बेतालघाट: बेतालघाट के डोलकोट क्षेत्र में मंगलवार को हुई एक दर्दनाक घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। गश्त के दौरान अचानक तेज बहाव वाले नाले में फॉरेस्ट गार्ड अधिकारी बह गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
मिली जानकारी के अनुसार अधिकारी नियमित गश्त पर निकले थे। इस दौरान मौसम अचानक बिगड़ गया और उफनते नाले को पार करने की कोशिश में वे संतुलन खो बैठे। स्थानीय ग्रामीणों व सहकर्मियों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया, लेकिन तेज धारा के कारण उनका जीवन नहीं बच सका। घटना के बाद वन विभाग और प्रशासन ने गहरा शोक व्यक्त किया और आश्वासन दिया कि मृतक अधिकारी के परिवार को आर्थिक सहायता दी जाएगी। सहकर्मियों के अनुसार मृतक अधिकारी ईमानदार और मेहनती थे और हमेशा जंगलों व वन्यजीवों की रक्षा में जुटे रहते थे।
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इस हादसे के बाद कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। क्या पर्वतीय क्षेत्रों में कार्यरत फॉरेस्ट गार्ड्स को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण और प्रशिक्षण उपलब्ध है? क्या उनके लिए वैकल्पिक सुरक्षित मार्ग और रेस्क्यू सिस्टम विकसित किए गए हैं? अक्सर देखा जाता है कि फील्ड स्टाफ को जोखिमपूर्ण हालात का सामना बिना किसी विशेष सुरक्षा साधन के करना पड़ता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वन विभाग अपने कर्मचारियों को आधुनिक उपकरण, जैसे सेफ़्टी जैकेट, रस्सी, संचार साधन और आपातकालीन बीमा उपलब्ध कराए, तो ऐसे हादसों को काफी हद तक रोका जा सकता है। डोलकोट हादसा केवल एक व्यक्ति की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह व्यवस्था को झकझोरने वाली चेतावनी है। सरकार और विभाग को अब जरूरी है कि फील्ड स्टाफ की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए ताकि भविष्य में ऐसे दर्दनाक हादसे न हों।
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