी इस कदम को लेकर उत्साहित हैं। उन्हें विश्वास है कि इससे अब प्रतिभा के बल पर सफलता मिलेगी, न कि सिफारिश या धोखाधड़ी से।