Author: Hemant Upadhyay

Hemant Upadhyay एक शिक्षक हैं जिनके पास 8 से अधिक वर्षों का अनुभव है। साहित्य के प्रति उनका गहरा लगाव हमेशा से ही रहा है, वे कवियों की जीवनी और उनके लेखन का अध्ययन करने में रुचि रखते है।, "चाय पर चर्चा" नामक पोर्टल के माध्यम से वे समाज और साहित्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं और इन मुद्दों के बारे में लिखते हैं ।

उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं. इस बार उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के सभी कार्यक्रम अल्मोड़ा जनपद के मार्चुला में हुई बस दुर्घटना के शोक से बड़ी सादगी शांतिपूर्ण ढंग से मनाए जाएंगे। उत्तराखंड जिसे देवभूमि कहा जाता है इस राज्य की स्थापना 9 नवंबर 2000 को उत्तरांचल नाम से हुई थी। उत्तरांचल को उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी हिस्से और पर्वतीय क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया था।यह उत्तर प्रदेश से अलग होकर भारत का 27वां राज्य बना। 2007 में औपचारिक रूप से उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया। उत्तराखंड (Uttrakhand) एक नजर उत्तराखंड…

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छायावाद के शिव कहे जाने वाले महामानव महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी पुण्यतिथि पर उन्हें शत शत नमन। आज हम आपको एक ऐसे व्यक्तित्व के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपनी कविता के माध्यम से खुद के लिए कहा था- धिक् जीवन को जो पाता ही आया विरोध, धिक् साधन, जिसके लिए सदा ही किया शोध! सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का संक्षिप्त जीवन परिचय- आधुनिक हिंदी कविता में छायावाद के प्रमुख चार स्तंभों में से एक सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का जन्म 21 फरवरी 1899 में पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर में हुआ था। उनके बचपन का नाम सुर्जकुमार था। उनके पिता का…

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लाल बहादुर शास्त्री: सादगी और महानता का अद्वितीय उदाहरण भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन। पंडित लाल बहादुर शास्त्री जी जिनका जीवन सादगी से भरा हुआ था। शास्त्री जी वह व्यक्ति थे जिनके सर्वोत्कृष्ट कार्यकाल के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। वह उत्तम नेतृत्व वाले व्यक्ति थे। शास्त्री जी एक साधारण परिवार में जन्मे और प्रधानमंत्री जैसे पद पर आसीन होकर भी वह सामान्य ही बने रहे। संक्षिप्त जीवनी लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से कुछ दूर मुगलसराय नामक स्थान…

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जिस कवि की कृति को अंग्रेजी सरकार ने जप्त कर लिया था। हम बात कर रहे हैं राष्ट्रकवि मैथली शरण गुप्त जी की। मैथिली शरण गुप्त जी की महत्वपूर्ण काव्य रचना भारत भारती जो 1912 में लिखी गई थी, यह गुप्त जी के यश का आधार है। मैथिलीशरण गुप्त जी की संक्षिप्त जीवनी मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म 3 अगस्त 1886 को चिरगांव, झांसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इनके पिताजी का नाम सेठ रामचरण कनकने और माता का नाम काशी बाई था। मैथिलीशरण गुप्त द्विवेदी युगीन एक महत्वपूर्ण कवि थे। यह द्विवेदी युग के प्रवर्तक आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी…

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आज हम एक ऐसे कवि के बारे जानेंगे जो मात्र 28 साल की उम्र मे इस दुनिया को छोड़कर चले गए थे। जिन्होंने हिंदी साहित्य मे “छायावाद” से लेकर “प्रयोगवाद” तक काव्य सृजन कर हिंदी साहित्य मे बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया। ‘प्रकृति का चितेरा कवि’ ‘मातृभाषा का महान कवि’ और ‘हिमवंत का एक कवि’ आदि नाम से जिन्हें जाना जाता है हम बात कर रहे हैं चंद्रकुँवर बर्त्वाल की। चंद्रकुँवर बर्त्वाल की संक्षिप्त जीवनी उत्तराखंड के एक महान कवि जिन्हें बहुत कम लोग ही जानते हैं,वह हैं चंद्रकुँवर बर्त्वाल। चंद्रकुँवर बर्त्वाल का जन्म उत्तराखंड मे गढ़वाल मण्डल के चमोली…

