देहरादून: प्रदेश की लगभग 40 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। सरकार ने उनके मानदेय में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। मानदेय में कितनी वृद्धि होगी, इसका निर्धारण जल्द ही शासन स्तर पर गठित समिति करेगी। यह जानकारी महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के निदेशक बी.एल. राणा ने दी है।उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की लंबे समय से उठाई जा रही मांगों पर गंभीरता से विचार किया गया है।
हाल के वर्षों में कई चरणों में उनके कार्यक्षेत्र का विस्तार हुआ है, लेकिन इसके अनुरूप मानदेय में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाई थी। इसीलिए विभाग ने अब इस पर ठोस कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। राणा के अनुसार, समिति में वित्त विभाग और कार्मिक विभाग के प्रतिनिधियों के साथ-साथ महिला सशक्तीकरण विभाग के अधिकारी भी शामिल होंगे। समिति राज्य के वित्तीय भार, केंद्र की सहायता राशि और अन्य राज्यों में प्रचलित मानदेय के ढांचे का अध्ययन कर उचित वृद्धि का सुझाव देगी। इसके बाद प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखा जाएगा।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बाल विकास सेवाओं की रीढ़ मानी जाती हैं। वे गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं, नवजात शिशुओं और 6 वर्ष तक के बच्चों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी निभाती हैं। कार्यक्रमों में टीकाकरण, पोषण आहार वितरण, प्री-स्कूल शिक्षा और महिला जागरूकता जैसी कई जिम्मेदारियां शामिल हैं।प्रदेश में कुल 20 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिनसे लाखों परिवार प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होते हैं। इसी कारण सरकार मानदेय बढ़ोतरी को महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देख रही है।
यह भी पढ़ें:उत्तराखंड में मौसम का करवट बदलना तय, 4 दिसंबर से बारिश और बर्फबारी के आसार
कई बार उठ चुकी है मांग
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं लंबे समय से अपने मानदेय में वृद्धि की मांग कर रही हैं। वे अक्सर यह तर्क देती हैं कि जीवनयापन की बढ़ती लागत के मुकाबले वर्तमान मानदेय अपर्याप्त है। समय-समय पर विभिन्न जिलों में कर्मचारी संघों द्वारा ज्ञापन और प्रदर्शन भी किए गए। कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अग्रिम पंक्ति में काम करती हैं, इसलिए उन्हें न्यूनतम सम्मानजनक वेतन मिलना चाहिए। विभागीय सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के साथ समन्वय कर रही है ताकि मानदेय वृद्धि का कुछ हिस्सा केंद्र की सहायता निधि से भी पूरा हो सके। केंद्र द्वारा संचालित “समेकित बाल विकास सेवा” (ICDS) योजना के तहत आंगनबाड़ी व्यवस्था चलती है, इसलिए कई बार मानदेय का भार संयुक्त रूप से वहन किया जाता है।
महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में पहल
प्रदेश सरकार का मानना है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की आर्थिक स्थिति सुधरने से महिला सशक्तीकरण के प्रयासों को नई गति मिलेगी। यह न केवल उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करेगा बल्कि समाज में उनके कार्य के प्रति सम्मान भी बढ़ाएगा। निदेशक बी.एल. राणा ने कहा कि सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने परिवार का भरण-पोषण सम्मानपूर्वक कर सके।जनता और कर्मचारी संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इससे कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा और योजनाओं के क्रियान्वयन में और बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण और शिक्षा से जुड़ी चुनौतियों से निपटने में आंगनबाड़ी केंद्रों की भूमिका पहले से अधिक मजबूत हो जाएगी।यदि समिति का प्रस्ताव जल्द ही स्वीकृत होता है, तो प्रदेश की हजारों कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को आगामी माह से बढ़ा हुआ मानदेय मिलने लग सकता है। यह निर्णय उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के साथ-साथ महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक ठोस कदम साबित होगा।
