नई दिल्ली: श्रीलंका इस समय एक भयावह प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। शक्तिशाली चक्रवात ‘दितवाह’ ने देश में भारी तबाही मचा दी है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक कम से कम 123 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग लापता बताए जा रहे हैं। हजारों घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं और कई इलाकों में बिजली, संचार व परिवहन सेवाएं ठप पड़ गई हैं।चक्रवात दितवाह रविवार तड़के श्रीलंका के दक्षिणी तट से टकराया था। मौसम विभाग के मुताबिक, उस समय तूफान की रफ्तार करीब 150 किलोमीटर प्रति घंटा दर्ज की गई। इतनी तेज हवाओं ने तटीय जिलों में भारी तबाही मचाई। गाले, मातारा और हम्बनटोटा जैसे इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
कई जगहों पर समुद्र का पानी सड़कों और घरों तक पहुंच गया है, जिससे हालात बाढ़ जैसे बन गए हैं।सरकार की ओर से राहत व बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। श्रीलंकाई सेना, नौसेना और वायुसेना पूरी तरह राहत अभियान में जुटी हैं। हेलीकॉप्टरों की मदद से फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। साथ ही, अस्थायी राहत शिविरों में हजारों लोगों को शरण दी गई है। प्रधानमंत्री ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर नुकसान का जायजा लिया है और आपातकालीन सहायता पैकेज की घोषणा की है। दूसरी ओर, मौसम विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अब चक्रवात दितवाह दिशा बदलते हुए भारत की ओर बढ़ रहा है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, फिलहाल तूफान बंगाल की खाड़ी की ओर केंद्रित है और अगले 24 से 36 घंटों में यह तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों को प्रभावित कर सकता है।
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तमिलनाडु, पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश में अलर्ट जारी कर दिया गया है। प्रशासन ने मछुआरों को समुद्र में न जाने की सख्त हिदायत दी है। तटीय गांवों में एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीमों को तैनात किया गया है ताकि आपात स्थिति में तुरंत राहत कार्य शुरू किया जा सके। मौसम विभाग का कहना है कि भारत में दितवाह के पहुंचने से पहले उसकी तीव्रता कुछ कम हो सकती है, लेकिन फिर भी यह गंभीर असर डाल सकता है।भारत के कई राज्यों की सरकारें सतर्क मोड में हैं। विद्युत विभाग, स्वास्थ्य सेवाएं और नागरिक प्रशासन को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। स्कूलों और कॉलेजों को अस्थायी रूप से बंद करने तथा मछुआरों को सुरक्षित स्थानों पर रोकने के आदेश जारी किए गए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) के कारण इस वर्ष हिंद महासागर क्षेत्र में चक्रवातों की तीव्रता और संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। पिछले वर्षों की तुलना में अब उष्णकटिबंधीय तूफान अधिक शक्तिशाली और विनाशकारी रूप ले रहे हैं। दितवाह इसका ताजा उदाहरण है, जिसने कुछ ही घंटों में श्रीलंका की वर्षों की मेहनत को मलबे में बदल दिया।वर्तमान स्थिति को देखते हुए भारत में तैयारी के स्तर को और मजबूत करने की जरूरत है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि समय पर सतर्कता बरती जाए और राहत तंत्र सक्रिय रखा जाए, तो बड़े नुकसान से बचा जा सकता है। फिलहाल, पूरे दक्षिणी भारत की निगाहें मौसम विभाग की अगली चेतावनी पर टिकी हैं।आने वाले दो से तीन दिन इस तूफान के रुख को लेकर बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। दुआ यही है कि जब दितवाह भारत की धरती की ओर बढ़े, तब तक उसकी रफ्तार और प्रभाव कम हो जाए ताकि किसी तरह की बड़ी जनहानि न हो।
