द्वाराहाट: मानवता और सेवा का ऐसा उदाहरण बहुत कम देखने को मिलता है, जब संकट की घड़ी में एक आम कर्मचारी ने जिम्मेदारी और साहस का परिचय देकर किसी की जान बचा ली। ऐसा ही वाकया द्वाराहाट क्षेत्र में तब देखने को मिला जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के डॉक्टरों ने एक गर्भवती को जटिल प्रसव बताकर हायर सेंटर रेफर कर दिया। लेकिन रास्ते में महिला की प्रसव पीड़ा इतनी बढ़ गई कि 108 एंबुलेंस को सड़क पर रोकना पड़ा, और वहीं एंबुलेंस के अंदर सामान्य प्रसव संपन्न हुआ।जानकारी के अनुसार, बुधवार देर रात द्वाराहाट ब्लॉक के एक ग्रामीण क्षेत्र की गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजनों ने रात करीब 12:45 बजे 108 एंबुलेंस सेवा को कॉल किया।
एंबुलेंस मौके पर पहुंची और महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र द्वाराहाट लाया गया। डॉक्टरों ने महिला का परीक्षण कर केस को ‘जटिल प्रसव’ बताते हुए तत्काल हायर सेंटर रेफर कर दिया। डॉक्टरों का कहना था कि प्रसव में जोखिम हो सकता है, इसलिए बेहतर सुविधाओं वाले अस्पताल में इलाज होना जरूरी है।परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने स्थिति को सामान्य रूप से संभालने के बजाय उन्हें डरा दिया और रेफर करने के बाद कोई वैकल्पिक मदद नहीं दी। उनका कहना है कि मजबूरी में उन्हें महिला को लेकर हायर सेंटर की ओर रवाना होना पड़ा।द्वाराहाट से करीब 10 किलोमीटर आगे कफड़ा के पास, एंबुलेंस में ही महिला की प्रसव पीड़ा तेज हो गई। इस पर एंबुलेंस चालक महेंद्र आर्या और ईएमटी (आपात चिकित्सा तकनीशियन) जीवन भंडारी ने तत्परता दिखाई।
यह भी पढ़ें:नैनीताल में भीषण आग! शिशु मंदिर स्कूल की बिल्डिंग में मचा हड़कंप, दो लोगों का सुरक्षित रेस्क्यू
सड़क किनारे एंबुलेंस रोककर उन्होंने महिला का सामान्य प्रसव करवाया। एंबुलेंस में उपलब्ध सीमित संसाधनों के बावजूद दोनों ने स्थिति को बेहद संभलकर नियंत्रित किया। कुछ ही देर में महिला ने एक स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया।डिलीवरी के बाद जच्चा-बच्चा दोनों की स्थिति सामान्य बताई जा रही है। इसके बाद एंबुलेंस टीम ने महिला और नवजात को सुरक्षित रूप से वापस सीएचसी द्वाराहाट लाकर भर्ती कराया। फिलहाल दोनों को अस्पताल में निगरानी में रखा गया है।घटना के बाद ग्रामीणों और स्थानीय लोगों ने EMT जीवन भंडारी और चालक महेंद्र आर्या की सराहना की है। लोगों का कहना है कि जहां अस्पताल ने जटिल कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया, वहीं इमरजेंसी सेवा कर्मियों ने मानवीय कर्तव्य का परिचय दिया।परिजनों ने इस पर सवाल उठाए हैं कि यदि महिला का प्रसव ‘जटिल’ था, तो फिर एंबुलेंस में वह सामान्य रूप से कैसे हो गया? उनका कहना है कि चिकित्सक ने बिना आवश्यकता के डर का माहौल बनाकर रेफर किया, जिससे देरी होने पर कोई अनहोनी भी हो सकती थी।
वहीं अस्पताल प्रशासन का पक्ष है कि डॉक्टरों ने मरीज की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेफर किया था। सीएमओ कार्यालय ने भी मामले की जानकारी मांगी है और कहा है कि पूरी जांच के बाद स्थिति स्पष्ट होगी।यह घटना एक बार फिर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक स्थिति पर सवाल उठाती है। जब अस्पतालों में प्रसव जैसी सामान्य चिकित्सा स्थिति को ‘जोखिमपूर्ण’ बताकर रेफर किया जाता है, तो यह न केवल सिस्टम की कमजोरी दिखाता है बल्कि आमजन के विश्वास को भी कमजोर करता है। फिलहाल, द्वाराहाट की यह घटना 108 सेवा की सतर्कता और मानवीय संवेदनशीलता की मिसाल बन गई है। EMT जीवन भंडारी और चालक महेंद्र आर्या का साहसिक कदम न केवल एक महिला और नवजात के जीवन की रक्षा करने वाला बना, बल्कि इसने साबित कर दिया कि कभी-कभी इंसानियत और हिम्मत ही असली चिकित्सा होती है।
