“सखा सोऽस्ति यः सखायं दुःखेष्वपि न हन्ति यः।”
(वही सच्चा मित्र है जो दुःख की घड़ी में भी साथ न छोड़े।)
मित्रता जीवन की सबसे सुंदर निधि है। यह संबंध न किसी स्वार्थ पर आधारित है और न ही किसी मजबूरी पर। सच्चे मित्र हमारे दुख में ढाल बनते हैं और सुख में उत्सव के सहभागी। राष्ट्रीय मित्रता दिवस इसी अमूल्य बंधन का उत्सव है, जिसे हर वर्ष अगस्त के प्रथम रविवार को मनाया जाता है।
मित्रता का महत्व
“सख्यमेकं नित्यं शरण्यम्।”
(सच्ची मित्रता सदा के लिए आश्रय और सहारा है।)
- मित्र जीवन की कठिन राहों को सरल बनाते हैं।
- वे हमारे छिपे गुणों को पहचानते हैं और गलतियों को सुधारने में मदद करते हैं।
- मित्रता से जीवन में विश्वास, प्रेम और सहयोग की भावना जागती है।
इतिहास एवं परंपरा
मित्रता दिवस की शुरुआत 1935 में अमेरिका से हुई और धीरे-धीरे यह परंपरा पूरी दुनिया में फैल गई। भारत में इसे अगस्त के पहले रविवार को राष्ट्रीय मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मित्रों को मित्रता बैंड पहनाना, शुभकामनाएं देना और साथ समय बिताना परंपरा बन चुका है।
कैसे मनाएं राष्ट्रीय मित्रता दिवस ?
“मित्रं यत्र विश्वासः तत्र सुखं भवति।”
(जहाँ मित्रों में विश्वास होता है, वहाँ सुख रहता है।)
- मित्रों को धन्यवाद कहें और उनके महत्व को स्वीकारें।
- पुरानी मित्रताओं को ताज़ा करें और नए मित्र बनाने का संकल्प लें।
- सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं साझा करें और सकारात्मक संदेश फैलाएं।
यह भी पढ़ें : कब है रक्षाबंधन, क्या इस बार भी रहेगा भद्र का साया,करे कन्फ्यूजन दूर…!
अगस्त 2025 में प्रकाशित और समाचारों में वाह-वाही बटोरने वाली एक सुंदर मित्रता पर आधारित कहानी, जो वास्तविक जीवन से प्रेरित है:
“माइत्री”
— दोस्ती का 80 साल पुराना सुन्दर सफर (सूरत, गुजरात)
सूरत के भाटर क्षेत्र में स्थित एक पुराना घर “माइत्री” नाम से जाना जाता है, जिसे मित्रता की निशानी माना जाता है। यह कहानी दो मित्रों—बिपिन देसाई और गुणवंत देसाई—की वर्ष 1940 से स्थापित स्थायी दोस्ती की है। दोनों मित्र स्कूल में साथ पढ़ते थे और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का अनुभव हुआ, जिसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। स्वतंत्रता के बाद भी उनकी दोस्ती बनी रही और उन्होंने साथ में कृषि अध्ययन, डेयरी व्यवसायऔर व्यापार शुरु किया। एक जमाने से यह दोस्ती पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती आई। आज उनके बच्चे, पोते और परपोते भी एक ही घर “माइत्री” में रहते हुए उस मित्रता की भावना को जीवित रखे हुए हैं ।
कहानी की प्रमुख बातें और सीख
- समय की कसौटी पर खड़ी मित्रता — 80 वर्षों से अधिक समय तक चली यह मित्रता दिखाती है कि सच्चा मित्र वह होता है जो जीवन भर साथ रहे।
- साझे अनुभव और संकल्पों की साझीदारी — स्वतंत्रता संग्राम में साथ खड़े होना, उत्सव और दुख दोनों में साथ होना—इसने उनकी दोस्ती को परिवार की तरह मजबूत बनाया।
- दूरगामी प्रभाव — सिर्फ दो लोग नहीं, उनकी पीढ़ियाँ भी इस मित्रता की भावना को संजो रही हैं, जो विरासत की तरह आगे बढ़ी है।
मित्रता दिवस पर प्रेरणा
“माइत्री”—नाम में ही संदेश है: मित्रता ही घर है।
यह कहानी इस मित्रता दिवस पर हमें यह सिखाती है कि सच्ची दोस्ती स्वार्थ और समय की दीवारों को पार कर सकती है। मित्र के साथ आगे बढ़ने से केवल जीवन की यात्रा सुगम नहीं होती, बल्कि वह हमारी पहचान का हिस्सा बन जाती है। एक मित्रता इतनी मजबूत बन सकती है कि वह मकान, परिवार और विरासत से भी ऊपर हो जाए।
"सच्चा मित्र ही सबसे बड़ा धन है "
राष्ट्रीय मित्रता दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि मित्रता ही वह बंधन है जो जाति, धर्म, भाषा और सीमाओं से परे है। यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि यह रिश्तों को संवारने, सच्चाई और निष्ठा को पुनर्जीवित करने का अवसर है।