द्वाराहाट: अल्मोड़ा जनपद के द्वाराहाट क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले छोटे से गांव बमनपुरी से निकली बेटी आयुषी नेगी आज पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय बन गई हैं। ताइक्वांडो जैसे कठिन मार्शल आर्ट खेल में जिला स्तर से चयनित होकर उन्होंने राज्य स्तर तक अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। आयुषी न सिर्फ एक खिलाड़ी हैं, बल्कि अनुशासन और समर्पण की मिसाल भी बन चुकी हैं।
आयुषी का कहना है कि उनकी इस सफलता के पीछे उनके कोच विजय बहादुर का अथक परिश्रम और मार्गदर्शन है। उन्होंने बताया कि निरंतर अभ्यास, कठिन परिश्रम और सही दिशा में प्रशिक्षण ही उन्हें यहां तक लेकर आया है। आयुषी मानती हैं कि किसी भी सफलता के पीछे गुरु का योगदान सबसे बड़ा होता है और अपने कोच के सहयोग के बिना वह इस मुकाम तक नहीं पहुंच पातीं।
खेलों के साथ-साथ आयुषी की दूसरी बड़ी पहचान यह भी है कि वह 77 यूके बटालियन एनसीसी की सक्रिय कैडेट हैं। एनसीसी में उनके अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और देशभक्ति की भावना की लगातार सराहना की जाती रही है। एनसीसी प्रशिक्षण ने आयुषी की शारीरिक क्षमता, मानसिक मजबूती और आत्मविश्वास को और अधिक सशक्त बनाया है, जिसका लाभ उन्हें ताइक्वांडो में भी मिला है।
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आयुषी का गांव बमनपुरी भले ही साधारण और सीमित संसाधनों वाला हो, लेकिन यहां की बेटियां भी बड़े सपनों को साकार करने की हिम्मत रखती हैं। आयुषी की यह उपलब्धि न केवल उनके माता-पिता बल्कि पूरे गांव के लिए गर्व का क्षण है। ग्रामीण माता-पिता आमतौर पर अपनी बेटियों को पढ़ाई के साथ घरेलू जिम्मेदारियों तक सीमित कर देते हैं, लेकिन आयुषी ने साबित कर दिया कि प्रतिभा और लगन से बेटियां हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं।
उनकी जीत से प्रेरित होकर गांव के अन्य बच्चे भी अब खेलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। आयुषी की जुझारू प्रवृत्ति और मेहनत लगन से स्थानीय युवाओं के बीच यह संदेश गया है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं और सही मार्गदर्शन से ग्रामीण परिवेश से निकले बच्चे भी अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सकते हैं।
आयुषी खुद भी आगे चलकर भारत का नाम ताइक्वांडो में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकते देखना चाहती हैं। उनका सपना है कि वे देश के लिए पदक जीतकर अपनी मिट्टी और अपने गांव बमनपुरी का नाम रोशन करें। साथ ही, वे चाहती हैं कि गांव की बेटियां भी खेलों और शिक्षा में पीछे न रहें, बल्कि आगे बढ़कर समाज और देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।
कोच विजय बहादुर का कहना है कि आयुषी बहुत अनुशासित और नियमित खिलाड़ी हैं। उनकी मेहनत और समर्पण ही उन्हें आगे की ऊँचाइयों तक लेकर जाएंगे। वह मानते हैं कि अगर आयुषी को सही समय पर उचित अवसर और मंच मिले तो आने वाले समय में वह प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश का नाम रौशन कर सकती हैं।
आयुषी की यह उपलब्धि केवल व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि पूरे द्वाराहाट और विशेष रूप से बमनपुरी गांव की सामाजिक और सांस्कृतिक उपलब्धि भी है। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी ग्रामीण अंचल की उन बेटियों के लिए एक प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों और कठिनाइयों के बावजूद बड़े सपने देखती हैं।
आज जरूरत है कि सरकार और समाज ऐसे खिलाड़ियों को प्रोत्साहन और सहयोग दें, ताकि उनकी प्रतिभा का सही उपयोग हो सके। यदि आयुषी जैसी बेटियों के सपनों को पंख मिले तो वे न सिर्फ राज्य बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित कर सकती हैं।