नैनीताल: नैनीताल जिले से उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) की गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां एक उपभोक्ता के 10 साल पहले कटवाए गए बिजली कनेक्शन का बिल लगातार जारी होता रहा। विभागीय अधिकारियों ने न केवल बिल बनाते रहे बल्कि समय पर जांच भी नहीं की, जिससे मामला राजस्व विभाग तक पहुँच गया और उपभोक्ता के खिलाफ वसूली की कार्रवाई आरंभ हो गई। उपभोक्ता ने जब मामले की शिकायत विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच में की, तब जाकर सच्चाई सामने आई और राहत मिली।जानकारी के अनुसार, जिले के एक ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले उपभोक्ता ने वर्ष 2015 में अपना बिजली कनेक्शन स्वयं कटवा दिया था। इसके बावजूद बिजली विभाग की ओर से वर्षों तक मीटर रीडिंग के नाम पर बिल जारी होते रहे।
उपभोक्ता ने शुरुआत में इन्हें विभागीय गलती समझ कर अनदेखा किया, लेकिन कुछ समय पहले राजस्व विभाग से आरसी (रिकवरी सर्टिफिकेट) जारी होने के बाद मामला गंभीर हो गया। जैसे ही वसूली की नोटिस आई, उपभोक्ता ने उच्च अधिकारियों से शिकायत की, पर कोई कार्यवाही न होते देख उसने मामला विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच के समक्ष रख दिया।मंच की सुनवाई में स्पष्ट हुआ कि उपभोक्ता ने वाकई में समय पर कनेक्शन कटवाया था और विभाग के अभिलेखों में रीडिंग व बिलिंग की प्रक्रिया बंद नहीं की गई थी। यानी गलती साफ तौर पर बिजली विभाग की लापरवाही का परिणाम थी। निवारण मंच ने जांच के बाद विभाग को फटकार लगाते हुए आरसी को रद्द करने और संबंधित बिलों को निरस्त करने के आदेश दिए। साथ ही भविष्य में ऐसे मामलों से बचने के लिए विभागीय अधिकारियों को ठोस निगरानी तंत्र अपनाने के निर्देश भी दिए गए।
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स्थानीय लोगों ने भी इस प्रकरण को आम नागरिकों की समस्याओं की मिसाल बताया। उनका कहना है कि कई बार बिजली विभाग के रिकॉर्ड अपडेट न होने से पुराने कनेक्शनधारकों को अनावश्यक परेशानी झेलनी पड़ती है। उपभोक्ता मंच के इस फैसले से अन्य उपभोक्ताओं को भी राहत की उम्मीद जगी है कि अब ऐसे मामलों में न्याय मिल सकता है।उधर, उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों का कहना है कि मामला सामने आने के बाद विभाग ने संबंधित कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि भविष्य में किसी उपभोक्ता के कनेक्शन कटने के बाद उसके नाम पर नया बिल न बने। विभाग का दावा है कि अब सभी पुराने रिकॉर्ड डिजिटल रूप में अपडेट किए जा रहे हैं जिससे इस तरह की त्रुटियां न दोहराई जाएं।यह घटना न केवल बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि उपभोक्ता यदि अपनी बात उचित मंच पर रखें तो उन्हें न्याय मिल सकता है। नैनीताल जिले का यह मामला पूरे प्रदेश के लिए एक मिसाल बन गया है — कि सरकारी व्यवस्था में त्रुटि चाहे कहीं भी हो, सजग नागरिक और सक्रिय संस्थान मिलकर सुधार की दिशा दिखा सकते हैं।
