अल्मोड़ा: अल्मोड़ा शहर आज एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना, जब 100 वर्ष पूर्व आयोजित शिल्पकार सम्मेलन की गूंज एक बार फिर सुनाई दी। 24 सितंबर 1925 को महान समाजसेवी एवं जागरूक चिंतक मुंशी हरिप्रसाद टम्टा ने अल्मोड़ा के जूली डंडा में शिल्पकार समाज को संगठित करने के लिए एक भव्य सम्मेलन का आयोजन किया था। उस कठिन दौर में, जब हमारे पहाड़ों में किसी भी प्रकार की सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध नहीं थे, तब भी हजारों लोग पैदल चलकर गढ़वाल और कुमाऊं के कोने-कोने से अल्मोड़ा पहुंचे थे। ऐतिहासिक अभिलेख बताते हैं कि लगभग 8,000 की संख्या में लोग उस सम्मेलन में मौजूद रहे।
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आज उसी ऐतिहासिक क्षण को याद करते हुए उसकी शताब्दी वर्षगांठ मनाई गई। इस आयोजन का नेतृत्व श्री संजय लाल टम्टा ने संयोजक के तौर पर किया और समारोह का आयोजन रामदेव इंटर कॉलेज, अल्मोड़ा में हुआ। समारोह में समाज के प्रबुद्धजनों, विभिन्न क्षेत्रों से आए अतिथियों और स्थानीय लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। मुंशी हरिप्रसाद टम्टा ने अपने समय में वंचित और शिल्पकार समाज को एकजुट कर सामाजिक परिवर्तन की जो अलख जगाई थी, वह आज भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। इस शताब्दी पुनरावृत्ति का उद्देश्य केवल इतिहास को दोहराना नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को यह संदेश देना है कि एकजुटता और आत्मसम्मान से समाज हर कठिनाई का सामना कर सकता है।
समारोह में वक्ताओं ने मुंशी टम्टा के योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षा, सामाजिक जागृति और समाज में बराबरी की भावना को बढ़ावा देकर एक दूरदर्शी सोच प्रस्तुत की थी। आज यह समारोह उनकी स्मृति को जीवित रखने और उनके आदर्शों को समाज में स्थापित करने का अवसर है। यह आयोजन न केवल अतीत की गौरवशाली यात्रा को पुनः स्मरण दिलाता है, बल्कि वर्तमान और भविष्य की दिशा तय करने वाला प्रेरक अवसर भी है।