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“मैं कुंजी कहता हिंदी को खुलता जिससे सामूहिक मन, क्षेत्रवृति से उठकर ही हम कर सकते जन राष्ट्र संगठन “-सुमित्रानंदन पंत प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है, यह दिन हमारी गौरवशाली  मातृभाषा हिंदी के महत्व को बताता है। वैसे तो हिंदी को खुद मां का दर्जा प्राप्त है जो किसी दिवस की मोहताज नहीं है, वह हर भारतीय के भीतर खुद ही विद्यमान है। हिंदी दिवस को मनाने का उद्देश्य हमारी मातृभाषा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है और हिंदी के प्रति हमारे क्या-क्या कर्तव्य हैं उन्हें याद दिलाना है। हिंदी राजभाषा या राष्ट्रभाषा राजभाषा…

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उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी जनकवि गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ जयंती विशेष :-10 सितंबर को उत्तराखंड के महान जनकवि, गीतकार और जन आंदोलन के पुरोधा गिरीश तिवारी गिर्दा की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन।‘गिर्दा’ उत्तराखंड के एक ऐसे जनकवि थे,जिन्होंने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में अपने ओजस्वी गीतों और कविताओं से जान फूंक दी थी। गिर्दा की संक्षिप्त जीवनी गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ का जन्म 10 सितंबर 1945 को ग्राम ज्योली (तल्ला स्यूनरा) हवालबाग,अल्मोड़ा उत्तराखंड में हुआ। इनकी माता का नाम जीवंती तिवारी तथा पिता का नाम हंसादत्त तिवारी था। इन्होंने अपनी हाई स्कूल की परीक्षा अल्मोड़ा से तथा इंटर की परीक्षा नैनीताल से उत्तीर्ण की।…

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शिक्षक दिवस विशेष: शिक्षक वह है जो अपने शिष्यों को अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाता है। एक शिष्य की जिंदगी में शिक्षक कितना महतवपूर्ण होता है इस बात का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि सम्राट अशोक तभी चक्रवर्ती बन सके जब उनके पास सही मार्ग दिखाने वाले महान गुरु थे, चंद्रगुप्त मौर्य तभी इस अखंड भारत के महान राजा बने ज़ब उनके पास आचार्य चाणक्य जैसे महान गुरु थे। गाण्डीवधारी अर्जुन संसार के श्रेष्ठ धनुर्धर तभी कहलाए जब उन्हें सिखाने वाले गुरु द्रोण जैसे तेजस्वी गुरु उनके पास थे। शिक्षक दिवस क्यों…

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काकोरी काण्ड: क्या थी काकोरी कांस्प्रेसी कौन-कौन थे इसमें शामिल? क्यों हर जगह के लोग आ गए थे उन क्रांतिकारियों के समर्थन मे? सर्वप्रथम काकोरी कांड के उन नायकों को मेरा शत शत नमन । उस समय की अंग्रेजी हुकूमत की जड़ों को हिलाया था H.R.A हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के केवल दस के नायकों ने जिनमें प्रमुख थे। पंडित राम प्रसाद ‘बिस्मिल’, अशफाक उल्ला खाँ चंद्रशेखर आज़ाद, योगेशचन्द्र चटर्जी, , मुकुन्दी लाल, .विष्णुशरण दुब्लिश, रामकृष्ण खत्री, .मन्मथनाथ गुप्त, राजकुमार सिन्हा, ठाकुर रोशानसिंह, राजेन्द्रनाथ लाहिडी, गोविन्दचरण कार, रामदुलारे त्रिवेदी, रामनाथ पाण्डेय, शचीन्द्रनाथ सान्याल, भूपेन्द्रनाथ सान्याल आदि। आज उन आजादी के परवानों…

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अवसाद (डिप्रेशन): वर्तमान समय में आप देख रहे होंगे की 25 वर्ष से लेकर 40 45 वर्ष तक ज्यादातर व्यक्ति अवसाद (डिप्रेशन) के शिकार हैं, जिसमें सबसे ज्यादा युवा है युवाओं में चिंता और अवसाद का बढ़ना अभी कुछ वर्षों से ज्यादा हो गया है ऐसा क्यों? सार अवसाद व युवा क्यों होता है अवसाद (डिप्रेशन)? पाश्चात्य संस्कृति का प्रचलन आधुनिकीकरण से बढ़ता अवसाद भारतीय संस्कृति का अनुसरण करना अवसाद व युवा यह एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है जिसमें व्यक्ति की मनोदशा बदलती रहती है जिससे उसके दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण हानि होती है अवसाद से पीड़ित व्यक्ति में बेचैनी,निराशा,…

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