देहरादून: जनस्वास्थ्य और बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उत्तराखंड में शनिवार को स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की संयुक्त टीमों ने प्रदेशभर में प्रतिबंधित कफ सीरप और दवाओं के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के स्पष्ट निर्देशों के बाद यह कदम तेजी से उठाया गया। हाल ही में राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सीरप के सेवन से बच्चों की मौत की घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर दिया था, जिसे देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने इस मामले को जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर खतरा मानते हुए तत्काल कार्रवाई का आदेश दिया।
बच्चों के स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा
बीते कुछ हफ्तों में रिपोर्ट सामने आई हैं कि कुछ प्रतिबंधित कफ सीरप में ऐसे रसायन पाए गए हैं, जिनके अत्यधिक सेवन से बच्चों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं और मौत तक हो सकती है। इन घटनाओं ने अभिभावकों और चिकित्सा जगत में चिंता का माहौल बना दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि सस्ती और बिना पर्ची मिलने वाली कुछ दवाओं में मिलावट या गलत फार्मूलेशन बच्चों के जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है।
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संयुक्त टीमों की छानबीन
राज्यभर में तैनात स्वास्थ्य विभाग और एफडीए की टीमें दवा दुकानों, थोक विक्रेताओं और गोदामों में अचानक पहुंचीं। इस छापेमारी में कई जिलों में प्रतिबंधित बैच वाले कफ सीरप और दवाएं जब्त की गईं। दवा विक्रेताओं के लाइसेंस और स्टॉक रजिस्टर की जांच की गई, साथ ही संदिग्ध उत्पादों के नमूने प्रयोगशाला परीक्षण के लिए भेजे गए। कार्रवाई के दौरान पाया गया कि कुछ जगहों पर नियमों की अनदेखी करते हुए पुराना स्टॉक बेचा जा रहा था।
सरकार का सख्त रुख
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा से समझौता करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्पष्ट किया कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक प्रदेश से खतरनाक और मिलावटी दवाओं का पूरी तरह सफाया नहीं हो जाता। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को कोई भी दवा न दें।
जनजागरूकता अभियान भी शुरू
छापेमारी के साथ-साथ सरकार ने जनजागरूकता अभियान भी शुरू किया है, जिसके तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में दवा सेवन से जुड़े जोखिमों की जानकारी दी जा रही है। रेडियो, टीवी और सोशल मीडिया के जरिए जनता को चेताया जा रहा है कि वे प्रमाणित और लाइसेंसधारी मेडिकल स्टोर से ही दवाएं खरीदें। राज्य सरकार ने एफडीए और स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं कि दवा निर्माण इकाइयों की गुणवत्ता जांच को और सख्त किया जाए। इसके अलावा, सभी जिला अस्पतालों में आने वाले खांसी, सर्दी-जुकाम के मामलों में इस्तेमाल हो रही दवाओं के स्रोत की निगरानी की जाएगी। यह कदम उत्तराखंड में दवा सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने की दिशा में एक निर्णायक प्रयास माना जा रहा है।