देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें राज्य के स्कूलों में श्रीमद् भगवत गीता के श्लोकों का पाठ अनिवार्य करने की बात कही गई। सीएम धामी का कहना है कि इस निर्णय का उद्देश्य छात्रों को भारतीय संस्कृति, नैतिक मूल्यों और जीवन दर्शन से जोड़ना है, ताकि उनके सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त हो सके। उन्होंने इस घोषणा की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (Twitter) के माध्यम से साझा की।मुख्यमंत्री ने लिखा कि आज की पीढ़ी को केवल आधुनिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ज्ञान से भी समृद्ध होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि गीता न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि जीवन जीने की एक प्रेरक कला भी सिखाती है।
इसमें कर्म, संयम, निष्ठा और आत्मबल जैसे मूल्यों का सटीक वर्णन मिलता है, जो विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका निभा सकते हैं।सीएम धामी ने अपने संदेश में यह भी कहा कि शिक्षण संस्थानों में गीता श्लोकों का पाठ करने से बच्चों में अनुशासन, जिम्मेदारी और सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास होगा। सरकार का मानना है कि यह पहल नई पीढ़ी को अपने संस्कारों और परंपराओं से जोड़ने का माध्यम बनेगी, ताकि आधुनिकता और आस्था के बीच संतुलन बना रहे।इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने रविवार को अल्मोड़ा जिले स्थित ऐतिहासिक कटारमल सूर्य मंदिर का भी उल्लेख किया। उन्होंने एक वीडियो पोस्ट के माध्यम से इस प्राचीन मंदिर की भव्यता और सांस्कृतिक महत्ता पर प्रकाश डाला।
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पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भगवान सूर्यदेव को समर्पित यह मंदिर कत्यूरी काल की उत्कृष्ट वास्तुकला और श्रद्धा का अद्भुत उदाहरण है। लगभग 800 साल पुराना यह मंदिर उत्तराखंड की जीवंत सांस्कृतिक परंपरा और गौरवशाली इतिहास का प्रतीक माना जाता है।सीएम ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है — जहाँ हर पर्वत, नदी और मंदिर में आस्था की धारा बहती है। सरकार प्रदेश की इस विरासत को सुरक्षित रखने और अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए संकल्पित है। शिक्षा में गीता जैसे ग्रंथों का समावेश इसी दिशा में एक सशक्त कदम है।राज्य सरकार की इस पहल को लेकर शिक्षाविदों और अभिभावकों में सकारात्मक चर्चा शुरू हो गई है।
कई लोगों का मानना है कि गीता के श्लोकों से बच्चों में नैतिकता, संतुलन और आत्मविश्वास विकसित होगा, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि इसे एक वैकल्पिक विषय के रूप में बढ़ावा देना अधिक उपयुक्त हो सकता है।फिलहाल, यह निर्णय उत्तराखंड में शिक्षा और संस्कृति के संगम का प्रतीक बनकर उभरा है। मुख्यमंत्री धामी की यह पहल प्रदेश में न केवल शिक्षा के स्तर को नया आयाम देगी, बल्कि छात्रों में भारतीयता और आध्यात्मिकता की जड़ों को भी मजबूत करेगी।
